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इंडिगो संकट: सरकार ने घरेलू उड़ानों का अधिकतम किराया तय किया
11-Dec-2025 1:13 PM
इंडिगो संकट: सरकार ने घरेलू उड़ानों का अधिकतम किराया तय किया

इंडिगो में पैदा हुए संकट के कारण भारत में हवाई टिकटों की कीमतें अंधाधुंध बढ़ गईं. अब सरकार ने मनमानी कीमतों को रोकने के लिए कदम उठाया है. इंडिगो को भी रीफंड देने और यात्रियों का सामान लौटाने के लिए समयसीमा दी गई है.
 

 डॉयचे वैले पर स्वाति मिश्रा की रिपोर्ट

भारत में इंडिगो विमानों की आवाजाही में बड़े स्तर पर पैदा हुए संकट के बाद हवाई यात्रा की कीमतें बेतहाशा बढ़ गईं. मनमानी कीमतों से यात्रियों से राहत दिलाने के लिए अब सरकार ने सरकार ने घरेलू उड़ानों के लिए किराए की अधिकतम सीमा तय की है. इंडिगो संकट के मद्देनजर सरकार की भी आलोचना हो रही है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने पूछा है कि क्या नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू किंजारापु इस "अभूतपूर्व संकट" की जिम्मेदारी लेंगे.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) ने बताया कि सभी प्रभावित हवाईमार्गों में उचित और तर्कसंगत कीमतें सुनिश्चित करने के लिए, अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए उसने कीमतों की अधिकतम सीमा तय की है, ताकि यात्रियों को "किसी भी तरह की अवसरवादी कीमतों" से बचाया जा सके. 

मंत्रालय ने सभी एयरलाइन्स को दिया आदेश

इस संबंध में मंत्रालय ने सभी एयरलाइन्स को निर्देश दिया है. उनसे कहा गया कि वे सुझाई गई मूल्य सीमा का सख्ती से पालन करें.

आदेश की जानकारी देते हुए मंत्रालय ने बताया, "इस निर्देश का मकसद बाजार में कीमतों का अनुशासन बनाए रखना, परेशान यात्रियों को किसी भी तरह के शोषण से बचाना और यह सुनिश्चित करना है कि बुजुर्ग नागरिकों, छात्रों और मरीजों समेत सभी नागरिक जिन्हें जल्द यात्रा की जरूरत है, उन्हें इस समय आर्थिक दिक्कतों का सामना ना करना पड़े." 

मंत्रालय ने बताया कि 500 किलोमीटर तक का अधिकतम किराया 7,500 रुपया तय किया गया है. 500 से 1,000 किलोमीटर तक के लिए अधिकतम 12,000 रुपया और 1,000-1,500 किलोमीटर तक का अधिकतम 15,000 रुपया है.

1,500 किलोमीटर से ज्यादा के लिए सीमा 18,000 रुपया है. इस किराए में यात्री उपयोग विकास शुल्क (यूडीएफ), यात्री सेवा शुल्क (पीएसएफ) और टैक्स शामिल नहीं हैं. किराए की यह अधिकतम सीमा बिजनस क्लास और आरसीएस उड़ान फ्लाइट्स पर लागू नहीं होगी.

मंत्रालय ने यह आश्वासन भी दिया है कि वह कीमतों के स्तर पर नजर रखेगी और निर्देशों का पालन ना किए जाने की स्थिति में जनहित को देखते हुए कदम उठाएगी.

भारत में सरकार हवाई यात्रा की कीमतों को नियंत्रित नहीं करती है. हालांकि, उसके पास अधिकार है कि जरूरत पड़ने पर दखल दे और रेगुलेट करे. इससे पहले साल 2020 में कोविड महामारी के दौरान हवाई टिकट की कीमतों पर सीमा लगाई गई थी.

नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू किंजारापु ने एक सोशल पोस्ट में बताया कि इंडिगो को भी बिना किसी देरी के सभी यात्रियों के बकाया रीफंड का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने लिखा कि इंडिगो से ताकीद की गई है कि वह रद्द हुए या प्रभावित विमानों से जुड़ी रीफंड की समूची प्रक्रिया 7 दिसंबर की रात आठ बजे तक पूरी करे.

साथ ही, विमानों के रद्द होने या उड़ान में देरी के कारण जिन यात्रियों को उनका सामान नहीं मिला, उनका सारा सामान खोजकर अगले 48 घंटे के भीतर उनके घर, या उनके चुने पते पर भेजा जाए.

इस प्रकरण को लेकर सरकार की भी आलोचना हो रही है. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे अभूतपूर्व स्थिति बताते हुए सवाल उठाया कि आखिर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने क्यों सुनिश्चित नहीं किया कि नए नियमों का पालन हुआ या नहीं. कांग्रेस ने यह भी पूछा कि क्या सरकार ने इंडिगो को कोई चेतावनी दी, या नोटिस दिया. 

इंडियो की नाकामी का नतीजा है यह संकट

इंडिगो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है. स्टैटिस्टा के मुताबिक, साल 2025 के सितंबर महीने तक का डेटा बताता है कि घरेलू उड़ानों में इंडिगो का हिस्सा 63 फीसदी है. दूसरे नंबर पर 13.6 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ एयर इंडिया, इंडिगो से बहुत दूर है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, अक्टूबर 2025 तक भारत की घरेलू उड़ानों में लगभग 90 मिलियन यात्रियों ने इंडियो से सफर किया. इस संख्या के साथ बाजार में इंडिगो की हिस्सेदारी 64.5 प्रतिशत है. 

जहां तक मौजूदा संकट का सवाल है, तो नए नियमों के लिए समय रहते तैयारी ना करके ये दिक्कत इंडिगो ने खुद पैदा कीं.

सरकार हवाई यात्रा को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए पायलटों के काम करने और आराम करने के घंटों से जुड़े नए नियम लाई. इनके तहत, रात के समय लैंडिंग की संख्या छह से घटाकर दो कर दी गई. साथ ही, रात के समय पायलट अधिकतम 10 घंटे ही विमान उड़ा सकता है.

नए नियम लागू करने की समयसीमा 1 नवंबर थी. इंडिगो ने समय रहते दुरुस्त तैयारी नहीं की. फिर दिसंबर में यात्रा में तेजी आई, जिसकी एक वजह शादी का मौसम भी है. यात्रा में पीक आते ही इंडिगो की खराब तैयारी का नतीजा दिखने लगा.

इंडियो की नाकामी का नतीजा है यह संकट

इंडिगो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है. स्टैटिस्टा के मुताबिक, साल 2025 के सितंबर महीने तक का डेटा बताता है कि घरेलू उड़ानों में इंडिगो का हिस्सा 63 फीसदी है. दूसरे नंबर पर 13.6 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ एयर इंडिया, इंडिगो से बहुत दूर है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, अक्टूबर 2025 तक भारत की घरेलू उड़ानों में लगभग 90 मिलियन यात्रियों ने इंडियो से सफर किया. इस संख्या के साथ बाजार में इंडिगो की हिस्सेदारी 64.5 प्रतिशत है. 

जहां तक मौजूदा संकट का सवाल है, तो नए नियमों के लिए समय रहते तैयारी ना करके ये दिक्कत इंडिगो ने खुद पैदा कीं.

सरकार हवाई यात्रा को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए पायलटों के काम करने और आराम करने के घंटों से जुड़े नए नियम लाई. इनके तहत, रात के समय लैंडिंग की संख्या छह से घटाकर दो कर दी गई. साथ ही, रात के समय पायलट अधिकतम 10 घंटे ही विमान उड़ा सकता है.

नए नियम लागू करने की समयसीमा 1 नवंबर थी. इंडिगो ने समय रहते दुरुस्त तैयारी नहीं की. फिर दिसंबर में यात्रा में तेजी आई, जिसकी एक वजह शादी का मौसम भी है. यात्रा में पीक आते ही इंडिगो की खराब तैयारी का नतीजा दिखने लगा.

पायलटों की कमी के कारण 2 दिसंबर से इंडियो विमानों के संचालन में बड़े पैमाने पर दिक्कतें शुरू हुईं. हजारों की संख्या में उड़ानों के रद्द होने के कारण देश के घरेलू हवाई यात्रियों में से दो-तिहाई पर असर पड़ा. इंडिगो ने माना है कि नए नियमों के मद्देनजर ठीक से तैयारी करने में वो नाकाम रहा.

संकट के पांचवें दिन 6 दिसंबर को भी इंडिगो ने कई विमानों को रद्द किया है, लेकिन खबरों के मुताबिक स्थितियां पहले से कुछ सुधरी हैं. दिल्ली एयरपोर्ट ने सोशल पोस्ट में बताया कि विमानों का संचालन सामान्य होने की राह पर है. कई इंडिगो विमान अब भी प्रभावित हैं और यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे असुविधा से बचने के लिए एयरपोर्ट रवाना होने से पहले ही एयरलाइन से फ्लाइट की ताजा स्थिति जान लें.

पहले तो इंडिगो ने कहा कि 10 फरवरी से पहले विमानों के संचालन को पूरी तरह बहाल किए जाने की उम्मीद नहीं है. बाद में एयरलाइन ने कहा कि 10 से 15 दिसंबर के बीच सामान्य संचालन शुरू हो सकता है. 

संकट को देखते हुए इंडिगो ने सरकार से कुछ नए नियमों से फिलहाल छूट दिए जाने की अपील की. उसे 10 फरवरी तक कुछ नियमों से छूट दी गई है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इस प्रकरण की जांच का आदेश दिया है. मंत्रालय ने यह आश्वासन भी दिया कि जिम्मेदारी तय की जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह के संकट को रोका जा सके.स

वर्ल्ड एयरलाइन अवॉर्ड्स ने 2024 की 100 बेहतरीन एयरलाइंस की लिस्ट जारी की है. इसके टॉप 10 में तो कोई भारतीय एयरलाइन शामिल नहीं है. लेकिन 16वीं रैंकिंग के साथ विस्तारा को भारत की सबसे अच्छी एयरलाइन बताया गया है.

1. कतर एयरवेज

170 अंतरराष्ट्रीय डेस्टिनेशंस के लिए उड़ान भरने वाली कतर एयरवेज को दुनिया की सबसे अच्छी एयरलाइन माना गया है. खाड़ी देश कतर की सरकारी स्वामित्व वाली इस एयरलाइन के बेड़े में 200 से ज्यादा विमान हैं.

2. सिंगापुर एयरलाइंस

इस रैंकिंग में दूसरे स्थान पर है सिंगापुर एयरलाइंस. 1 मई 1947 को स्थापित हुई यह एयरलाइन अपनी सर्विस और आरामदायक हवाई सफर के लिए जानी जाती है. इसके बेड़े में अलग अलग आकार के 155 विमान हैं.

3. एमिरेट्स

एमिरेट्स मध्य पूर्व इलाके की सबसे बड़ी एयरलाइन है जिनके विमान हर हफ्ते लगभग 3,600 उड़ानें भरते हैं. इसका हब दुबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का टर्मिनल 3 है. यह 80 देशों में मौजूद 150 शहरों तक जाती है.

4. एएनए ऑल निपोन एयरवेज

यह जापान की सबसे बड़ी एयरलाइन है जिसका हेडक्वार्टर टोक्यो में है. इसकी स्थापना 1952 में हुई थी और इसमें लगभग 13 हजार कर्मचारी काम करते हैं. अपने 217 विमानों के बेड़े के साथ यह दुनिया की 92 डेस्टिनेशंस को जोड़ती है

5. कैथे पैसेफिक एयरवेज

178 विमानों के बेड़े वाली कैथे पैसेफिक एयरवेज को पांचवी सबसे अच्छी एयरलाइन माना गया है. इसका मुख्यालय हांगकांग में है और यह दुनिया के 83 शहरों तक जाती है.

6. जापान एयरलाइंस

1951 में स्थापित जापान एयरलाइंस का 1953 में राष्ट्रीय करण कर दिया गया. लेकिन इसके तीन दशक बाद 1987 में यह पूरी तरह एक प्राइवेट एयरलाइन बन गई. आज इसके पास 279 विमान हैं और यह दुनिया के 220 शहरों को जोड़ती है.

7. टर्किश एयरलाइंस

बीते कुछ सालों में जो एयरलाइंस तेजी से उभरी हैं, उनमें टर्किश एयरलाइंस का नाम भी आता है. हालांकि 20 मई 1933 में स्थापित इस एयरलाइन का इतिहास खासा पुराना है. आज यह 370 विमानों के अपने बेड़े के साथ 126 देशों में उड़ान भरती है.

8. एवा एयर

यह ताइवानी एयरलाइन है जिसका मुख्यालय ताओयुआन शहर में है. यह प्राइवेट एयरलाइन है जो एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 40 शहरों के लिए उड़ान भरती है. 1991 से सक्रिय इस एयरलाइन के बेड़े में 83 विमान हैं.

9. एयर फ्रांस

30 अगस्त 1933 को कई एयरलाइंस को मिलाकर एयर फ्रांस अस्तित्व में आई. आज इसके बेड़े में 218 विमान हैं और इसे टॉप 10 एयरलाइंस में नौवें पायदान पर रखा गया है. इसकी उड़ानें दुनिया के 184 डेस्टिनेशंस को जोड़ती हैं.

10. स्विस इंटरनेशनल एयरलाइंस

88 विमानों के बेड़े वाली स्विस इंटरनेशनल एयरलाइंस का हब ज्यूरिख एयरपोर्ट है. इसकी स्थापना 31 मार्च 2002 को हुई और आज इसके डेस्टिनेशंस में दुनिया के 120 शहर शामिल हैं.

टॉप 100 एयरलाइंस की सूची में 16वें पायदान पर विस्तारा को जगह दी गई है. 2013 में स्थापित इस भारतीय एयरलाइन ने एविएशन की दुनिया में तेजी से जगह बनाई है. इसके बेड़े में 70 विमान हैं जो 50 डेस्टिनेशंस तक जाते हैं.

भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो को 52वें पायदान पर रखा गया है. 2024 में भारतीय बाजार के 61 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर इस बजट एयरलाइन का ही कब्जा रहा है. 362 विमानों के साथ इंडिगो 122 डेस्टिनेशंस तक मुसाफिरों को ले जाती है.

दुनिया की 100 सबसे अच्छी एयरलाइंस में एयर इंडिया बहुत नीचे आती है. लंबे समय तक कुप्रबंधन और आर्थिक समस्याओं से जूझने वाली इस एयरलाइन को टाटा समूह ने अपने हाथ में लिया. इसके बेड़े में 142 विमान हैं जो 84 डेस्टिनेशंस तक जाते हैं.

 


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