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छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिकरण से हटाए गए कांग्रेस नेता ने हर्जाना मांगा
04-Nov-2025 11:32 AM
छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिकरण से हटाए गए कांग्रेस नेता ने हर्जाना मांगा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 4 नवंबर। कांग्रेस शासनकाल में छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिकरण के सदस्य नियुक्त किए गए कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्ला ने अपने पद से संबंधित विवाद को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शुक्ला ने आरोप लगाया है कि विभागीय अधिकारियों ने उनका इस्तीफा छह महीने की देरी से स्वीकार किया, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ और वे अपनी वकालत नहीं कर पाए।

शुक्ला को राज्य सरकार ने 18 अगस्त 2021 को भाड़ा नियंत्रण अधिकरण का सदस्य नियुक्त किया था। उनका कार्यकाल तीन वर्ष यानी 30 अगस्त 2024 तक निर्धारित था। लेकिन 20 दिसंबर 2023 को उन्हें पद से हटा दिया गया। अगले दिन, 21 दिसंबर को अधिकरण के रजिस्ट्रार ने आदेश जारी कर उनकी सेवा समाप्त कर दी। इस आदेश के खिलाफ शुक्ला ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। 8 जनवरी 2024 को हाईकोर्ट ने राज्य शासन के आदेश पर रोक लगाते हुए उन्हें पुनः कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति दी।
हालांकि, कोर्ट से राहत मिलने के बाद शुक्ला ने 9 जनवरी 2024 को पद से इस्तीफा दे दिया। उनका कहना था कि परिस्थितियों के कारण वे अब इस पद पर कार्य नहीं करना चाहते। लेकिन विभाग ने उनका इस्तीफा तुरंत स्वीकार नहीं किया। करीब छह महीने बाद 5 जून 2024 को विभाग ने इसे मंजूरी दी।

याचिकाकर्ता के वकील संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि विभाग ने गलती से इस्तीफा 9 जनवरी की तारीख से प्रभावी माना, जबकि इसे स्वीकार जून में किया गया। इस कारण शुक्ला जनवरी से जून तक न तो वकील के रूप में प्रैक्टिस कर पाए और न ही अधिकरण से वेतन, मानदेय या भत्ते प्राप्त कर सके।

याचिका में मांग की गई है कि जनवरी से जून 2024 तक का वेतन, टीए-डीए, मानदेय और अन्य सभी देय भुगतान किया जाए। इसके अलावा 5 जून और 18 जून 2024 को जारी विभागीय आदेशों को निरस्त करने की भी मांग की गई है।


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