राष्ट्रीय

प्रवासन का कड़वा सच- ‘स्थानीय लोग ही नहीं, अधिकारियों ने भी हमारा उत्पीड़न किया’
25-Dec-2021 1:27 PM
प्रवासन का कड़वा सच- ‘स्थानीय लोग ही नहीं, अधिकारियों ने भी हमारा उत्पीड़न किया’

सुरक्षा, बेहतर जिंदगी, और नौकरी की तलाश में एक देश से दूसरे देश में जाने वाले सभी लोगों के सपने हमेशा हकीकत में नहीं बदलते. स्थानीय लोग से लेकर अधिकारी तक उनका उत्पीड़न करते हैं.

   डॉयचे वैले पर मिमि मेफो ताकांबू की रिपोर्ट-

अफ्रीकी संघ के आंकड़े बताते हैं कि 2008 और 2017 के बीच अफ्रीका महाद्वीप में एक देश से जाकर दूसरे देश में बसने वाले प्रवासियों की संख्या 1.33 करोड़ से बढ़कर 2.54 करोड़ तक पहुंच गई है. हालांकि, इंटरनेशनल आर्गेनाईजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) के मुताबिक, हकीकत में यह आंकड़ा काफी ज्यादा है. यह सिर्फ आधी तस्वीर है.

आईओएम के ग्लोबल माइग्रेशन डेटा एनालिसिस सेंटर (जीएमडीएसी) की रैंगो मार्जिया ने डॉयचे वेले को बताया, "हमारे पास हाल के रुझानों की अधूरी तस्वीर है. साथ ही, उन लोगों का पूरा आंकड़ा भी नहीं है जो एक देश से दूसरे देश में जा रहे हैं."

आईओएम की 2020 की रिपोर्ट से यह पुष्टि होती है कि 2017 के सर्वेक्षण का जवाब देने वाले 80% अफ्रीकियों ने कहा कि उन्हें महाद्वीप छोड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है. वे इसी महाद्वीप पर रहना चाहते हैं.

मार्जिया कहती हैं, "अफ्रीका के भीतर और पूरे अफ्रीका में, विशेष रूप से पश्चिम अफ्रीका जैसे इलाकों में काफी ज्यादा लोग एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं. ये लोग अपने देश को छोड़कर दूसरे देशों में अपना नया आशियाना बना रहे हैं. ये चीजें हमें मुख्यधारा की मीडिया में देखने को नहीं मिलती."

अफ्रीकी देशों में प्रवासन की पीछे की कई वजहें हैं. इनमें आर्थिक कारण से लेकर सुरक्षा से जुड़ी चिंता तक शामिल है. मार्जिया के मुताबिक, इस बात की ज्यादा संभावना है कि अंतर-अफ्रीकी प्रवास में वृद्धि जारी रहेगी. औपनिवेशिक सीमाओं के निर्धारण से बहुत पहले, अफ्रीकी महाद्वीप के काफी लोग एक देश से जाकर दूसरे देश में बस गए. वहीं, कुछ लोग दूसरे महाद्वीप में भी चले गए.

अजनबियों के साथ दुर्व्यवहार
डॉयचे वेले ने उत्तरी घाना के आप्रवासन अधिकारी क्रिस्टियान कोबला केकेली जिलेवु से बात की और उनसे इकोनॉमिक कम्युनिटी ऑफ वेस्ट अफ्रीकन स्टेट (ईसीओडब्ल्यूएएस) के क्षेत्रीय इलाकों के बारे में जानकारी ली.

जिलेवु ने बताया, "लोग जिंदगी बचाने के लिए एक देश से दूसरे देश में जाते हैं. कुछ इसलिए भी जाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके देश में सबकुछ सही नहीं है और वे दूसरी जगह जाकर बेहतर जिंदगी गुजार सकते हैं."

अंग्रेजी भाषी क्षेत्र में असुरक्षा के कारण कैमरून छोड़कर गिनी जाने वाले एक व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर डीडब्ल्यू से बात की. उसने कहा कि अभी गिनी में उसका जीवन मुश्किलों से भरा हुआ है. यहां के लोग अजनबियों का स्वागत नहीं करते हैं, लेकिन हमारे पास यहां रहने के अलावा और कोई विकल्प नहीं हैं. यहां के लोग हर समय अजनबियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और गलत भाषा का इस्तेमाल करते हैं.

आईओएम की रैंगो मार्जिया स्वीकार करती हैं कि प्रवासन से जुड़ी नकारात्मक धारणाएं काफी हद तक राजनीतिक अस्थिरता, संघर्ष और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हैं. हालांकि, उनका तर्क है कि ये समस्याएं प्रवासन को खराब नहीं बनाती हैं, बल्कि जिस तरीके से प्रवासन से जुड़ी चीजों को प्रबंधित किया जाता है, उससे मुश्किलें आती हैं.

मार्जिया ने कहा, "प्रवासन से जुड़ी नीतियों को प्रबंधित करने के तरीके ज्यादा मायने रखते हैं. यह अफ्रीका महाद्वीप में एक जगह से दूसरी जगह प्रवासन के लिए भी लागू होती है और अफ्रीका से यूरोप में प्रवास के लिए भी लागू होती है."

अलग-अलग अनुभव
खराब तरीके से लागू की गई प्रवासन नीतियों की वजह से गिनी में रहने वाले कैमरून के व्यक्ति जैसे लोगों का जीवन प्रभावित होता है. कैमरून के व्यक्ति ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी समस्या मेजबान देशों में उनके और अन्य विदेशियों के साथ होने वाला दुर्व्यवहार है.

वह कहते हैं, "गिनी में स्थानीय नागरिकों और अधिकारियों, दोनों ने मेरा उत्पीड़न किया. अगर आपके पास सभी दस्तावेज हैं, तो भी वे आपके साथ दुर्व्यवहार करेंगे." हालांकि, अफ्रीकी महाद्वीप में एक देश से दूसरे देश जाने वाले प्रवासियों के अनुभव अलग-अलग हैं. इन्हीं लोगों में से एक हैं ओकवेले जॉय नदुली. वे नाइजीरिया छोड़कर घाना चले गए हैं.

नदुली ने डॉयचे वेले को बताया, "मेरे कुछ साथी मुझसे पहले यहां आए थे. उन्हें यहां काफी अच्छा लगा. उनकी स्थिति से प्रभावित होकर मैं नाइजीरिया छोड़कर यहां कारोबार करने चला आया. इससे मेरे जीवन में बड़ा बदलाव आया है." वहीं, कैमरून के अंग्रेजी भाषी क्षेत्र से भागकर गिनी पहुंचे एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "मैं कैमरून की तुलना में यहां ज्यादा पैसा कमाता हूं."

समाधान क्या है?
ईसीओडब्ल्यूएएस इलाकों को एक साथ मिलाने की प्रक्रिया अभी प्रारंभिक चरण में है. हालांकि, ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आने वाले कुछ दशकों में इन इलाकों को एक करने में सफलता मिल सकती है. घाना के आप्रवासन अधिकारी कोबला केकेली जिलेवु ने कहा, "हम एक जगह से शुरुआत कर रहे हैं, लेकिन मैं स्पष्ट तौर पर कह सकता हूं कि ईसीओडब्ल्यूएएस के इलाके पहले की तुलना में ज्यादा एकीकृत हुए हैं."

गिनी में दुर्व्यवहार का सामना करने वाला कैमरून का व्यक्ति चाहता है कि मध्य अफ्रीकी आर्थिक और मौद्रिक समुदाय (सीईएमएसी) एक हो जाए. सीईएमएसी के तहत छह देश गैबॉन, कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य (सीएआर), चाड, कांगो रिपब्लिक और इक्वेटोरियल गिनी शामिल हैं. वह कहते हैं, "हम सीईएमएसी क्षेत्र में हैं. उन्हें सीईएमएसी के कानूनों का सम्मान करना चाहिए. हम एक लोग हैं. हमें हमेशा अफ्रीकियों का सम्मान करना चाहिए."

जिलेवु कई चुनौतियों पर भी बात करते हैं. हालांकि, उन्हें उम्मीद की किरण दिखती है. वह कहते हैं कि सीईएमएसी और ईसीओडब्ल्यूएएस के देशों को एक होने में समय लगेगा. यह धीरे-धीरे आगे बढ़ने वाली प्रक्रिया है, लेकिन इसके सफल होने की पर्याप्त संभावना है.

आगे का रास्ता
प्रवासन विरोधी भावनाओं को हवा देने वाली सार्वजनिक बहस में अक्सर सबूतों का अभाव होता है. आईओएम की मार्जिया कहती हैं, "सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन के लिए वैश्विक समझौते के 23 उद्देश्य हैं. इस समझौते पर दिसंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य देश सहमत हुए थे."

वह कहती हैं, "इन उद्देशयों में सबसे पहले साक्ष्य-आधारित नीतियों और प्रवास के बारे में सार्वजनिक बहस के लिए डेटा में सुधार करना है. सटीक डेटा से ही प्रवासन विरोधी भावनाओं को नियंत्रित किया जा सकता है." मार्जिया बताती हैं, "यह समझौता इसलिए किया गया, ताकि प्रवासियों की सुरक्षा की जाए और मानवाधिकारों की रक्षा हो सके."

वहीं, जिलेवु का कहना है कि घाना इन मानकों को पूरा कर रहा है. जो लोग आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन करते हैं उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है.

वह कहते हैं, "घाना शांतिपूर्ण जगह है, जहां के सभी लोग मिलनसार हैं. यहां कानून का पूरी तरह पालन होता है. इसलिए, प्रवास के मामले में हम सतर्कता के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं." (dw.com)
 


अन्य पोस्ट