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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किए निर्देश
छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 30 अक्टूबर । एम्स रायपुर समेत देश भर के इन संस्थानों डॉक्टर मरीजों के पर्चे (प्रिस्क्रिप्शन) में हिंदी में ही दवा लिखेंगे। ताकि मरीजों और परिजनों को आसानी से समझ में आ सके। साथ ही यहां पढ़ने वाले मेडिकल छात्र-छात्राएं हिंदी में ही पढ़ाई करेंगे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एम्स को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। इसके बाद एम्स के हिंदी अनुभाग ने संस्थान के सभी विभागों को हिंदी में कामकाज की शुरुआत करने को कहा है। इसके लिए पूरा खाका तैयार कर लिया गया है।
मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक, एम्स में मेडिकल की पढ़ाई के लिए हिंदी में प्रकाशित पुस्तकें खरीदी जाएंगी, मेडिकल के क्षेत्र में शोध कार्य भी हिंदी में करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
एम्स के सभी अनुभागों को निर्देश दिए गए हैं कि इसकी प्रगति रिपोर्ट भी भेजी जाए। मंत्रालय का कहना है कि इसका मकसद कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाना, स्वास्थ्य सेवाओं को आमजन के लिए और अधिक सुलभ बनाना है।
एम्स में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में करने के लिए आदेश तो जारी कर दिया गया है, लेकिन फिलहाल यह व्यवस्था वैकल्पिक रहेगी। अधिकांश शब्द हिंग्लिश के इस्तेमाल होंगे। आदेश में भी सिर्फ हिंदी में ही पढ़ाई करने की बाध्यता नहीं लगाई गई है। ऐसे में जो छात्र-छात्राएं अंग्रेजी में ही पढ़ाई कर सकते हैं और उनकी भाषा हिंदी नहीं है, उन पर दबाव नहीं बनाया जा सकता है।
यहां बता दें कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराई जा रही है, लेकिन हिंदी की किताबों में हार्ट शब्द को हार्ट ही रखा गया है, इसे ह्रदय नहीं लिखा गया है। इसी तरह लिवर को यकृत नहीं लिखा गया है।


