राष्ट्रीय
भारत में औसतन हर दस लाख लोगों में से एक व्यक्ति ही अंगदान करता है. हर साल देश में करीब पांच लाख लोगों को अंग प्रत्यारोपण की जरूरत होती है लेकिन इसमें से सिर्फ दो-तीन फीसदी मांग ही पूरी हो पाती है.
डॉयचे वैले पर आदर्श शर्मा की रिपोर्ट-
केंद्र सरकार अंगदान करने वाले सरकारी कर्मचारियों को 42 दिन तक की छुट्टी दे रही है. ये छुट्टियां स्पेशल कैजुअल लीव के तौर पर दी जा रही हैं. कर्मचारियों के बीच अंगदान को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की गई है. केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दो अप्रैल को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह जानकारी पेश की.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के एक नोटिस में कहा गया है कि अंगदाता के शरीर से कोई अंग निकालना एक बड़ी सर्जरी है, जिसकी रिकवरी के लिए समय चाहिए होता है इसलिए केंद्र सरकार ने अंगदान करने वाले कर्मचारियों को छुट्टियां देने का फैसला किया है. हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं.
नोटिस के मुताबिक, अंगदान करने वाले कर्मियों को सरकारी डॉक्टर की सिफारिश पर अधिकतम 42 दिन की स्पेशल कैजुअल लीव ही दी जाएगी. इसके अलावा, इन छुट्टियों के साथ कोई अन्य छुट्टी नहीं ली जा सकेगी. हालांकि, सर्जरी में समस्याएं होने की स्थिति में डॉक्टर की सलाह पर इस नियम से छूट दी जा सकेगी.
भारत में कितना होता है अंगदान
नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (एनओटीटीओ) भारत सरकार के तहत काम करने वाला संगठन है. इसके मुताबिक, भारत में अंगदान एवं प्रत्यारोपण की प्रक्रिया मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के तहत होती है.
एनओटीटीओ की साल 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2013 में भारत में करीब पांच हजार अंग प्रत्यारोपण हुए थे और साल 2023 में इनकी संख्या बढ़कर 18 हजार से ज्यादा हो गई. हालांकि, भारत जैसे बड़े देश के लिए यह संख्या बेहद कम है.
आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में 15 हजार से ज्यादा जीवित लोगों ने अंगदान किया था. इनमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा थी. वहीं, करीब 1,100 मृतकों के भी अंग दान किए गए थे. 2023 में देश में करीब 220 हृदय प्रत्यारोपित किए गए थे. वहीं, लगभग 4,500 लिवर और 13 हजार से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट भी हुए थे.
क्या पर्याप्त है भारत में होने वाला अंगदान
ऑर्गन रिसीविंग एंड गिविंग अवेयरनेस नेटवर्क (ऑर्गन) इंडिया के मुताबिक, हर साल भारत में करीब पांच लाख लोगों को अंग प्रत्यारोपण की जरूरत होती है लेकिन इसमें से सिर्फ दो-तीन फीसदी मांग ही पूरी हो पाती है. वहीं, अंगों के काम करना बंद करने की वजह से बहुत से लोगों की मौत हो जाती है.
ऑर्गन इंडिया के मुताबिक, भारत में औसतन हर दस लाख लोगों में से करीब एक व्यक्ति ही अंगदान करता है. वहीं, अमेरिका में औसतन हर दस लाख लोगों में से 32 लोग और स्पेन में करीब 47 लोग अंगदान करते हैं.
ऑर्गन इंडिया के मुताबिक, भारत में हर साल दो लाख कॉर्निया की जरूरत होती है लेकिन करीब 50 हजार कॉर्निया ही दान किए जाते हैं. कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन का इंतजार करने वाले 75 फीसदी लोग दृष्टि बाधित ही रह जाते हैं.
किस तरह किया जा सकता है अंगदान
अंगदान दो तरह का होता है. पहली स्थिति में एक जीवित व्यक्ति अपने शरीर का कोई अंग दान करता है. जीवित व्यक्ति अमूमन किडनी या लिवर का कुछ हिस्सा ही दान करता है क्योंकि अंगदाता एक किडनी के सहारे भी जीवित रह सकता है और लिवर हमारे शरीर का ऐसा अंग है जिसमें खुद से विकसित होने की क्षमता होती है.
दूसरी स्थिति में एक मृत व्यक्ति के अंग दान किए जाते हैं. इसमें शर्त यह है कि मृतक को डॉक्टरों द्वारा ब्रेन डेड घोषित किया जाना चाहिए. ब्रेन डेड व्यक्ति के सभी जीवित अंगों को दान किया जा सकता है. एक अनुमान के मुताबिक, भारत में हर साल करीब डेढ़ लाख लोग दुर्घटनाओं के चलते ब्रेन डेड हो जाते हैं. लेकिन इनमें से बहुत कम मृतकों के अंग ही दान किए जाते हैं.
भारत में कोई भी व्यक्ति डोनर फॉर्म भरकर अंगदान करने की शपथ ले सकता है. एनओटीटीओ की वेबसाइट पर यह फॉर्म भरा जा सकता है. इस फॉर्म को भरने के बाद एक डोनर कार्ड मिलता है, जिसमें रजिस्ट्रेशन नंबर भी होता है. अंगदान की शपथ लेने वाले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे अपना डोनर कार्ड हमेशा अपने साथ रखें और करीबियों को अपनी इच्छा के बारे में बता दें. (dw.com/hi)