राष्ट्रीय

भारत सरकार ने इंटरनेट पर समाचार और मनोरंजन प्रसारित करने वाली सेवाओं पर पहली बार अपना नियंत्रण बनाने की पहल की है. क्या इससे इंटरनेट पर सरकार का हस्तक्षेप बढ़ेगा?
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
इंटरनेट पर समाचार और मनोरंजन प्रसारित करने वाली सेवाओं पर निगरानी के लिए कैबिनेट सचिवालय ने भारत सरकार के नियमों में बदलाव किए हैं और राष्ट्रपति ने इसे अपनी अनुमति भी दे दी है. समाचार वेबसाइटें और मनोरंजन के कार्यक्रम प्रसारित करने वाली नेटफ्लिक्स जैसी सेवाओं के लिए अब सूचना और प्रसारण मंत्रालय दिशा निर्देश जारी करेगा जो वेबसाइटों को मानने पड़ेंगे.
इस बदलाव से केंद्र सरकार ने एक साथ दो बड़े क्षेत्रों पर नियंत्रण करने की शुरुआत कर दी है. भारत में इंटरनेट पर समाचार/करंट अफेयर्स और मनोरंजन दोनों पर ही केंद्रित वेबसाइटें और ऐप तुलनात्मक रूप से नए ही हैं. इन्हें भारत में शुरू हुए अभी एक दशक भी नहीं हुआ है.
Cabinet Secretariat amends Government of India (Allocation of Business) Rules to bring online news and current affairs content and digital media under the ambit of Ministry of Information and Broadcasting.@MIB_India @PrakashJavdekar pic.twitter.com/svFW4uEZGJ
— Bar & Bench (@barandbench) November 11, 2020
भारत में सिनेमा घरों में दिखाई जाने वाली फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड, टेलीविजन के लिए ट्राई और सूचना और प्रसारण मंत्रालय और अखबारों के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया जैसी नियामक संस्थाएं हैं, लेकिन अभी तक सीधे तौर पर इंटरनेट पर आधारित इन क्षेत्रों के लिए कोई नियामक नहीं था.
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इंटरनेट से जुड़े विषयों को देखता है लेकिन अभी तक मंत्रालय के पास वेबसाइटों पर डाली जाने वाली सामग्री के मानक निर्धारित करनी की कोई विशेष शक्तियां नहीं थीं. अगर सूचना और प्रसारण मंत्रालय अब ऐसे मानक बनाने की शुरुआत करता है तो इसका इन क्षेत्रों पर दूरगामी असर होगा.
इन क्षेत्रों को समझने वाले कई जानकार मानते हैं कि इंटरनेट पर आधारित यह दोनों ही क्षेत्र सरकार की आंखों में खटकते हैं. बीते कुछ सालों में न्यूज और करंट अफेयर्स की वेबसाइटों पर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तुलना में सरकार की कमियों पर ज्यादा चर्चा देखी गई है. अधिकतर वेबसाइटें मुखर रूप से केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की कमियां उजागर करती हैं.
भारत में सिनेमा घरों में दिखाई जाने वाली फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड, टेलीविजन के लिए ट्राई और सूचना और प्रसारण मंत्रालय और अखबारों के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया जैसी नियामक संस्थाएं हैं.
दूसरी तरफ नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम, हॉटस्टार, जीफाईव, एमएक्सप्लेयर जैसी सेवाएं बीते कुछ सालों से ऐसे कार्यक्रम प्रसारित कर रही हैं जिनके विषय और उन विषयों को परोसने का तरीका पारंपरिक मीडिया के मुकाबले ज्यादा बोल्ड होता है. लेकिन कई लोग इन सेवाओं पर अश्लीलता परोसने का आरोप लगाते हैं.
'हिंदुत्व' की राजनीति से जुड़े लोग इन सेवाओं पर 'हिंदुत्व'-विरोधी होने का भी आरोप लगाते आए हैं. केंद्र सरकार ने भी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करना चाह रही है. इन सब कारणों से डिजिटल मीडिया पर सरकारी सेंसरशिप के बढ़ने की आशंकाओं ने भी जन्म लिया है. देखना होगा कि इन बदलावों के बाद सरकार डिजिटल मीडिया के लिए किस तरह के दिशा निर्देश ले कर आती है.