महासमुन्द
तेन्दूवाही में कृषक गोष्ठी, सूखे बुआई विधि के फायदे बताए
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 6 नवंबर। किसान क्राफ्ट के माध्यम से सूखे सीधी बीज वाले धान उगाने के फायदों के बारे में जागृत करने के उद्देश्य के तहत बुधवार को ग्राम तेन्दूवाही में एक कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें किसानों को सूखे बुआई विधि के बारे में बताकर इसके फायदों को बताया गया। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय अंतर्गत कृषि महाविद्यालय महासमुंद के सहायक प्रोफेसर डॉ.सुषमा ने कहा कि धान की खेती और उत्पादन का भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। पानी की कमी और ज्ञान की कमी जैसी विभिन्न समस्याएं और मुद्दे इस फसल के उत्पादन पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं, जो हमारी अर्थव्यवस्था के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
बताया गया कि सूखे सीधे बीज वाले धान का लाभ यह है कि यह धान की खेती के लिए आवश्यक पानी की तुलना में 50 फीसदी कम पानी का उपयोग करता है। उर्वरक,कीटनाशकों, श्रम लागत और ग्रीनहाउस गैस मीथेन उत्सर्जन की मात्रा को कम करता है। एक किलोग्राम पारंपरिक धान के उत्पादन के लिए 5 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि सूखे प्रत्यक्ष बीज वाले धान के लिए 2 हजार, ढाई हजार लीटर के बीच की पानी आवश्यकता होती है। यह फसल कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती है। डीडीएसआर, सूखे खेतों में धान का सीधा बीजारोपण है। दाल, सब्जियों और तिलहनों के साथ सह फसलन भी संभव है। लंबे समय में इससे मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है। कहा कि कीटों व बीमारियों की संभावना कम: सूखे सीधे बीज वाले धान की खेती का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसमें नर्सरी,पानी में रोपाई नहीं होती है। यह पर्यावरण के अनुकूल भी है क्योंकि यह लागत प्रभावी फसल होने के साथ-साथ कम मीथेन उत्सर्जन पैदा करती है।
किसान क्राफ्ट के डेवलेपमेंट मैनेजर किशनजीत सिन्हा ने कहा कि सूखे सीधे बीज वाले धान का उपयोग करके किसान मिट्टी की उर्वरता के आधार पर अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। पारंपरिक धान की किस्मों की तुलना में स्वाद में कोई बदलाव किए बिना, इस धान को सीधे बोया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप धान की खेती की लाभप्रदता में वृद्धि होती है। क्योंकि इससे खेती के खर्च में काफी कमी आती है।


