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विश्व में अंग्रेजी के कई एक्सेंट हैं, जैसे इंडियन, अमेरिकन, ऑस्ट्रेलियन, ब्रिटिश, नाइजीरियन या कैरेबियन. ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी कॉल सेंटर कंपनी अपने भारतीय एजेंटों के लहजे को कम प्रभावी बनाना चाहती है.
डॉयचे वैले पर प्रेरणा देशपांडे की रिपोर्ट-
क्या आपको अपने अंग्रेजी के उच्चारणों के बारे में झिझक महसूस होती है? एक नई एआई तकनीक आपकी इस समस्या को हल कर सकती है. दुनिया की सबसे बड़ी कॉल सेंटर कंपनी टेलीपरफॉर्मेंस एसई अपने भारतीय ग्राहक सेवा एजेंटों के लहजे को कम करने के लिए अब एआई का उपयोग कर रही है.
फ्रांस की यह कंपनी भारत भर में 90,000 लोगों को रोजगार देती है. कंपनी के लिए दुनिया भर में कई और हजार लोग काम करते हैं. यह दुनिया के सब से बड़े संगठनों के लिए कस्टमर केयर का काम करती है. इनमें एप्पल, सैमसंग, वोडाफोन, ईबे और टिकटोक जैसी कंपनियां और ब्रिटेन की सरकार भी शामिल हैं.
एआई से लहजे का अनुवाद
लहजे को लेकर होने वाले भेदभाव को कम करने के लिए पालो आल्टो की कंपनी सानस ने ‘लहजा अनुवाद' नाम की यह आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस तकनीक तैयार की है. यह एआई उपकरण भारतीय कॉल सेंटर एजेंटों के अंग्रेजी लहजे को तुरंत और बिना किसी रुकावट के कम प्रभावी बना देता है. इसके अलावा, यह साइरेन, मुर्गे की बांग या दफ्तरों में होने वाले शोर को भी हटा देता है.
सानस की वेबसाइट के मुताबिक, ग्राहक सेवा को ज्यादा असरदार बनाने के लिए इस सॉफ्टवेयर का आविष्कार किया गया है. कंपनी का मानना है कि ऐसी तकनीक से कॉल सेंटर एजेंटों के साथ गलत व्यवहार कम होता है और कम ग्राहक, सुपरवाइजरों से बात करने की मांग करते हैं. यूपीएस और वॉलमार्ट जैसी बड़ी कंपनियों ने भी अब लहजा अनुवाद तकनीक को अपने कामकाज अपनाना शुरू कर दिया है.
नौकरी पर भारी पड़ता ऑटोमेशन
लहजा अनुवाद को टेलीपरफॉर्मेंस भारत के तमाम कॉल सेंटरों में लागू किया जा रहा है. यह फिलहाल भारतीय और फिलिपीनी लहजों के लिए उपलब्ध है. जल्दी ही यह दुनिया का अन्य लहजों के लिए भी बनाया जाएगा.
लेकिन, यह तकनीक एक दोधारी तलवार भी साबित हो सकती है. कॉल सेंटर सेवाओं में बढ़ते स्वचालन से बहुत सारी नौकरियों के खत्म होने का खतरा है. जैसे कि पिछले ही साल, स्वीडिश फिनटेक कंपनी क्लार्ना बैंक एबी ने बताया, कि ओपनएआई की तकनीक पर चल रहा उनका एआई वर्चुअल असिस्टेंट 700 एजेंटों का पूरा कामकाज संभालने लगा है.
सांस्कृतिक पहचान और मानवीय तत्व
साथ ही, ज्यादा स्वचालन का मतलब है घटता मानवीय तत्व. ग्राहक सेवा जैसे काम आमतौर पर इंसानों के जुड़ाव पर निर्भर करते हैं. तो ऐसे कामों में जितना मशीनों का सहारा लिया जाएगा, उतना ही उनमें वास्तविकता का एहसास कम हो सकता है. एआई की असली भूमिका इंसानों के काम को बेहतर बनाने और आपसी जुड़ाव को मजबूत करने में होगी. जैसा कि क्लार्ना के सीईओ सेबास्टियन सीमियाकोव्स्की ने हाल ही में ट्विटर (एक्स) पर कहा, "एआई की दुनिया में इंसानों जितना मूल्यवान और कुछ नहीं होगा." (dw.com/hi)