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राज्योत्सव: बॉलीवुड गायक आदित्य नारायण, छत्तीसगढ़ी कलाकारों ने बिखेरा रंग
03-Nov-2025 9:25 AM
राज्योत्सव: बॉलीवुड गायक आदित्य नारायण, छत्तीसगढ़ी कलाकारों ने बिखेरा रंग

सुरमई शाम से सजी महफ़िल

रायपुर, 3 नवंबर। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर आयोजित भव्य राज्योत्सव में दूसरे दिन रविवार को बॉलीवुड के गीत-संगीत के साथ छत्तीसगढ़ की लोककला, संगीत और नृत्य की ऐसी रंगीन छटा बिखरी कि शाम सुरमई हो गई। प्रख्यात छत्तीसगढ़ी गायक सुनील तिवारी ने अपनी टीम के साथ लोकगीतों के स्वर से परंपरा और आधुनिकता के संगम से सजी इस सांस्कृतिक संध्या ने दर्शकों के दिलों में गहरा प्रभाव छोड़ा। वहीं बॉलीवुड के महशूर पार्श्व गायक आदित्य नारायण ने गीतों से श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। 

लोकगायक सुनील तिवारी ने जब “मोर भाखा के संग दया मया के सुघ्घर हवे मिलाप रे” और “अइसन छत्तीसगढ़िया भाखा कौनो संग” गुनगुनाया, तो पूरा दर्शकदीर्घा तालियों की गूंज से भर उठा। लोकगीतों की लड़ी में राऊत, राजगीत, ददरिया, सोहर, विवाह, पंथी और होली जैसे गीतों के साथ उन्होंने छत्तीसगढ़ की मिट्टी की खुशबू बिखेर दी।

उनके गीत “पता ले जा रे गाड़ी वाला...”, “अरपा पैरी के धार...” और “मोर संग चलव रे...” ने दर्शकों को लोकसंगीत की उस दुनिया में पहुंचा दिया जहां परंपरा, भावना और माटी एकाकार हो जाते हैं। सामूहिक कर्मा नृत्य के माध्यम से गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने वाले श्री तिवारी ने अपनी प्रस्तुति से लोकगायन की गरिमा को नए शिखर पर पहुंचाया।

चिन्हारी - द गर्ल बैंड ने बढ़ाई चमक

इसके बाद मंच पर आईं जयश्री नायर और मेघा ताम्रकार की ‘चिन्हारी - द गर्ल बैंड’ ने अपने ऊर्जावान प्रदर्शन से राज्योत्सव में नई ताजगी भर दी। उनकी गायकी में जहां लोकधुनों की आत्मा थी, वहीं संगीत संयोजन में आधुनिकता की झलक। बैंड की प्रस्तुति ने यह संदेश दिया कि परंपरा और नवाचार का संगम ही आज की नई पहचान है। दर्शकों ने तालियों और उत्साह से उनका स्वागत किया।

सांस्कृतिक संध्या में बॉलीवुड के नामचीन गायक आदित्य नारायण ने सबके जुबां में रची बसी फेमस गीत- पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा.., पहला नशा.. पहला खुमार.., बिन तेरे सनम.., जो तुम न हो..,अपना बना लो पिया, केशरिया इश्क है तेरा, वादा रहा सनम..., ये काली-काली आँखे.., कोई मिल गया, मेरा दिल गया..., जाने जा.., मैं निकला गड्ड़ी लेके..की प्रस्तुति से माहौल को उल्लासमय बना दिया और खूब तालियां बटोरी।

उनकी संवाद शैली, हाव-भाव और जीवंत अभिनय ने संगीत की गहराई को दर्शकों के सामने साकार कर दिया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में पद्मश्री डोमार सिंह कंवर की नाचा प्रस्तुति ने राज्योत्सव में ऊर्जा और उल्लास का वातावरण बना दिया। उनकी नाट्य शैली और छत्तीसगढ़ी हाव-भाव से सजी प्रस्तुति ने दर्शकों को लोककला की गहराई से जोड़ दिया। नाचा की पारंपरिक झलक और लोक संस्कृति की जीवंतता ने राज्योत्सव के मंच को अविस्मरणीय बना दिया।


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