महासमुन्द

आवारा पशुओं को हादसों से बचाने खाली जमीन की साफ-सफाई कर बना दिया गौठान
06-Nov-2025 3:57 PM
आवारा पशुओं को हादसों से बचाने खाली जमीन की साफ-सफाई कर बना दिया गौठान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,6 नवंबर। शासन-प्रशासन के निर्दश के बावजूद आवारा मवेशियों से उपजी विभिन्न प्रकार की समस्याओं से पूरा प्रदेश जूझ रहा है। महासमुंद जिले में भी नेशनल हाइवे से लेकर स्टेट हाइवे और भीतरी सडक़ों से लेकर शहर व गांवों तक की सडक़ें गौठान में तब्दील होती जा रही है। मवेशियों की वजह से सुगम यातायात तो लोग भूल ही चुके हैं। हादसों में मारे जा रहे मवेशियों के खून से भी सडक़ें लाल हो रही हैं। ऐसे में खल्लारी के ग्रामीणों की मदद से संतोष कुमार यादव ने गांव व आसपास आवारा घूमने वाले मवेशियों को सडक़ों से हटाकर खाली पड़ी एक सुरक्षित जमीन पर एकत्र करने की अनुकरणीय पहल की है। उन्होंने इसकी शुरूआत सितम्बर 2025 से की, जो निरंतर जारी है।

संतोष यादव कहते हैं-गांव के सभी छोटे-बड़े मवेशी रात्रि में पशुपालकों के घर नहीं जाते थे और गांवों के विभिन्न चौक-चौराहों पर रात्रि बसर करते थे। कई बार इन्हीं मवेशियों के झुंड पर रात्रि के समय जंगली जानवरों का हमला भी हुआ। ये मवेशी लगातार फसलों को नुकसान पहुंचा रहे थे।

 

कहा कि खासकर नेशनल हाईवे 353 किनारे बसे गावों में आये दिन मवेशी भारी वाहनों से टकरा कर दुर्घटना के शिकार होकर मर रहे थे। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए सभी ऐसे मवेशियों को एक साथ रखने की योजना बनाई। उसके बाद से गांव वालों की विशेष सहमति व सहयोग से खल्लारी मार्ग स्थित ठकुरदिया परिसर की भूमि जो साढ़े तीन एकड़ में फैली जमीन के बाकी हिस्से में मवेशियों को सुरक्षित रखकर परिसर की साफ. सफाई कर दाने-पानी की व्यवस्था करने का निर्णय लिया। गांव व खेत-खलिहानों सहित इधर-उधर घूम रहे मवेशियों को खोज-खोज कर लाया और तभी से गांव के मवेशी अब एक जगह सुरक्षित हैं। गौठान का नाम सेवार्थ रखा जहां मवेशियों की अच्छी व्यवस्था व देखभाल की जाती है। सामाजिक कार्यकर्ता व उप सरपंच तारेश साहू भी समय-समय पर यहां उपलब्ध रहते हैं। सेवादार संतोष कुमार यादव ने कहा कि हमारे गांव में गौवंश की अच्छी व्यवस्था के लिए शासन-प्रशासन सहयोग करे तो मवेशियों को और ज्यादा बेहतर तरीके से व्यवस्था मिल सकती है। नि:स्वार्थ भाव से मैं अपने खर्चों से यह सब कर रहा हंू। बरसात में मवेशियों के लिए एक प्लास्टिक पाल से छांव की भी व्यवस्था की थी। चूंकि यह स्थान पहाड़ी के नीचे है इसलिए बंदरों के उत्पात से प्लास्टिक पाल को भी नुकसान हो चुका है। यदि शासन-प्रशासन सहयोग करे तो परिसर में शेड निर्माण व अन्य व्यवस्थाओं से मवेशी ज्यादा सुरक्षित रह सकते हैं। मैं गौवंश की सेवा कर रहे हैं क्योंकि गौ वंश की सेवा से बड़ा पुण्य और कुछ नहीं है। गौरवंश को सुरक्षित रखने की प्रेरणा मुझे तत्कालीन भूपेश बघेल की सरकार की गौठान योजना से मिली। उस समय गांवंों में ज्यादातर मवेशियों का विशेष ख्याल रखा जाता था। लेकिन अब ऐसी संभावना नहीं है। बहरहाल खल्लारी के ग्रामीण संतोष कुमार यादव सेवादार स्वयं नि:स्वार्थ भाव से कर रहे हैं।


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