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जंतर-मंतर पहुँचे महीनों से वेतन का इंतज़ार कर रहे दिल्ली के डॉक्टर
23-Oct-2020 9:49 AM
जंतर-मंतर पहुँचे महीनों से वेतन का इंतज़ार कर रहे दिल्ली के डॉक्टर

photo credit : ANI


- सलमान रावी

दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित अस्पतालों के डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल स्टाफ़ का आंदोलन 20वें दिन भी जारी है. ये सभी कर्मचारी चार महीने से लंबित अपने वेतन की माँग कर रहे हैं.

गुरुवार को दिल्ली के तीन प्रमुख अस्पतालों के रेज़िडेंट डॉक्टरों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया.

अब कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में दिल्ली के दूसरे अस्पतालों के डॉक्टर भी इस आंदोलन में शामिल हो सकते हैं जो कोरोना काल में एक नई मुसीबत साबित हो सकती है.

दिल्ली के नामी अस्पताल - राजीव गाँधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के साथ-साथ अन्य कई अस्पतालों के रेज़िडेंट डॉक्टरों की समितियों ने चेतावनी दी है कि 'अगर दिल्ली नगर निगम अपने द्वारा संचालित अस्पतालों के डॉक्टरों और अन्य मेडिकल कर्मचारियों के कई महीनों से बक़ाया वेतन का भुगतान नहीं करता तो फिर सभी रेज़िडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले जायेंगे.'

राजीव गाँधी अस्पताल के डॉक्टर हरदीप सिंह और डॉक्टर संदीप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में इस विषय पर चिंता जताई है.

कोरोना महामारी के समय में अगर ऐसा हुआ तो कोविड-19 से जूझ रहे मरीज़ों पर क्या बीतने वाली है, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है.

कोरोना काल में दिल्ली के एक प्रमुख स्थल पर भूख हड़ताल कर रहे इन 'कोरोना योद्धाओं' के लिए पूरे भारत ने कभी फूल बरसाये थे, मगर यहाँ मौजूद कस्तूरबा गाँधी अस्पताल के डॉक्टर अभिमान का कहना है कि 'आज उनके पास एक गुलाब ख़रीदने तक के पैसे नहीं हैं.'

इस बीच कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भारत के स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की माँग की है, क्योंकि ये मामला दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार के बीच फँसा हुआ है.

भूख हड़ताल पर डॉक्टर

दिल्ली के जंतर-मंतर पर मौजूद राजन बाबू टीबी अस्पताल, कस्तूरबा गांधी अस्पताल और हिन्दू राव अस्पताल के डॉक्टर दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार को लिखे गये पत्रों की कॉपियाँ और पोस्टर लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे.

हिन्दू राव अस्पताल के डॉक्टर प्रवीण कहते हैं कि दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टर और अन्य कर्मचारियों के लिए नौबत यहाँ तक आ पहुँची है कि उन्हें अब लोगों से पैसे उधार माँगने पड़ रहे हैं.

हिन्दू राव अस्पताल - जो कोविड अस्पताल था, वहाँ से कोविड-19 से पीड़ित मरीज़ों को दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया है और पूरे अस्पताल को सैनीटाइज़ कर दिया गया है, मगर अब डॉक्टर वहाँ से नदारद हैं.

जिन डॉक्टरों को ऐसे अप्रत्याशित समय में अस्पतालों में होना चाहिए था, वो सड़कों पर हैं.

बीच में दिल्ली नगर निगम के वरिष्ठ डॉक्टरों के संगठन ने भी हड़ताल पर जाने की धमकी दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया.

धरना स्थल पर मौजूद डॉक्टरों का आरोप है कि ऐसा डॉक्टरों ने अधिकारियों और नगर निगम प्रशासन के दबाव में किया है. वरिष्ठ डॉक्टरों के संगठन के अध्यक्ष आर आर गौतम के अनुसार उन्होंने आंदोलन में शामिल नहीं होने का निर्णय नगर निगम के मेयर के आश्वासन के बाद लिया.

आंदोलन के दौरान ही नगर निगम के मेयर और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों ने हड़ताल करने वाले डॉक्टरों और कर्मचारियों को एक महीने का वेतन देने की घोषणा की थी, मगर आंदोलनरत डॉक्टर और कर्मचारी इससे ख़ुश नहीं हैं.

जंतर-मंतर पर एक डॉक्टर पोस्टर लिए बैठे थे, जिस पर लिखा था- 'हमें भीख नहीं वेतन चाहिए.'

डॉक्टरों का कहना है कि पिछले चार सालों से नगर निगम डॉक्टरों और अस्पतालों में काम करने वाले दूसरे कर्मचारियों के साथ इसी तरह से पेश आ रहा है.

वो कहते हैं, "पिछले चार सालों से लगातार नगर निगम की आदत बन गयी है कि हर महीने वेतन ना देकर, उसे लटकाया जाये. कभी तीन महीने, तो कभी दो महीने तक. कई बार चार महीने तक भी वेतन रोका जाता है. हर बार डॉक्टरों को और कर्मचारियों को अपनी मेहनत के पैसे के लिए गिड़गिड़ाना पड़ता है."(bbc)


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