राष्ट्रीय

फर्जी आरटीपीसीआर और सोई सरकार
05-Jul-2021 7:29 PM
फर्जी आरटीपीसीआर और सोई सरकार

चार लाख से ज्यादा लोगों की मौत के बाद भी भारत सरकार यह तय नहीं कर सकी है कि कोविड-19 की स्टैंडर्ड आरटीपीसीआर रिपोर्ट कैसी होनी चाहिए. फर्जी रिपोर्टें दिखा रही है कि प्रचार की दीवानी सरकारें कितनी लापरवाह हैं.

डॉयचे वैले पर ओंकार सिंह जनौटी की रिपोर्ट- 

जुगाड़ लगाइए, अपनी डिटेल्स व्हाट्सऐप कीजिए और कुछ ही देर में आपको फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट मिल जाएगी. अगर आप तकनीकी रूप से स्मार्ट हैं तो लैपटॉप पर फोटोशॉप या एडोब जैसे सॉफ्टवेयरों से भी फेक रिपोर्ट खुद बना सकते हैं. फेक रिपोर्ट इंटरनेट से डाउनलोड भी की जा सकती है.

भारत कई राज्यों में फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्टें धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रही हैं. जिन राज्यों की सीमा पर कोरोना संबंधी चेकिंग हो रही है, वहां ये रिपोर्टें दिखाई जा रही हैं. चेकिंग करने वाले पुलिसकर्मियों और सरकारी कर्मचारियों के पास ऐसा कोई तरीका नहीं है, जिससे वह इन रिपोर्टों की असलियत जान सकें. हर दिन हजारों लोगों से सवाल जबाव करना मुमकिन नहीं.

यही कारण है कि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में ही फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्टों के डेढ़ लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. कमोबेश ऐसी ही स्थिति दूसरे राज्यों में भी है. हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड में ऐसी लैबें भी सामने आ चुकी हैं जो बड़ी संख्या में फर्जी रिपोर्टें बेच चुकी हैं. टेस्ट के बाद मिली असली आरटीपीसीआर रिपोर्ट और मंगवाई गई फर्जी रिपोर्ट में कोई अंतर नजर नहीं आता है. इसकी बड़ी वजह है सरकार की नाकामी. महामारी के डेढ़ साल बाद भी सरकार और नौकरशाह तय नहीं कर पाए हैं कि आरटीपीसीआर रिपोर्ट का फॉरमेट कैसा होना चाहिए.

एयरपोर्टों पर बीते एक डेढ़ महीने से क्यूआर कोड वाले आरटीपीसीआर रिपोर्ट्स ही स्वीकार किए जा रहे हैं. लेकिन इस बात का पता एयरपोर्ट पर जाकर ही चलता है. अगर आपके पास ऐसी रिपोर्ट नहीं है तो एयरपोर्ट पर ही फौरन एंटीजन टेस्ट करवाइए या फ्लाइट मिस कीजिए. क्यूआर कोड वाली स्टैंडर्ड रिपोर्ट और स्मार्टफोन पर उस कोड की स्कैनिंग से इस फर्जीवाड़े पर काफी हद तक लगाम लग सकती है. इतनी सी बात समझने के लिए न जाने किस पल और किस नारे का इंतजार हो रहा है.

फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्टों की बाढ़ के बीच अब कई राज्यों में कुछ लैबों पर बैन लगा दिया गया है. उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में कुछ गिरफ्तारियां भी हो रही हैं. राज्यों के स्वास्थ्य सचिव परेशान हो रहे हैं लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कोई ठोस कदम अब भी नहीं उठाया जा रहा है.

हाल ही दिल्ली की एक अदालत ने फर्जी रिपोर्ट बनाने के एक आरोपी को 25 हजार रुपये की मुचलके पर जमानत भी दे दी. इससे क्या संदेश जाता है यह बताने की जरूरत नहीं. एक तरफ प्रचार और दूसरी तरफ भ्रष्टाचार, भारत कोरोना से इसी तरह लड़ रहा है.(dw.com)

 


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