राष्ट्रीय
सहारा समूह के मुखिया सुब्रत रॉय की विरासत में उनके व्यापारिक साम्राज्य का बेजोड़ उदाहरण भी है और सहारा घोटाले की चेतावनी भी, जिसके निवेशकों को आज भी करोड़ों रुपयों की वापसी का इंतजार है.
रॉय का मंगलवार देर रात कार्डियो रेस्पिरेटरी अरेस्ट के बाद मुंबई में निधन हो गया. वो 75 साल के थे और कई दिनों से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित थे. अपने पीछे एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य की विरासत छोड़ जाने वाले रॉय बीते कई सालों से कई विवादों में फंसे हुए थे.
सहारा समूह की कई कंपनियों पर शेयर बाजार संबंधित नियमों के उल्लंघन के आरोप थे. जून 2011 में सेबी ने सहारा समूह को गैरकानूनी तरीके से जुटाए गए पैसे निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया था. फिर 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को आदेश दिया था कि वे निवेशकों के 24,000 करोड़ रुपये लौटाए.
25,000 करोड़ रुपयों का मामला
कुल मिला कर सहारा समूह की अलग अलग सहकारी समितियों की स्कीमों में निवेशकों के कुल 30,000 करोड़ फंसे हुए थे. कुछ ही महीने पहले केंद्र सरकार ने सहारा से इन पैसों को लौटाने के लिए एक नई सेवा शुरू की थी, जिसके जरिए 5,000 करोड़ लौटाने की व्यवस्था की गई है.
लेकिन मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खोले गए विशेष बैंक खातों में 25,000 करोड़ से भी ज्यादा रुपए जमा हो चुके हैं. माना जा रहा है कि अधिकांश निवेशकों ने अभी तक अपने अपने रिफंड के दावे दर्ज नहीं करवाए हैं.
कई दावे इस वजह से खारिज भी हुए क्योंकि सहारा द्वारा दी गई जानकारी में उनका रिकॉर्ड नहीं मिला. इसी मामले में रॉय को 2014 में गिरफ्तार भी कर लिया गया लेकिन 2016 में पैरोल पर रिहा कर दिया गया.
छोटी सी कंपनी से साम्राज्य तक
एक रिपोर्ट के मुताबिक रॉय ने 1976 में सहारा समूह नाम की एक डूबती हुई चिट फंड कंपनी को खरीद लिया और दो सालों में उसकी कायापलट दी. उन्होंने मूल रूप से बैंकिंग सेवाओं से दूर करोड़ों लोगों के लिए छोटे निवेश की योजनाएं शुरू कीं.
धीरे-धीरे सहारा समूह ने विस्तार किया और वित्तीय सेवाओं के अलावा रियल एस्टेट, बिजली, जीवन बीमा, रिटेल, होटल, एयरलाइंस, मीडिया, खेल आदि समेत कई कई क्षेत्रों में अपनी जगह बना ली.
एक समय था जब समूह का दावा था कि उसके लिए पूरे देश में करीब 12 लाख लोग काम करते थे, जिस वजह से उसे कुछ लोग भारतीय रेल के बाद देश का सबसे बड़ा एम्प्लॉयर भी कहते थे.
आज भी सहारा दावा करता है कि उसके पास नौ करोड़ निवेशक और ग्राहक हैं और उसकी संपत्तियों का कुल मूल्य 2,59,900 से ऊपर है. इसके अलावा समूह 30,970 एकड़ के लैंड बैंक का मालिक होने का भी दावा करता है.
उन्हें नामी राजनेताओं और फिल्मी सितारों के साथ उनकी दोस्ती के लिए भी जाना जाता है. बाद के सालों में उन्हें मुलायम सिंह यादव और उनकी समाजवादी पार्टी के करीबी के रूप में जाना जाने लगा. (dw.com)