राष्ट्रीय
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-प्रफुल्ल कुमार
बेतिया. डॉक्टर को अगर धरती का भगवान कहा जाता है, तो बाढ़ जैसी आपदा में अपने जान की बाजी लगाकर लोगों की जान बचाने में जुटी एनडीआरएफ को पानी का भगवान कहा जा सकता है. पश्चिम चम्पारण में बाढ़ का कहर झेल रहे लोगो के लिए एनडीआरएफ किसी भगवान से कम नहीं हैं. इसकी बानगी नरकटियागंज अनुमंडल क्षेत्र के सिकटा में देखने को मिली जहां एनडीआरएफ की टीम ने बाढ़ के बीच बच्चे को जन्म देने के बाद दर्द के कराह रही एक प्रसुता को एनडीआरएफ ने सुरक्षित रेस्क्यू कर अस्पताल पहुंचाया जहां इलाज के बाद जच्चा और नवजात बच्चा दोनों सुरक्षित हैं.
दरअसल बाढ़ को देखते हुए नरकटियागंज में स्थाई रूप से तैनात एनडीआरएफ के कमांडर अविनाश कुमार को एक महिला की आपातकालीन निकासी की आवश्यकता के बारे में फोन आया. उसने हाल ही में एक बच्चे को जन्म दिया था. सिकटा प्रखंड क्षेत्र का नरकटिया गांव पानी से भरा हुआ था और गांव से अस्पताल जाने का कोई साधन नहीं था. अस्पताल तक जाने के लिए सिर्फ नाव ही एकमात्र संभव विकल्प था, लिहाजा परिजनों द्वारा दी गई सूचना पर बगैर वक्त गंवाए एनडीआरएफ की एक टीम तुरंत नाव से गांव की ओर निकल गई.
एनडीआरएफ की टीम अपने साथ आशा कार्यकर्ता और गोपालपुर थानाध्यक्ष राजरूप राय को भी साथ लेकर मौके पर पहुंची और 25 वर्षीय भवानी नाम की महिला को सैलाब के बीच रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाला लिया जिसे सिकटा पीएचसी भेजा गया जहां महिला का इलाज चल रहा हैं. महिला के साथ साथ नवजात बच्चा भी पुरी तरह सुरक्षित हैं. एनडीआरएफ कमांडर अविनाश कुमार ने बताया कि फोन पर सूचना मिलते ही टीम महिला को घर से अस्पताल तक पहुंचाने के लिए निकल गई और कड़ी मशक्कत के बाद महिला को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया दिया गया.
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि सुबह में उनके मोबाइल पर भी ग्रामीणोंं द्वारा सूचना दी गई कि एक महिला को मदद की जरूरत है, जिसके बाद नरकटियागंज में तैनात एनडीआरएफ को तुरंत नरकटिया गांव के लिए रवाना किया गया और त्वरित कार्रवाई करने से महिला की जान बच गई. डीएम ने बाढ़ जैसे हालात में जिलावासियों से अपील की हैं कि कहीं भी कोई फंसा है तो इसकी सूचना तुरंत जिला प्रशासन को या फिर एनडीआरएफ की टीम को दें, खुद से बाहर निकलने का प्रयास ना करें.