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नयी दिल्ली, 27 फरवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने जांच एजेंसियों से बैंक खातों को पूरी तरह ‘फ्रीज’ करने के मामले में सावधानी बरतने को कहा है।
याचिकाकर्ता कंपनी के खाते पर की गई ऐसी ही एक कार्रवाई से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनोज जैन ने यह टिप्पणी की। खाते में 93 करोड़ रुपये से अधिक की राशि शेष थी, लेकिन महज 200 रुपये की त्रुटिपूर्ण प्रविष्टि थी।
अदालत ने कहा कि विवादित राशि, जो इस मामले में महज 200 रुपये है, के लेनदेन पर रोक लगाने का निर्देश देने के बजाय बैंक को पूरे खाते को फ्रीज करने का निर्देश दिया गया।
याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता प्रीतम सिंह ने रखा। याचिका में कहा गया है, ‘‘अगर बिना कोई कारण बताए इस तरह के कठोर उपाय किए जाते हैं, तो निश्चित रूप से ऐसे खाताधारकों की वित्तीय चिंताओं के साथ खिलवाड़ हो सकता है।’’
अदालत के 20 फरवरी के आदेश में कहा गया, ‘‘इसलिए अब समय आ गया है कि जांच/कानून प्रवर्तन एजेंसियां बैंक खातों को ‘फ्रीज’ करने के संदर्भ में अपेक्षित सावधानी, सतर्कता बरतें और सहानुभूति के साथ कार्य करें।’’
अदालत ने कहा कि बैंक खाते को ‘फ्रीज’ करने के बजाय प्राधिकारियों को विवादित राशि पर रोक लगाने की संभावना तलाशनी चाहिए ताकि खाताधारकों को होने वाली अनावश्यक कठिनाई को कम किया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि विवादित राशि सुरक्षित है।
ऐसे कई मामलों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस मुद्दे को हल करने और एक समान नीति बनाने को कहा।
गृह मंत्रालय को संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों सहित हितधारकों के साथ परामर्श करने, एक समान नीति, मानक संचालन प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों को तैयार करने पर विचार करने का निर्देश दिया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे मामलों को उचित विचार और सहानुभूति के साथ संभाला जाए। (भाषा)