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अल फ़लाह यूनिवर्सिटी: दिल्ली ब्लास्ट के बाद चर्चा में आए इस संस्थान को चलाता कौन है?
13-Nov-2025 2:45 PM
अल फ़लाह यूनिवर्सिटी: दिल्ली ब्लास्ट के बाद चर्चा में आए इस संस्थान को चलाता कौन है?

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से क़रीब 35 किलोमीटर दूर धौज गाँव की सीमा शुरू होते ही पुलिस के बैरिकेड दिखाई देते हैं.

दर्जनों जवान यहाँ से आने-जाने वाली हर गाड़ियों की जाँच कर रहे हैं.

संदेह होने पर ड्राइवर के फ़ोन नंबर सहित अधिक जानकारियाँ नोट भी कर रहे हैं.

यहाँ से क़रीब दो-ढाई किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग से एक किलोमीटर हटकर अल फ़लाह यूनिवर्सिटी का 70 एकड़ से अधिक में फ़ैला और चारदीवारी से घिरा विशाल कैम्पस है.

यूनिवर्सिटी के गेट के बाहर मुस्तैद सुरक्षाकर्मी पत्रकारों को भीतर जाने से रोक रहे हैं.

यहाँ बड़ी संख्या में पत्रकार मौजूद हैं, जो यूनिवर्सिटी कैम्पस से बाहर निकल रहे लोगों से बात करने की कोशिश में माइक आगे बढ़ाते हैं लेकिन अधिकतर लोग बिना कोई प्रतिक्रिया दिए निकल जाते हैं.

कुछ पत्रकार बाहर निकल रहे लोगों का पीछा तक करते हैं. इस शोर-शराबे के बीच लोग ख़ामोश हैं और उनके चेहरों पर झिझक और डर साफ़ नज़र आता है.

वर्ष 2014 में स्थापित ये यूनिवर्सिटी इस साल अक्तूबर के अंत में तब चर्चा में आई, जब यहाँ पढ़ाने वाले एक डॉक्टर प्रोफ़ेसर को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा पुलिस के साथ एक साझा ऑपरेशन में गिरफ़्तार किया.

लेकिन 10 नवंबर को दिल्ली में हुए धमाके के बाद यह यूनिवर्सिटी जाँच का केंद्र बन गई है.

बुधवार को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए), हरियाणा पुलिस, जम्मू-कश्मीर पुलिस और यूपी पुलिस के दलों ने कैम्पस में जाँच की.

मैकेनिकल इंजीनियर ने स्थापित की यूनिवर्सिटी

हरियाणा विधानसभा में साल 2014 में पारित एक क़ानून के तहत स्थापित इस यूनिवर्सिटी का संचालन दिल्ली के ओखला (जामिया नगर) में पंजीकृत अल-फ़लाह चैरिटेबल ट्रस्ट करता है.

पेशे से इंजीनियर और प्रोफ़ेसर जावेद अहमद सिद्दीक़ी 1995 में पंजीकृत इस ट्रस्ट के संस्थापक और चेयरपर्सन हैं.

अल फ़लाह चैरिटेबल ट्रस्ट ने 1997 में शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने शुरू किए थे.

सबसे पहले फ़रीदाबाद के धौज गाँव में ट्रस्ट ने एक इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किया था.

इसके बाद ट्रस्ट ने कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन और ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग की स्थापना साल 2006 और 2008 में की.

आगे चलकर यही यूनिवर्सिटी बनीं और साल 2015 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने भी इस यूनिवर्सिटी को मान्यता दी.

यहाँ मेडिकल विषयों की पढ़ाई साल 2016 में शुरू हुई और साल 2019 में अल-फ़लाह स्कूल ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ को मान्यता मिली.

अब इस मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के अलावा 2023 से मेडिकल साइंसेज़ में पीजी कोर्स भी संचालित होते हैं. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर इसे राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यापन परिषद (एनएएसी) से प्रमाणित बताया है हालांकि एनएएसी ने एक बयान जारी कर इस प्रमाण पत्र को फ़र्ज़ी बताया है.

यहाँ प्रति वर्ष 200 एमबीबीएस छात्रों के दाख़िले होते हैं और इस समय एक हज़ार से अधिक छात्र मेडिकल कोर्सेज़ में पंजीकृत हैं. इसके अलावा यहाँ पैरा-मेडिकल कोर्स भी चलते हैं.

अल फ़लाह चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरपर्सन और अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी के चांसलर जावेद अहमद सिद्दीक़ी ख़ुद इंजीनियर हैं.

इंदौर के देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय से इंडस्ट्रियल एंड प्रोडक्ट डिज़ाइन में बीटेक की डिग्री लेने वाले डॉ.जावेद सिद्दीक़ी अल-फ़लाह चैरिटेबल ट्रस्ट के अलावा कई अन्य कंपनियों के संस्थापक हैं.

उन्होंने साल 1996 में अल-फ़लाह इन्वेस्टमेंट लिमिटेड की स्थापना भी की थी. सिद्दीक़ी पर इस कंपनी के ज़रिए निवेश में धोखाधड़ी का आरोप लगा था और उन पर मुक़दमा भी दर्ज हुआ था.

सिद्दीक़ी साल 2000 में दर्ज धोखाधड़ी के इसी मामले में तीन साल से अधिक समय तक जेल में भी रहे. हालाँकि उन्हें साल 2005 में बरी कर दिया गया था.

वो जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में भी पढ़ा चुके हैं.

दिल्ली ब्लास्ट के बाद सुर्ख़ियों में यूनिवर्सिटी

भारत सरकार ने दिल्ली में लाल क़िले के सामने 10 नवंबर की शाम हुए धमाके को अब 'टेरर अटैक' माना है.

अब तक की जाँच में जिन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, उनमें से कुछ लोगों का संबंध अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी से है.

जम्मू-कश्मीर पुलिस और हरियाणा पुलिस ने एक साझा अभियान में अक्तूबर माह के अंत में डॉ. मुज़म्मिल शकील को गिरफ़्तार किया था.

2017 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाले डॉ. मुज़म्मिल शक़ील अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में फिज़ियोलॉजी विभाग में शिक्षक हैं.

फ़रीदाबाद पुलिस के एक बयान के मुताबिक़ मुज़म्मिल शक़ील की निशानदेही पर भारी मात्रा में विस्फ़ोटक पदार्थ और रसायन बरामद किए गए थे.

फ़रीदाबाद के पुलिस कमिश्नर सतेंद्र कुमार ने 10 नवंबर को पत्रकारों से बातचीत में कहा था,"फ़रीदाबाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस की जाँच के दौरान बड़ी मात्रा में आईईडी बनाने का सामान और गोला-बारूद बरामद हुआ है."

उन्होंने डॉक्टर मुज़म्मिल शक़ील की गिरफ़्तारी की पुष्टि भी की थी.

जाँच एजेंसियों ने डॉ. मुज़म्मिल शकील की निशानदेही पर असॉल्ट राइफ़ल और पिस्टल समेत हथियार भी बरामद करने का दावा किया है.

फ़रीदाबाद के पुलिस कमिश्नर के पीआरओ यशपाल ने बीबीसी से इस बात की पुष्टि की है कि इस यूनिवर्सिटी से ही जुड़ी एक और डॉ. शाहीन सईद को भी जाँच एजेंसियों ने हिरासत में लिया है.

2002 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाली डॉ. शाहीन यूनिवर्सिटी के फॉर्माकोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं. फ़रीदाबाद पुलिस ने बीबीसी से डॉ. शाहीन सईद की गिरफ़्तारी की पुष्टि की है

समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में शाहीन के भाई मोहम्मद शोएब ने बताया कि पुलिस और एटीएस की टीम उनके घर पर आई थी और पूछताछ हुई थी.

जबकि उनके पिता का कहना था कि शाहीन पर लगे आरोपों पर उन्हें भरोसा नहीं है.

डॉक्टर शाहीन ने कुछ समय कानपुर में भी पढ़ाया था. इस मामले को लेकर कानपुर पुलिस ने भी कई लोगों से पूछताछ की है.

कानपुर के ज्वाइंट सीपी (लॉ एंड ऑर्डर) आशुतोष कुमार के मुताबिक़ शाहीन जेएसम कॉलेज में पढातीं थी.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने दिल्ली पुलिस के सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि डीएनए टेस्ट से इसकी पुष्टि हुई है कि लाल क़िले के पास जिस कार में धमाका हुआ, उसे डॉक्टर उमर नबी ही चला रहे थे.

2017 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाले डॉ. उमर नबी जनरल मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत थे.

डॉ. उमर नबी के परिजनों से भी पूछताछ की गई है.

डॉक्टर उमर नबी की भाभी मुज़म्मिल अख़्तर ने बीबीसी को बताया कि सोमवार देर रात पुलिस की टीम पुलवामा के कोइल गाँव में उनके घर पर आई थी. उमर के कुछ अन्य रिश्तेदार से भी पूछताछ की गई है.

हालाँकि इस बारे में जाँच एजेंसियों की तरफ़ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है.

दूसरी ओर अल फ़लाह यूनिवर्सिटी ने ख़ुद को इन तीनों डॉक्टरों से अलग करते हुए कहा है कि यूनिवर्सिटी के साथ उनका संबंध सिर्फ़ पेशेवर था.

क्या कहा है यूनिवर्सिटी ने?

अल-फ़लाह स्कूल ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ की प्रिंसिपल डॉ. भूपिंदर कौर की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है, "हमें पता चला है कि हमारे दो डॉक्टरों को जाँच एजेंसियों ने हिरासत में लिया है. हम ये स्पष्ट करना चाहते हैं कि इन दोनों व्यक्तियों का यूनिवर्सिटी से कोई संबंध नहीं है. ये पेशेवर हैसियत में हमारे साथ काम कर रहे थे."

यूनिवर्सिटी ने कहा है कि किसी तरह के रसायनों या विस्फोटक पदार्थों से संस्थान का कोई संबंध नहीं है और संस्थान जाँच एजेंसियों का पूरा सहयोग कर रहा है.

अपने बयान में यूनिवर्सिटी ने कहा है कि संस्थान को दिल्ली के लाल क़िले के पास हुई घटना के साथ जोड़ने से छात्रों के लिए दिक़्क़तें हो रही हैं.

बीबीसी ने ट्रस्ट के चेयरपर्सन डॉ. जावेद अहमद सिद्दीक़ी और मेडिकल कॉलेज का पक्ष जानने का प्रयास किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल सका.

स्टू़डेंट्स में डर

इस यूनिवर्सिटी में देश के अलग-अलग हिस्सों से छात्र पढ़ने आते हैं.

मेडिकल कोर्सेज के अधिकतर छात्र परिसर में बने हॉस्टल में रहते हैं, जबकि अन्य कोर्सेज के छात्र आसपास के इलाक़ों में लॉज या किराए के कमरों में रहते हैं.

दिल्ली में हुए हमले की जाँच के दायरे में यूनिवर्सिटी के आने के बाद से ही कई छात्र आशंकित और डरे हुए हैं.

इसी यूनिवर्सिटी से पैरा-मेडिकल कोर्स करने और अब यहाँ पढ़ रहे एक छात्र ने अपना नाम न ज़ाहिर करते हुए बताया, "जिन डॉक्टरों की गिरफ़्तारी की गई है वह हमारे कॉलेज से ही जुड़े हैं. जब से ये घटनाक्रम हुआ है छात्र डरे हुए और आशंकित हैं."

मेडिकल कॉलेज से जुड़ा 650 बेड का एक अस्पताल भी है, जिसमें आसपास के इलाक़े के अलावा दूर-दूर से भी मरीज़ इलाज कराने आते हैं.

जाँच के बीच यहाँ मरीज़ों का आना जारी है, हालाँकि उनकी संख्या में गिरावट ज़रूर हुई है.

अस्पताल में काम करने वाले एक अन्य स्टाफ़ ने बताया, "इस घटनाक्रम के बाद से इलाज कराने आ रहे मरीज़ों की संख्या में भारी गिरावट आई है. अब पहले से आधे मरीज़ ही आ रहे हैं."

उत्तर प्रदेश के रहने वाले विश्वास जॉनसन ने बताया, "इसी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद मुझे आसानी से संस्थान में ही नौकरी मिल गई. यहाँ देश के हर हिस्से से छात्र पढ़ने आते हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा संख्या यूपी और बिहार से आने वाले छात्रों की है."

विश्वास कहते हैं, "यहाँ मेडिकल कोर्सेज में पढ़ाई का माहौल बेहतर है. हालाँकि पैरा-मेडिकल कोर्स में पढ़ने वाले छात्रों पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है."

विश्वास भी डरे हुए हैं. वो कहते हैं, "कैंपस में भारी पुलिस है. छात्रों में डर का मौहल है. डॉ. शाहीना सईद ने हमें पढ़ाया है. डॉ. मुज़म्मिल को भी मैंने परिसर में कई बार देखा है."

मेडिकल के एक छात्र ने अपना नाम ज़ाहिर न करते हुए कहा, "छात्र आशंकित हैं, अगर यूनिवर्सिटी पर असर हुआ तो इससे छात्रों का भी भविष्य प्रभावित हो सकता है. नए छात्रों में डर और आशंकाएँ और भी ज़्यादा हैं."

एक अन्य छात्र ने बताया, "यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों से संयम बनाए रखने की अपील की है."

11 साल से यहाँ सुरक्षा गार्ड का काम कर रहे एक व्यक्ति के मुताबिक़ डॉक्टरों की गिरफ़्तारी के बाद से कर्मचारी भी आशंकित हैं.

वो कहते हैं, "इतने साल यहाँ काम करते हुए हो गए, कभी ऐसा नहीं सुना. अब यहाँ जाँच चल रही है, बार-बार पुलिस आ रही है. इससे यहाँ काम करने वालों के मन में भी सवाल हैं."

कहाँ मिले विस्फोटक?

हरियाणा पुलिस के मुताबिक़, अल फ़लाह यूनिवर्सिटी के नज़दीक ही धौज गाँव और फ़तेहपुर तगा गाँव से डॉ. मुज़म्मिल की निशानदेही पर विस्फोटक बरामद हुए हैं.

डॉ. मुज़म्मिल ने धौज गाँव में एक कमरा किराए पर लिया था. जाँच एजेंसियों ने यहाँ से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद करने का दावा किया है.

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर फ़रीदाबाद में कार्रवाई की थी.

जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने भी इस बारे में विस्तार से जानकारी दी थी.

पुलिस के बयान के मुताबिक़ अब तक 2900 किलो से अधिक आईईडी बनाने की सामग्री और अन्य रासायनिक पदार्थ बरामद हुए हैं.

डॉ. मुज़म्मिल ने इसी साल सितंबर में धौज में एक कमरा किराए पर लिया था. यहाँ भी जाँच एजेंसियाँ पड़ताल कर रही हैं.

इस मकान के मालिक से भी पुलिस ने पूछताछ की है, जिसके बाद से वो भी डरे हुए हैं.

वहीं अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी से क़रीब तीन किलोमीटर दूर भी डॉ. मुज़म्मिल ने एक कमरा किराए पर लिया था. पुलिस ने यहाँ भी विस्फोटक और रसायन बरामद करने का दावा किया है.

फ़तेहपुर तगा गाँव की नई बन रही डेहरा बस्ती के आख़िरी छोर पर वो घर अब खुला पड़ा है, जहाँ कथित रूप से विस्फोटक बरामद किए गए. यहाँ भी लोग बात करने से डरते हैं.

इस घर के ठीक सामने रहने वाली एक महिला ने बीबीसी से कहा, "दो दिन पहले यहाँ पुलिस आई थी. कहा जा रहा है कि कोई डॉक्टर हैं, जिन्होंने ये कमरा किराए पर लिया था. मैंने उन्हें कभी यहाँ नहीं देखा ना ही मीडिया में आने से पहले उनका नाम सुना था."

इस मकान में अन्य किराएदार भी रहते हैं, जो फ़िलहाल यहाँ मौजूद नहीं थे.

इस मकान के मालिक नूर मोहम्मद इश्तियाक़ अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी में बनीं मस्जिद के इमाम भी हैं. उन्हें भी हिरासत में लिया गया है.

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उनके भाई ने बताया कि मकान का एक कमरा कुछ डॉ. मुज़म्मिल को किराए पर दिया गया था.

अपने भाई को बेग़ुनाह बताते हुए उन्होंने कहा, "मेरे भाई 20 साल से उस मस्जिद में इमाम हैं, इमाम की हैसियत से वो नमाज़ पढ़ने आने वाले डॉक्टरों और छात्रों से बात भी करते थे. इसके अलावा उनका किसी से कोई संबंध नहीं है."

बढ़ा जाँच का दायरा

अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी परिसर में जाँच जारी है. बुधवार को यहाँ कई राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियाँ मौजूद रहीं.

एक सुरक्षा गार्ड के मुताबिक़, मंगलवार के बाद से यहाँ लगातार जाँच एजेंसियों से जुड़े लोग आ रहे हैं.

हालाँकि इसे लेकर आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.

बुधवार रात होने तक भी कई जाँच टीमें अल-फ़लाह यूनिवर्सिटी परिसर में मौजूद थीं.

गेट पर मौजूद एक सुरक्षा गार्ड कहते हैं, "अब पहले से ज़्यादा पुलिस आ रही है. आगे क्या होगा किसी को नहीं पता."

वहीं, यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में क़रीब 70 किलोमीटर दूर से इलाज कराने आए एक व्यक्ति ने कहा, "यहाँ इलाज कुछ सस्ता हो जाता है इसलिए आते हैं."

लगातार आगे बढ़ रही लाल क़िले के पास हुए हमले की जाँच ने यूनिवर्सिटी के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

इन सवालों से सबसे ज़्यादा परेशान यहाँ पढ़ने वाले छात्र हैं.

पैरा-मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने कहा, "किसी को अंदाज़ा भी नहीं था कि यूनिवर्सिटी का नाम इतने बड़े हमले से जुड़ेगा. अब इसका असर हम सबके भविष्य पर पड़ेगा. यूनिवर्सिटी की बहुत बदनामी हो रही है, हम जैसे छात्रों को इसे भुगतना पड़ सकता है."

(bbc.com/hindi)

 


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