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भारत में पत्रकारों पर हमलों को लेकर चिंताओं के बीच एक ही दिन में दो पत्रकारों की हत्या के मामले सामने आए हैं. चेन्नई में एक जमीन घोटाले का पर्दाफाश करने पर एक पत्रकार को मार दिया गया तो भोपाल में एक पत्रकार की लाश मिली.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
तमिलनाडु में राजधानी चेन्नई से सटे कांचीपुरम जिले के कुंद्राथूर में 27 वर्षीय टेलीविजन पत्रकार इसरावेल मोसेस पर कुछ लोगों ने उनके घर के बाहर हंसुओं से हमला कर मार डाला. मीडिया में आई खबरों के अनुसार मोसेस ने अपनी कई रिपोर्टों में कुंद्राथुर इलाके में गांजे की अवैध बिक्री और सरकारी जमीन की अवैध बिक्री का विषय उठाया था.
स्थानीय पुलिस ने इन दोनों गतिविधियों में शामिल एक गैंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है. मोसेस के पिता येसुदास ने मीडिया को बताया की उनके बेटे को कुछ दिनों से एक गैंग से धमिकयां मिल रही थीं और उन्होंने इसके बारे में पुलिस को बता दिया था. तमिलनाडु के पत्रकार संगठन ने पुलिस पर मोसेस की मौत की जिम्मेदारी का आरोप लगाया है.
संगठन के अध्यक्ष सागैराज ने एक समाचार वेबसाइट से कहा कि मोसेस को धमकियों की जानकारी मिलने के बाद पुलिस को आवश्यक कदम उठाने चाहिए थे और उनकी सुरक्षा का इंतजाम भी करना चाहिए था. वो अब राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि मोसेस के परिवार को 25 लाख रुपयों की मदद दी जाए और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए. संगठन यह भी मांग कर रहा है कि राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक कानून भी पास किया जाए.
भारत में पत्रकारों पर हमले होने के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 2014 से अभी तक देश में कम से कम 22 पत्रकार मारे जा चुके हैं.
दूसरी तरफ भोपाल की राजधानी के बाहरी इलाके के जंगलों में पत्रकार सय्यद आदिल वहाब की लाश मिली है.35 वर्षीय वहाब एक स्थानीय टीवी समाचार चैनल के लिए काम करते थे. वो पिछले 24 घंटों से लापता थे और उनके परिवार वालों ने इस संबंध में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी.
जिन स्थानीय लोगों को उनकी लाश मिली उनका कहना है कि उनके सिर और चेहरे को कुचल दिया गया था. उनकी पहचान उनके कपड़ों से हुई. पुलिस का मानना है कि उनकी हत्या कहीं और की गई होगी और लाश को जंगलों में फेंक दिया गया होगा. हालांकि पुलिस अभी तक हत्या का कारण पता नहीं कर पाई है.
भारत में पत्रकारों पर हमले होने के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 2014 से अभी तक देश में कम से कम 22 पत्रकार मारे जा चुके हैं. बीते कुछ सालों में पुलिस द्वारा पत्रकारों के खिलाफ फर्जी आरोप लगाने और उन्हें गिरफ्तार कर लेने के मामलों में भी चिंताजनक रूप से बढ़ोतरी हुई है.