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भारत: आम बजट में युवाओं, महिलाओं और किसानों को क्या मिला
24-Jul-2024 1:01 PM
भारत: आम बजट में युवाओं, महिलाओं और किसानों को क्या मिला

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पूर्ण बजट वित्त मंत्री सीतारमण ने लोक सभा में 23 जुलाई को पेश किया. बजट में महिलाओं, युवाओं और किसानों को लेकर महत्वपूर्ण घोषणाएं की गईं. लेकिन विपक्ष ने इसे "सरकार बचाओ" बजट कहा है.

 डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट- 

भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को लगातार देश का सातवां बजट पेश किया. लोकसभा में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह बजट गरीब, महिलाओं, युवाओं और अन्नदाताओं पर केंद्रित है. 

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, "हमें गरीब, महिला, युवा और किसानों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. अन्नदाता के लिए हमने अपने वादे को पूरा करते हुए एक महीने पहले सभी प्रमुख फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की. पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को पांच साल के लिए बढ़ाया गया, जिससे 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ हुआ."

वित्त मंत्री ने विकसित भारत के लिए 9 प्राथमिकताएं भी बताईं. इनमें कृषि में उत्पादकता और लचीलापन, रोजगार और कौशल, समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय, विनिर्माण और सेवाएं, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और इनोवेशन, रिसर्च एंड डेवलेपमेंट शामिल हैं.

महिलाओं, छात्रों और युवाओं के लिए क्या एलान
बजट में केंद्र सरकार ने महिलाओं के विकास के लिए तीन लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है. बजट में सरकार ने महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने पर रजिस्ट्री के दौरान लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी पर राहत देने की घोषणा की है. इससे उम्मीद जताई जा रही है कि गरीबों को मकान खरीदने के दौरान रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प ड्यूटी पर बड़ी राहत मिल सकेगी.

इसके अलावा केंद्र सरकार ने 20 लाख युवतियों को कौशलयुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसी के साथ उन्होंने कामकाजी महिलाओं के लिए कुछ एलान किए हैं. उन्होंने कहा कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए देश में कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल बनाए जाएंगे.

आम बजट 2024 में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये देने की घोषणा की गई. वित्त मंत्री ने कहा इसमें रोजगार, कौशल, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और मिडिल क्लास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

रोजगार कैसे पैदा करेगी सरकार
भारत में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है और यह 2024 के लोकसभा चुनाव में छाया रहा. सरकार ने बेरोजगारी से निपटने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए तीन योजनाओं का एलान किया है. ये योजनाएं हैं - पहली बार नौकरी करने वाले, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार सृजन और नियोक्ताओं को सहायता.

पहली योजना के तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में पहली बार पंजीकृत कर्मचारियों को एक महीने के वेतन का 15 हजार रुपये तक की तीन किश्तों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर किया जाएगा. दूसरी योजना के तहत पहली बार नौकरी करने वाले लोगों से जुड़े क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार को प्रोत्साहन मिलेगा. रोजगार के पहले 4 सालों में ईपीएफओ के संबंध में कर्मचारी और नियोक्ता को प्रोत्साहन दिया जाएगा.

वित्त मंत्री ने बताया कि इससे रोजगार में प्रवेश करने वाले 30 लाख युवाओं और उनके नियोक्ताओं को लाभ मिलने की उम्मीद है. वहीं रोजगार से जुड़ी तीसरी योजना के मुताबिक सरकार प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए ईपीएफओ अंशदान के लिए नियोक्ताओं को दो साल तक 3,000 रुपये हर महीने तक की प्रतिपूर्ति करेगी.

सीतारमण ने राज्यों और उद्योग के सहयोग से कौशल विकास के लिए एक नई केंद्र प्रायोजित योजना की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं को कौशल दिया. उन्होंने उम्मीद जताई कि एक हजार इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूटों को केंद्र के तौर पर अपग्रेड किया जाएगा और कोर्स मैटरियल इंडस्ट्री की कौशल जरूरतों के मुताबिक होगा. मौजूदा वक्त में जिस तरह से विपक्ष बेरोजगारी को लेकर सरकार को घेर रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री के इस एलान को काफी अहम माना जा रहा है.

कृषि क्षेत्र को क्या मिला
बजट में कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. वित्त मंत्री ने कहा है कि एक करोड़ किसानों की प्राकृतिक खेती करने में मदद की जाएगी. इस पहल को वैज्ञानिक संस्थानों और ग्राम पंचायतों के माध्यम से धरातल पर उतारा जाएगा. इसके लिए 10 हजार बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर स्थापित किए जाएंगे.

इस बार बजट में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) का एलान किया गया है. डीपीआई के तहत केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर कृषि में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देगी. वित्त मंत्री ने बताया कि इस साल डीपीआई का इस्तेमाल करते हुए खरीफ फसलों का 400 जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया जाएगा. उन्‍होंने कहा कि 6 करोड़ किसानों और उनकी जमीन के ब्योरों को किसान और जमीन की रजिस्ट्री में दर्ज किया जाएगा.

विपक्ष ने बजट पर क्या कहा
कई विपक्षी दलों ने बजट को निराशाजनक करार दिया. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा है कि बजट उसके घोषणा पत्र का "कॉपी-पेस्ट" है. लोक सभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा, "ये कुर्सी बचाओ बजट है, ये सहयोगियों को खुश करने का बजट है."

कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्विटर पर लिखा, "कांग्रेस के न्याय के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पाया मोदी सरकार का "नकलची बजट"!, मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी "रेवड़ियां" बांट रहा है, ताकि एनडीए बचा रहे." उन्होंने लिखा ये "देश की तरक्की" का बजट नहीं, "मोदी सरकार बचाओ" बजट है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी ने बजट को भेदभाव वाला बताया और कहा कि बजट में पश्चिम बंगाल की अनदेखी की गई.

दरअसल वित्त मंत्री ने एनडीए के सहयोगी दलों टीडीपी और जेडीयू को खुश करने के लिए आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए पैकेज का एलान किया है. सरकार बाढ़ से निपटने के लिए बिहार को 11,500 करोड़ रुपये देगी और बिहार के पीरपैंती में 2,400 मेगवाट क्षमता का नया बिजलीघर बनाया जाएगा. वहीं आंध्र प्रदेश की राजधानी के विकास के लिए चालू वित्त वर्ष और भविष्य के वर्षों में 15,000 करोड़ रुपये की मदद करेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बजट को मिडिल क्लास और पिछड़े वर्ग को मजबूत करने वाला बताया. मोदी ने आम बजट को विकास की गति को बढ़ावा देने वाला बजट कहा. उन्होंने कहा बजट मध्यम वर्ग, महिलाओं, गरीबों और ग्रामीणों को सशक्त बनाने वाला है. (dw.com)


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