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पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा से भारत-कतर रिश्तों में तनाव
02-Nov-2023 12:50 PM
पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा से भारत-कतर रिश्तों में तनाव

भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसरों को पिछले हफ्ते कतर की एक अदालत ने "जासूसी के आरोप" में मौत की सजा सुनाई थी. सवाल उठ रहे हैं कि क्या इसका असर दोनों देशों के संबंधों पर होगा.

   डॉयचे वैले पर मुरली कृष्णन की रिपोर्ट- 

कतर की एक कंपनी के लिए काम करने वाले आठ पूर्व भारतीय नौसेना के अफसरों को पिछले हफ्ते कतर की एक अदालत ने "जासूसी के आरोप" में मौत की सजा सुनाई थी. इस घटना ने भारत और कतर के बीच राजनयिक संबंधों में चुनौतियां पैदा कर दी हैं, साथ ही भारत-कतर संबंधों पर सवाल उठ रहे हैं. कतर की एक अदालत द्वारा आठ पूर्व भारतीय नौसेना अफसरों को मौत की सजा सुनाए जाने के कुछ दिनों बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नई दिल्ली में उन लोगों के परिवारों से  मुलाकात की और वादा किया कि सरकार उनकी रिहाई के लिए "हर संभव प्रयास करेगी."

जयशंकर ने सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में कहा, "सरकार इस मामले को बहुत महत्व देती है. मैं पीड़ित परिवार की चिंताओं और दर्द को पूरी तरह से साझा करता हूं और हमारी सरकार उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास जारी रखेगी."

नौसेना के पूर्व अफसरों को सजा क्यों
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक भारतीय नौसेना के पूर्व अफसर खाड़ी स्थित एक निजी कंपनी अल-दाहरा के लिए काम करते थे. अल-दाहरा की वेबसाइट के मुताबिक कंपनी एयरोस्पेस, सुरक्षा और रक्षा क्षेत्रों में "संपूर्ण समर्थन समाधान" प्रदान करती है.

ना तो नई दिल्ली और ना ही दोहा ने इन आरोपों के बारे में कुछ भी बताया है, लेकिन भारतीय अखबार द हिंदू के मुताबिक अगस्त 2022 में दोहा में गिरफ्तार किए गए लोगों पर "तीसरे देश" के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया था. जबकि "टाइम्स ऑफ इंडिया" अखबार का कहना है कि "विभिन्न रिपोर्टों में दावा किया गया है कि इन लोगों पर इस्राएल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है."

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भी भारत और कतर के अज्ञात सूत्रों के आधार पर कहा है कि इन लोगों पर इस्राएल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है. एक खुफिया अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू को बताया, "हालांकि विशिष्ट आरोपों को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन यह तथ्य कि उन्हें एकान्त कारावास में रखा जा रहा है, जो कि उनके संभावित सुरक्षा-संबंधी अपराधों की ओर इशारा करता है."

भारत-कतर संबंधों पर असर
कतर, फारस की खाड़ी में एक छोटा गैस समृद्ध देश है. इसके भारत के साथ ऐतिहासिक रूप से दोस्ताना संबंध रहे हैं और यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा है. भारत अपनी 40 फीसदी तरल प्राकृतिक गैस या एलएनजी कतर से हासिल करता है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक आयात का लगभग आधा हिस्सा इसी का है.

इसके अलावा कतर में रहने वाला बड़ा भारतीय समुदाय भी अपने देश में परिवारों को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भेजता है.इस मामले में पूर्व राजनयिकों और एक्सपर्ट्स का कहना है कि मौत की सजा के फैसले ने भारत को आश्चर्यचकित कर दिया है और यह भारत-कतर के संबंधों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है. पूर्व राजनयिक और कतर में पहली भारतीय महिला राजदूत दीपा गोपालन वाधवा ने कहा कि यह फैसला सभी भारतीयों के लिए झटका है और भारत सरकार के बयानों और कार्यों से पता चलता है कि इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है.

वाधवा ने डीडब्ल्यू से कहा, "कतर में सात लाख से अधिक भारतीय रहते हैं, जिन्होंने खाड़ी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और दोनों देशों के बीच घनिष्ठ आर्थिक और राजनीतिक संबंध हैं." साथ ही उन्होंने कहा कि संभावना है कि कतर और भारत इस मुद्दे को "आपसी संबंधों के व्यापक हितों" को नुकसान नहीं पहुंचाने देंगे. वाधवा ने कहा, "हमारे नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी, उन्हें हर संभव कानूनी मदद प्रदान की जाएगी और मुझे यकीन है हमेशा की तरह उच्चतम स्तर तक अपील की जाएगी."

परीक्षा की घड़ी
जवाहरलाल विश्वविद्यालय में पश्चिम एशियाई अध्ययन केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर मुदस्सिर कमर ने कहा कि तत्काल प्राथमिकता आरोपों की पूरी सूची का पता लगाना, कानूनी संदर्भ और निहितार्थों पर विचार करना और आरोपियों की जान बचाने के लिए संभावित कानूनी, राजनयिक और राजनीतिक रास्ते तलाशने की दिशा में काम करना है. डीडब्ल्यू से बात करते हुए मुदस्सिर कमर ने कहा, "कतर की अदालत द्वारा अब तक बिन बताए आरोपों पर आठ पूर्व भारतीय नौसेना के अफसरों को सजा सुनाए जाने से भारत और कतर के बीच संबंधों के लिए एक गंभीर परीक्षा हो सकती है, खासकर मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए."

उन्होंने कहा, "मौत की सजा की घोषणा का मतलब है कि आरोपों की प्रकृति गंभीर है. सरकार की प्रतिक्रिया पर विचार किया गया है, और मामले की जटिलता और गंभीरता को देखते हुए यह सही भी है. एक अनुकूल नतीजा हासिल करने के लिए कुशल कूटनीतिक और राजनीतिक रूप से काम करने की जरूरत होगी." आर्थिक संबंधों के अलावा दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध भी हैं, जिसका प्रमाण हाल के सालों में उच्च स्तरीय यात्राओं में देखा गया है.

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2016 में कतर का दौरा किया और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी 2015 में भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए थे, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध और मजबूत हुए हैं. भारत-कतर रक्षा सहयोग समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर के रूप में काम करता है.

आगे का रास्ता
कतर में भारत के पूर्व राजदूत रहे केपी फाबियान का कहना है कि भारत अपने सभी संभावित विकल्प तलाशेगा और जल्द से जल्द कतर के अमीर से औपचारिक रूप से संपर्क करना समझदारी होगी. फाबियान का मानना ​​है कि कतर भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव से अवगत है और उन्होंने उम्मीद जताई कि पूर्व अफसरों को माफ कर दिया जाएगा. डीडब्ल्यू से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इस्लामिक देशों में रमजान के पवित्र महीने के दौरान क्षमादान देने की प्रथा है. सौभाग्य से कतर में क्षमादान के अनुरोध लंबी नौकरशाही प्रक्रियाओं से ग्रस्त नहीं हैं. ऐसे मामले में अमीर का कार्यालय एक निर्णय की सिफारिश करता है."

फाबियान ने कहा, "1988 से भारत-कतरी संबंधों को संभालने के बाद, पहले संयुक्त सचिव के रूप में और बाद में दोहा में राजदूत के रूप में काम करने के दौरान अपने अनुभवों के आधार पर मुझे पक्का यकीन है कि इन आठ लोगों की मौत की सजा पर अमल नहीं किया जाएगा." (dw.com)

 

 

 

 


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