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अपनी गरिमा की रक्षा करना न्यायालय की जिम्मेदारी है: सिब्बल ने चुनावी बॉण्ड मामले पर कहा
10-Mar-2024 4:24 PM
अपनी गरिमा की रक्षा करना न्यायालय की जिम्मेदारी है: सिब्बल ने चुनावी बॉण्ड मामले पर कहा

नयी दिल्ली, 10 मार्च राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने चुनावी बॉण्ड विवरण का खुलासा करने की अवधि बढ़ाने का अनुरोध करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा बताए गए कारणों को ‘‘बचकाना’’ करार देते हुए रविवार को कहा कि अपनी गरिमा की रक्षा करना उच्चतम न्यायालय की जिम्मेदारी है और जब संविधान पीठ फैसला सुना चुकी है तो एसबीआई की याचिका को स्वीकार करना ‘‘आसान नहीं होगा’’।

चुनावी बॉण्ड योजना के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में मामले में याचिकाकर्ताओं के लिए दलीलें सिब्बल के नेतृत्व में पेश की गई थीं।

उन्होंने कहा कि एसबीआई का दावा है कि डेटा को सार्वजनिक करने में कई सप्ताह लगेंगे, जिससे ऐसा लगता है कि ‘‘कोई किसी को बचाना चाहता है।’’

सिब्बल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए वीडियो साक्षात्कार में कहा कि यह स्पष्ट है कि एसबीआई का इरादा सरकार का बचाव करना है, अन्यथा बैंक ने चुनावी बॉण्ड विवरण का खुलासा करने की अवधि 30 जून तक बढ़ाए जाने का ऐसे समय में अनुरोध नहीं किया होता जब अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता की ये टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये ऐसे समय में की गई हैं जब एसबीआई के अनुरोध पर उच्चतम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई करने वाली है। एसबीआई ने चुनावी बॉण्ड योजना को पिछले महीने रद्द किए जाने से पहले राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक बॉण्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए दी समयसीमा को बढ़ाए जाने का अनुरोध किया है।

न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ एसबीआई की उस अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करेगी, जिसमें राजनीतिक दलों द्वारा नकदी में परिवर्तित किये गए प्रत्येक चुनावी बॉण्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए समयसीमा 30 जून तक बढ़ाने का अनुरोध किया गया है।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ एक अलग याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि एसबीआई ने चुनावी बॉण्ड के जरिये राजनीतिक दलों को मिले चंदे का विवरण निर्वाचन आयोग को छह मार्च तक सौंपे जाने संबंधी शीर्ष अदालत के निर्देश की ‘‘जानबूझ कर’’ अवज्ञा की।

सिब्बल ने कहा कि एसबीआई जानता है कि चुनाव अप्रैल-मई में हैं और चुनाव की घोषणा के बाद की पूरी अवधि के दौरान अगर चुनावी बॉण्ड का विवरण सार्वजनिक किया जाता है तो यह सार्वजनिक बहस का विषय होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘वे समय मांग रहे हैं और कारण स्पष्ट हैं। मुझे यकीन है कि न्यायालय इस इरादे को समझ लेगा। संगठन (एसबीआई) का यह कहना बचकाना है कि हमें सामग्री एकत्र करनी होगी, फाइल एकत्र करनी होंगी और फिर हमें यह पता लगाना होगा कि किसने किसको पैसा दिया।...यह 21वीं सदी है और हमारे प्रिय प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) हर चीज के डिजिटलीकरण की बात करते हैं।’’

सिब्बल ने एसबीआई के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई का अनुरोध करने वाली याचिका के बारे में पूछे जाने पर कहा कि ये ऐसे मामले हैं जिनपर अवमानना को अदालतों पर छोड़ दिया जाना चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘इससे न्यायालय की गरिमा पर असर पड़ता है। अपनी गरिमा की रक्षा करना न्यायालय की जिम्मेदारी है। यदि न्यायालय एसबीआई के दिखावटी स्पष्टीकरण को स्वीकार करता है, जो कि हास्यास्पद है तो यह न्यायालय को तय करना है कि वह अपने आदेशों की रक्षा कैसे करेगा।’’

सिब्बल ने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि एसबीआई ने शायद इसलिए स्वयं एक आवेदन दायर किया है क्योंकि उसे उम्मीद है कि न्यायालय नरम रुख अपनाएगा लेकिन मेरी समझ यह है कि एक बार जब संविधान पीठ ने फैसला सुना दिया है, तो न्यायालय के लिए यह कहना आसान नहीं होगा कि ‘आप जो कहेंगे हम उसे स्वीकार करेंगे’, लेकिन यह फैसला न्यायालय को करना है।’’

इस पूछे जाने पर कि क्या चुनावी बॉण्ड को असंवैधानिक घोषित करने का उच्चतम न्यायालय का फैसला समान अवसर के खत्म होने की स्थिति को दुरुस्त करता है, सिब्बल ने कहा कि इसे अब भी दुरुस्त नहीं किया गया है।

लेकिन उन्होंने दलील दी कि न्यायालय इस स्तर पर इस बारे में कुछ नहीं कर सकता था।

सिब्बल ने कहा, ‘‘इस मामले का तथ्य यह है कि भाजपा ने इस प्रक्रिया में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का सफेद धन हासिल किया। चुनाव के दौरान इन 6,000 करोड़ रुपये के साथ वे क्या कर सकते हैं, इस संदर्भ में यह राशि बहुत बड़ी है। तो जाहिर है, इसके (चुनावी बॉण्ड योजना) परिणामस्वरूप समान अवसर समाप्त हुए हैं।’’

निर्दलीय सांसद ने कहा कि पूरी योजना भाजपा को बढ़ावा देने और उसे दुनिया की सबसे अमीर पार्टी बनाने के राजनीतिक मकसद से बनाई गई थी।

उन्होंने यह भी दावा किया कि 2017 में निर्धारित योजना का इरादा यह सुनिश्चित करना था कि पैसा केंद्र में सत्तारूढ़ सरकार के खजाने में आए।

सिब्बल ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी जांच एजेंसियों ने पिछले कुछ साल में जैसा व्यवहार किया है, जून से पहले चुनावी बॉण्ड का विवरण सामने आने के बाद वे विपक्षी दलों और नेताओं को निशाना बनाएंगे जिससे समान अवसर और समाप्त होंगे।

सिब्बल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद विपक्षी दलों को मिलकर सरकार को घेरने के लिए चुनावी बॉण्ड का मुद्दा उठाना चाहिए था लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि विपक्षी दल सीट-बंटवारे के मुद्दे को सुलझाने की कोशिश में लगे थे।  (भाषा) 


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