महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 3 जुलाई। सांसद रूपकुमारी चौधरी के प्रयासों से प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना चतुर्थ चरण के अंतर्गत 66 सडक़ों की कुल 155 किलोमीटर लंबाई की परियोजना तैयार की गई है। इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 100 करोड़ रुपए है जिसके लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन बनाकर स्वीकृति हेतु प्रस्तुत कर दिया गया है। यह सडक़ें जिले के पांच विकासखंडों के उन ग्रामों में निर्मित की जाएंगी जो अब तक पक्की सडक़ों से वंचित रहे हैं। विशेषकर ऐसे गांव जहां अनुसूचित जनजातियों की आबादी बहुसंख्यक है।
श्रीमती चौधरी का कहना है कि इन गांवों तक पक्की सडक़ें पहुंचने से न केवल आवागमन सुलभ होगा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी। सांसद रूपकुमारी चौधरी ने बताया कि वे स्वयं ग्रामीण परिवेश से आती हैं, और उन्होंने गांवों में सडक़ के अभाव के कारण होने वाली कठिनाइयों को निकट से देखा है। सांसद रूपकुमारी ने सडक़ों के अभाव में स्कूली बच्चों का कीचड़ भरे रास्तों से गुजरना, गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में आने वाली परेशानी और किसानों की उपज को बाजार तक पहुंचाने में हो रही देरी जैसी अनेकों समस्याओं के निराकरण को लेकर कहा कि ये सब समस्याएं केवल एक पक्की सडक़ से काफी हद तक दूर हो सकती हैं। सांसद ने बताया कि इस परियोजना में प्रधानमंत्री धरती आभा जनजातीय उत्कर्ष अभियान के तहत चयनित ग्रामों को प्राथमिकता देकर तैयार की गई है। जिससे वंचित समुदायों को विकास की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना न केवल एक इंफ्रास्ट्रक्कर प्रोजेक्ट है, बल्कि यह सामाजिक समावेशन और आर्थिक सशक्तिकरण का मार्ग भी प्रशस्त करती है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना की मूल भावना का विस्तार है। अटल जी का विजन था कि समाज का अंतिम व्यक्ति भी विकास की सुविधाओं से वंचित न रहे। परियोजना की स्वीकृति उपरांत जल्द ही सडक़ों का निर्माण कार्य प्रारंभ होना है। श्रीमती चौधरी ने स्पष्ट किया कि सडक़ निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए वे स्वयं मॉनिटरिंग करेंगी।
ताकि समयसीमा के भीतर गुणवत्ता वाली सडक़ें तैयार की जा सकें।