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बिलासपुर, 4 नवंबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आर्थिक तंगी के कारण पत्नी पर हमला करने वाले पति को मिली तीन साल की सजा कम कर दी है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने जेल में जो अवधि पहले ही काट ली है, वही सजा के रूप में पर्याप्त है।
मामला कवर्धा जिले का है। आरोपी भागवत दास वैष्णव फल बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। व्यवसाय में नुकसान और बढ़ते कर्ज से परेशान होकर पति-पत्नी के बीच अक्सर झगड़े होने लगे थे। तनाव इतना बढ़ गया कि भागवत एक दिन घर छोड़कर चला गया। उसकी पत्नी ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने उसे खोज कर वापस घर पहुंचा दिया।
3 अप्रैल 2019 की सुबह भागवत की पत्नी घर पर चावल बीन रही थी, तभी पति ने गुस्से में आकर हंसिया से उसकी गर्दन पर हमला कर दिया। पत्नी ने खुद को बचाने की कोशिश की, फिर भी उसे हाथ, पैर और गर्दन पर गंभीर चोटें आईं। पड़ोसियों की मदद से उसे अस्पताल पहुंचाया गया। कवर्धा पुलिस ने इस मामले में भागवत के खिलाफ हत्या के प्रयास (धारा 307) के तहत केस दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया।
निचली अदालत ने आरोपी को तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील दायर की। जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद माना कि आरोपी दोषी है, लेकिन उसकी आर्थिक और पारिवारिक परिस्थितियों को देखते हुए पूरी सजा काटना आवश्यक नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि भागवत अपने परिवार के लिए मेहनत करता था और आर्थिक संकट में घिर जाने के कारण तनावग्रस्त था। उसने जेल में पहले ही 413 दिन गुजारे हैं, जो न्याय की पूर्ति के लिए पर्याप्त हैं।


