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छात्र की मौत का मामला ठंडा नहीं पड़ा, प्रबंधन की संवेदनहीनता पर भी उठे सवाल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 5 नवंबर। गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी फिर एक दुखद घटना की वजह से सुर्खियों में है। अभी कुछ ही दिनों पहले छात्र की मौत से मचा हंगामा थमा नहीं है कि मंगलवार की सुबह वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र मिश्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में शव उनके निवास पर मिला।
डॉ. मिश्रा यूनिवर्सिटी परिसर की आवासीय कॉलोनी में अकेले रहते थे। मंगलवार की सुबह जब उन्होंने दरवाजा नहीं खोला, तो फिजिक्स विभाग के एक शिक्षक और अन्य कर्मचारी पहुंचे। काफी देर तक खटखटाने के बाद जब भीतर से कोई जवाब नहीं मिला, तो दरवाजा तोड़कर देखा गया। कमरे के भीतर प्रोफेसर बेहोश पड़े थे। तत्काल एंबुलेंस बुलाकर उन्हें सिम्स अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सहकर्मियों ने बताया कि जब एंबुलेंस आई, तो उसमें स्ट्रेचर और ऑक्सीजन की सुविधा नहीं थी। बिना ऑक्सीजन लगाए ही प्रोफेसर को अस्पताल लाया गया। रास्ते में ही उनकी सांसें थम चुकी थीं।
यूनिवर्सिटी के स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर सर्वेश गौरहा ने बताया कि प्रोफेसर को पहले दिन लूज मोशन और दांत दर्द की दवा दी गई थी। विश्वविद्यालय परिसर में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन वहां सिर्फ हल्की बीमारियों का इलाज ही संभव है। अचानक बिगड़ी तबीयत या आपात स्थिति में मरीजों को शहर के अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है।
इधर, प्रोफेसर की मौत की खबर के बावजूद कुलपति और कुलसचिव देर रात तक न तो सिम्स अस्पताल पहुंचे, न ही विश्वविद्यालय परिसर में नजर आए। हैरानी की बात यह रही कि मौत की सूचना के बाद भी विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में वृद्धजनों के विषय पर कार्यक्रम जारी रहा।
छात्रों को उस कार्यक्रम में बैठाया गया था, जिससे स्टाफ और विद्यार्थियों में नाराजगी देखी गई।
महज 15 दिनों के भीतर यह यूनिवर्सिटी में दूसरी मौत है। इससे पहले बीएससी फिजिक्स के छात्र अर्सलान अंसारी की लाश कैंपस के तालाब से बरामद हुई थी। उस मामले में अब तक एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई है और जांच ठप है। अब प्रो. मिश्रा की मौत ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सिम्स अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने बताया कि प्रारंभिक रूप से मामला कार्डियक अरेस्ट का प्रतीत होता है, लेकिन वास्तविक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा।
प्रोफेसर मिश्रा मूल रूप से गोरखपुर बस्ती (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले थे। उनका बेटा दिल्ली में है, जो शाम को बिलासपुर पहुंचने के बाद पोस्टमार्टम कराया गया। बेटे का कहना है कि उसकी पिता से शाम को बात हुई थी और वे ठीक थे।
कोनी थाना प्रभारी रविंद्र अनंत ने बताया कि प्रोफेसर के कमरे को सील कर दिया गया है। पुलिस सभी पहलुओं से जांच कर रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और छात्रों ने प्रशासन की लापरवाही और असंवेदनशील रवैये को लेकर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि पिछले हादसे से भी कोई सबक नहीं लिया गया है।


