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क्या दूध भी नॉन-वेज होता है?
21-Jul-2025 4:54 PM
क्या दूध भी नॉन-वेज होता है?

भारत में आजकल 'नॉन वेज दूध' की काफी चर्चा हो रही है और ये चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि माना जा रहा है कि इसी की वजह से भारत और अमेरिका के बीच एक बड़ी ट्रेड डील रुकी हुई है.

  डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट- 
भारत अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट के बारे में यह सुनिश्चित करना चाहता है कि वो ऐसे पशुओं का हो जिन्हें मांसाहारी चारा न खिलाया जाता हो. लेकिन अमेरिका के लिए ऐसा करना संभव नहीं है.

इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि इन देशों में दुधारू पशुओं को सिर्फ दूध के लिए नहीं बल्कि मांस के लिए पाला जाता है. डॉक्टर राकेश कुमार शुक्ल कहते हैं, "मांसाहारी चारा दुधारू पशुओं को उन देशों में दिया जाता है जहां मीट बेस्ड इंडस्ट्री है. यानी जहां ये पशु मुख्य रूप से मांस के लिए पाले जाते हैं, न कि दूध के लिए. मांसाहारी चारे से पशुओं में मांस बढ़ जाता है. दूध उनके लिए इतने काम का नहीं है. पशुओं को मांस खिलाते भी इसीलिए हैं क्योंकि इससे दूध की गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ता, लेकिन मांस की मात्रा बढ़ जाती है. इसीलिए ये अतिरिक्त दूध वो भारत में बेचना चाह रहे हैं.”

भारत अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट के बारे में यह सुनिश्चित करना चाहता है कि वो ऐसे पशुओं का हो जिन्हें मांसाहारी चारा न खिलाया जाता हो. लेकिन अमेरिका के लिए ऐसा करना संभव नहीं है.

इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि इन देशों में दुधारू पशुओं को सिर्फ दूध के लिए नहीं बल्कि मांस के लिए पाला जाता है. डॉक्टर राकेश कुमार शुक्ल कहते हैं, "मांसाहारी चारा दुधारू पशुओं को उन देशों में दिया जाता है जहां मीट बेस्ड इंडस्ट्री है. यानी जहां ये पशु मुख्य रूप से मांस के लिए पाले जाते हैं, न कि दूध के लिए. मांसाहारी चारे से पशुओं में मांस बढ़ जाता है. दूध उनके लिए इतने काम का नहीं है. पशुओं को मांस खिलाते भी इसीलिए हैं क्योंकि इससे दूध की गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ता, लेकिन मांस की मात्रा बढ़ जाती है. इसीलिए ये अतिरिक्त दूध वो भारत में बेचना चाह रहे हैं.”

धार्मिक आस्था और संस्कृति

भारत में हालांकि मांसाहारी लोगों की संख्या शाकाहारी लोगों की तुलना में काफी ज्यादा है लेकिन यहां गाय जैसे दुधारू पशु सिर्फ दूध के लिए नहीं पाले जाते बल्कि उनके साथ धार्मिक आस्था और संस्कृति भी जुड़ी है. करोड़ों लोगों के लिए गाय जानवर नहीं बल्कि गौमाता हैं. गाय के दूध और घी का इस्तेमाल खाने-पीने के अलावा धार्मिक अनुष्ठानों में भी होता है. अब वही दूध यदि किसी मांसाहारी पशु से आएगा तो लोग उसे कैसे स्वीकार करेंगे, यह एक बड़ा सवाल है.

 

इसके अलावा डेयरी को लेकर भारत सरकार इसलिए भी इतनी सतर्क है क्योंकि इस क्षेत्र में करोड़ों लोग रोजगार में लगे हैं और यह कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ भी है. ज्यादातर छोटे किसान पशुओं को पालते हैं और उनके दूध से अपनी आजीविका चलाते हैं.

नॉन-वेज दूध से नुकसान

डॉक्टर राकेश कुमार शुक्ल कहते हैं कि यह दूध स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हानिकारक होता है. उनके मुताबिक, "मांसाहारी चारा खाने वाले पशुओं का दूध इस्तेमाल करने वालों की पोषण क्षमता पर भी असर डालता है. मांसाहार के कारण ही गायों में बीएसई (Bovine Spongiform Encephalopathy) नाम की बीमारी हो गई थी और ये बीमारी मनुष्य में भी गायों से पहुंचती है.”

विशेषज्ञों को आशंका है कि यदि यह समझौता हो गया तो इसका असर भारत के डेयरी सेक्टर पर पड़ेगा. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भारत के डेयरी सेक्टर का अहम योगदान माना जाता है. दुनिया भर में कुल दूध उत्पादन में भारत का पहला स्थान है और वैश्विक दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 22 फीसद है. भारत से दूध का निर्यात सबसे ज्यादा यूएई, सऊदी अरब, अमेरिका, भूटान और सिंगापुर को होता है.


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