राष्ट्रीय
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में घातक आसमानी बिजली गिरने की घटनाएं चिंताजनक दर से बढ़ रही हैं. भारत में बिजली गिरने से हर साल लगभग 1,900 लोगों की मौत हो जाती है.
ओडिशा की फकीर मोहन यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने कहा कि 1967 से 2020 तक भारत में आसमानी बिजली गिरने से 1,01,309 से अधिक लोग मारे गए, जबकि 2010 से 2020 तक ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ीं. आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में बिजली गिरने की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है.
जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली मौतों में बिजली गिरने जैसी घटनाएं प्रमुख भूमिका निभा रही हैं. यह रिपोर्ट बिजली गिरने की घटनाओं पर नहीं बल्कि मौतों के आंकड़ों पर केंद्रित है, लेकिन यह साफ है कि भारत में बिजली गिरने की घटनाएं लगातार और अप्रत्याशित होती जा रही हैं.
बढ़ रही हैं बिजली गिरने की घटनाएं
रिपोर्ट में कहा गया है, "नतीजों से भारत में बिजली गिरने की गतिविधियों में लगातार वृद्धि का संकेत मिलता है, जो इसे जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं में एक प्रमुख जानलेवा आपदा बनाता है."
सालाना आधार पर ऐसी मौतों की संख्या इन आंकड़ों से कहीं अधिक हो सकती है क्योंकि बहुत से लोग गांवों में रहते हैं, जहां ऐसी घटनाओं की सूचना अक्सर पुलिस को नहीं दी जाती है.
आंकड़ों से पता चला है कि 1967 से 2002 की अवधि में प्रति भारतीय राज्य औसत वार्षिक मृत्यु दर 38 से बढ़कर 2003 से 2020 के बीच 61 हो गई है - यह वह अवधि है जब देश की जनसंख्या भी तेजी से बढ़कर 1.4 अरब हो गई.
भारत में जून से सितंबर तक मॉनसूनी बारिश के दौरान बिजली गिरना आम बात है और यह मॉनसूनी बारिश क्षेत्रीय जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है.
वैश्विक तापमान में वृद्धि का असर
शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैश्विक तापमान में वृद्धि भी बिजली गिरने की घटनाओं में वृद्धि का एक कारण है और पिछले दशक के दौरान चरम मौसम की घटनाएं हो रही हैं. उच्च वायु तापमान के कारण अधिक जलवाष्प पैदा होती है, जो ऊंचाई पर ठंडा होने के बाद विद्युत आवेश उत्पन्न करती है, जिससे बिजली चमकती है.
पर्यावरण, विकास और स्थिरता के अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में ऐसी मौतों की ऊंची संख्या एक अप्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और जोखिम को कम करने के बारे में जागरूकता की कमी के कारण भी है.
एक ही बार बिजली गिरने से बड़े पैमाने पर मौतें होना आम बात है क्योंकि बारिश होने पर खेतों पर काम करने वाले अक्सर पेड़ों के नीचे शरण लेते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली गिरने से होने वाली मौतों के आंकड़े "बढ़ती प्रवृत्ति" को दर्शाते हैं, जिसमें पिछले दो दशकों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है. रिपोर्ट में इसे "एक खतरनाक घटनाक्रम" बताया गया है.
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक नई और आधुनिक प्रणाली की मदद से मौसम विभाग प्रभावित इलाकों में लोगों को पहले से ही अलर्ट कर देता है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस सिस्टम को और प्रभावी बनाने की जरूरत है ताकि खेतों में काम करने वाले लोगों और चरवाहों को भी समय रहते इसकी जानकारी मिल सके.
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर स्थानीय निवासी ऐसे खतरों से अच्छी तरह वाकिफ हों तो उनके लिए खराब मौसम के दौरान अपने घरों से बाहर निकलने से बचना आसान होगा.
एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)