राष्ट्रीय

ज्वाला गुट्टा ने डोनेट किया ब्रेस्ट मिल्क, इसे लेकर क्या कहते हैं नियम और कौन कर सकता है दान?
18-Sep-2025 8:15 PM
ज्वाला गुट्टा ने डोनेट किया ब्रेस्ट मिल्क, इसे लेकर क्या कहते हैं नियम और कौन कर सकता है दान?

‘मां के दूध से जीवन बचता है। प्रीमेच्यूर और बीमार बच्चों के लिए डोनर मिल्क जीवन बचाने वाला हो सकता है। अगर आप डोनेट कर सकती हैं तो आप किसी ज़रूरतमंद परिवार के लिए हीरो बन सकती हैं। इस बारे में अधिक जानकारी लें और मिल्क बैंक की मदद करें।’

दूसरी बार मां बनीं भारत की चर्चित बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करने को लेकर हाल ही में सोशल मीडिया पर ये लिखा।

रिपोर्टों के मुताबिक़, ज्वाला गुट्टा ने कऱीब तीस लीटर ब्रेस्ट मिल्क बैंक को डोनेट किया है।

उन्होंने ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करने को लेकर तस्वीरें भी शेयर की हैं और अन्य महिलाओं को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

डोनेट किए गए ब्रेस्ट मिल्क की ज़रूरत ऐसे नवजात बच्चों के लिए पड़ती है जो समय से पहले पैदा होते हैं या जिनमें जन्म के वक़्त वजऩ कम होता है। जन्म के समय मां को खो देने वाले नवजात बच्चों के लिए भी डोनेट किए गए ब्रेस्ट मिल्क की ज़रूरत पड़ती है।

डोनेट किए गए ब्रेस्ट मिल्क को मिल्क बैंक में एक तय तापमान पर रखा जाता है ताकि ज़रूरत पडऩे पर इसका इस्तेमाल किया जा सके।

बच्चों को दूध पिलाने वाली माएं ऐसे डोनेशन बैंक में जाकर अतिरिक्त ब्रेस्ट मिल्क को डोनेट कर सकती हैं। इसके अलावा तय नियमों का पालन करते हुए इसे ब्रेस्ट मिल्क बैंक में रखने के लिए भेजा जा सकता है।

जरूरत जितना डोनेशन नहीं

ब्रेस्ट मिल्क सिर्फ स्वेच्छा से ही डोनेट किया जा सकता है और सिफऱ् वो महिलाएं ही ये डोनेशन कर सकती हैं जो अपने सेहतमंद बच्चे की ज़रूरत से अधिक दूध पैदा करती हैं।

माएं अपने बच्चों की ज़रूरतों के लिए भी अतिरिक्त ब्रेस्ट मिल्क को बैंक में स्टोर करवा सकती हैं और ज़रूरत पडऩे पर उसका इस्तेमाल कर सकती हैं।

दिल्ली के लेडी हॉर्डिंग मेडिकल कॉलेज में नियोनेटोलॉजी की विभाग प्रमुख और डॉक्टर प्रोफ़ेसर सुषमा नांगिया कहती हैं, ‘बच्चों के लिए अपनी मां का दूध सर्वोत्तम होता है। यदि किसी कारणवष मां का दूध उपलब्ध नहीं है तब बच्चों को डोनेट किया गया ब्रेस्ट मिल्क दिया जाता है।’

भारत में ब्रेस्ट मिल्क डोनेशन को लेकर राष्ट्रीय स्तर का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। लेकिन कुछ मिल्क बैंकों में किए गए शोध से से आंकड़े मिलते हैं।

इंटरनेशनल ब्रेस्टफ़ीडिंग जर्नल में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक़ भारत में कोविड महामारी के दौरान डोनेट किए जाने वाले ब्रेस्ट मिल्क का संकलन कम हुआ था जबकि पाश्चुरीकृत डोनर ह्यूमन मिल्क (पीएचडीएम) की मांग बढ़ी थी।

इस लेख के मुताबिक़ 80 बेड के एक एनआईसीयू (न्यूनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) के लिए एक महीने में औसतन पंद्रह लीटर पीएचडीएम (दूध) की ज़रूरत पड़ती है।

एक और रिपोर्ट के मुताबिक़, त्रिची के महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल (एचजीएमजीएच) में जुलाई 2025 में बच्चों को दूध पिलाने वाली 639 महिलाओं ने कुल 192 लीटर मिल्क डोनेट किया जिससे एनआईसीयू में भर्ती 634 नवजात बच्चों को फ़ायदा पहुंचा।

डोनेशन के लिए जागरूकता की ज़रूरत

भारत में पहला ह्यूमन मिल्क बैंक साल 1989 में मुंबई के लोकमान्य तिलक अस्पताल में स्थापित हुआ था।

साल 2019 तक भारत में सिर्फ 22 ह्यमन मिल्क बैंक संचालित थे जबकि साल 2021 तक ये आंकड़ा 90 के कऱीब था।

अनुमान के मुताबिक़, भारत के अलग-अलग हिस्सों में फिलहाल लगभग सौ मिल्क बैंक हैं। रिपोर्टों के मुताबिक़ मिल्क बैंक पर्याप्त ब्रेस्ट मिल्क इक_ा करने के लिए संघर्ष करते हैं।

दिल्ली में दो ही सरकारी मिल्क बैंक हैं। एक लेडी हार्डिंग अस्पताल में और एक एम्स में। इसके अलावा सफ़दरजंग अस्पताल में लेक्टेशन मैनेजमेंट यूनिट है।

दिल्ली की गैर सरकारी अमारा मिल्क बैंक के प्रमुख डॉ। रघुराम मलाया के मुताबिक़, ‘उनके मिल्क बैंक में हर महीने कऱीब चालीस लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट किया जाता है जो मांग के मुक़ाबले बहुत कम है।’

डॉ. रघुराम कहते हैं, ‘हम एक गैर सरकारी संस्था हैं और दिल्ली एनसीआर के कऱीब सौ अस्पतालों में ज़रूरत पडऩे पर ब्रेस्ट मिल्क की आपूर्ति करते हैं। ये प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर ही दिया जाता है। एनआईसीयू में भर्ती होने वाले बच्चों के लिए ब्रेस्ट मिल्क की मांग बहुत अधिक है और हम सीमित ब्रेस्ट मिल्क ही प्रोसेस कर पाते हैं।’

अमारा मिल्क बैंक घर से भी किट के ज़रिए ब्रेस्ट मिल्क एकत्रित करता है।

डॉ. मलाया कहते हैं, ‘ब्रेस्ट मिल्क डोनेशन को लेकर जागरुकता आनी चाहिए क्योंकि ये बहुत से बच्चों की जान बचाने में मददगार साबित होता है।’

वहीं, डॉ. सुषमा नांगिया कहती हैं, ‘मिल्क बैंक को पर्याप्त मात्रा में ब्रेस्ट मिल्क नहीं मिल पाता है। ब्रेस्ट मिल्क डोनेशन को लेकर जागरूकता की ज़रूरत है लेकिन साथ ही ये सुनिश्चित किया जाना भी कि ये सिफऱ् स्वेच्छा से हो और सिफऱ् वह माएं ही डोनेट करें जो अपने बच्चों की ज़रूरत पूरी कर पा रही हैं और जो पूरी तरह सेहतमंद हैं।’

कमज़ोर बच्चों के लिए जीवनरक्षक

भारत में ब्रेस्ट मिल्क डोनेशन को लेकर नियम स्पष्ट हैं। यही नहीं ब्रेस्ट मिल्क की खऱीद-फऱोख़्त पर मौजूदा नियमों के तहत रोक है। अनुमानों की मुताबिक़, एनआईसीयू में भर्ती बच्चों की ज़रूरत को पूरा करने लायक ब्रेस्ट मिल्क डोनेट नहीं हो पाता है।

डॉ. सुषमा कहती हैं, ‘नियोनेटल केयर यूनिट यानी एनआईसीयू में भर्ती उन बच्चों को ब्रेस्ट मिल्क दिया जाता है जिनके लिए मां का दूध उपलब्ध नहीं हो पाता है और जो अंडरवेट होते हैं। इस जरूरत को ह्यूमन मिल्क बैंक से पूरा किया जाता है।’

अगर कोई बच्चा 37 सप्ताह के गर्भ से पहले जन्म लेता है तो उसे प्रीमेच्योर कहा जाता है। भारत में जन्म लेने वाले कुल बच्चों में से एक प्रतिशत से भी कम को एनआईसीयू में भर्ती होने की ज़रूरत पड़ती है।

डोनेट किए गए ब्रेस्ट मिल्क की ज़रूरत इन्हीं बच्चों को पड़ती है।

डॉ. सुषमा नांगिया कहती हैं, ‘एनआईसीयू में भर्ती बच्चों के लिए ब्रेस्ट मिलक जीवनरक्षक होता है। डोनर मिल्क विशेष रूप से प्रीमेच्योर (असमय जन्में) या जटिल मेडिकल कंडीशंस वाले नवजातों के लिए उपयोग किया जाता है।’

डॉ. नांगिया कहती हैं, ‘किसी भी बच्चे के लिए अपनी मां का दूध जिसे हम ‘मॉम्स ओन मिल्क’ कहते हैं, सर्वश्रेष्ठ और सर्वोत्तम हैं। ये जैनिक दूध एक कवच की तरह होता है जो नवजातों को कई बीमारियों से बचाता है। जब किसी कारणवश मां का दूध मिलना संभव ना हो, खासकर नियोनेटल इंटेंसिव केयर में भर्ती बच्चों के लि, तब डोनर मिल्क उपयोग किया जा सकता है, जो मां के दूध का पूरक होता है। लेकिन यह रिप्लेसमेंट नहीं है, बल्कि एक ब्रिज या गैप सपोर्ट होता है।’

यह मिल्क बैंक के माध्यम से ज़रूरतमंद बच्चों को दिया जाता है, जहां दूध को पैश्चराइज और टेस्ट किया जाता है ताकि संक्रमण से बचा जा सके। यह प्रक्रिया बहुत सावधानी और सफाई के साथ की जाती है।

कौन ब्रेस्ट मिल्क डोनेट कर सकता है?

डॉक्टरों का कहना है कि केवल ऐसी महिलाएं जो अपने बच्चे की ज़रूरत को पूरा कर पा रहीं हो और अतिरिक्त दूध पैदा कर रही हों, वे ही ब्रेस्ट मिल्क डोनेट कर सकती हैं।

डोनेशन से पहले डोनर महिला का मेडिकल टेस्ट अनिवार्य है, जिसमें हेपेटाइटिस बी, सी, एचआईवी, सिफिलिस जैसे संक्रमणों के लिए ब्लड टेस्ट शामिल हैं। तंबाकू का सेवन या अधिक अल्कोहल का सेवन करने वाली महिलाएं डोनेट नहीं कर सकती हैं।

डॉ. सुषमा नांगिया कहती हैं, ‘सिर्फ पूरी तरह से स्वस्थ, किसी भी संक्रमण या मेडिकल कंडीशन या एडिक्शन से मुक्त महिलाएं ही ब्रेस्ट मिल्क डोनेट कर सकती हैं। इसके अलावा तय प्रक्रिया के तहत ही मिल्क डोनेट किया जाना चाहिए।’

मिल्क डोनेट करने की चाह रखने वाली महिलाएं मिल्क बैंक जाकर अपने टेस्ट करवा सकती हैं और मिल्क डोनेट कर सकती हैं। इसके अलावा मिल्क डोनेशन के लिए किट भी आते हैं।

कैसे निकाला जाता है ब्रेस्ट मिल्क?

ब्रेस्ट मिल्क को स्टेरलाइज्ड पंप से निकाला जाता है और बैच में संग्रहित कर-20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जाता है। इसके बाद इक_ा किए गए ब्रेस्ट मिल्क को पैश्चराइज किया जाता है ताकि उसमें मौजूद जीवाणुओं को खत्म किया जा सके और संक्रमण से बचा जा सके।

इस पैश्चराइज्ड दूध की शेल्फ़ लाइफ़ लगभग तीन महीने होती है यदि इसे सही तापमान पर रखा गया हो। यानी डोनेट किए जाने के तीन महीने तक इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

डॉ. सुषमा नांगिया कहती हैं, ‘ये सुनिश्चित किया जाना बेहद जरूरी होता है कि ब्रेस्ट मिल्क को सही से निकाला गया है और सुरक्षित तापमान पर रखा गया हो। उन्नत मिल्क बैंक में ही ये संभव हो पाता है।’

ह्यूमन मिल्क बैंक सीमित संख्या में हैं। उदाहरण के तौर पर दिल्ली जैसे बड़े शहर में सिफऱ् दो ब्रेस्ट मिल्क बैंक हैं। लेकिन इसकी ज़रूरत लगभग हर एनआईसीयू में पड़ती है। डॉ। सुषमा कहती हैं कि इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए ब्रेस्ट मिल्क बैंकिंग में एक हब-एंड-स्पोक मॉडल कारगर साबित हो सकता है।

डॉ. नांगिया कहती हैं, ‘एक बड़ा ब्रेस्ट मिल्क बैंक या सेंटर हो और आसपास के अस्पतालों से ब्रेस्ट मिल्क संग्रह कर उसका पैश्चराइजेशन और वितरण किया जाए। एक मिल्क बैंक दस किलोमीटर तक के दायरे के एनआईसीयू की जरूरतों को पूरा कर सकता है।’ (bbc.com/hindi)


अन्य पोस्ट