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हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद फर्जी दस्तावेजों पर नगर-निगम ने करा दी एफआईआर, याचिकाकर्ता को मिली जमानत
29-Oct-2025 1:46 PM
हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद फर्जी दस्तावेजों पर नगर-निगम ने करा दी एफआईआर, याचिकाकर्ता को मिली जमानत

छत्तीसगढ़' संवाददाता 

बिलासपुर, 29 अक्टूबर। नगर निगम बिलासपुर के विवादित भवन नक्शा प्रकरण में आरोपी विजय कुमार साहू को निचली अदालत ने सोमवार को सशर्त जमानत दे दी। अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से दायर जमानत आवेदन पर सुनवाई के बाद अदालत ने यह राहत प्रदान की।

मालूम हो कि एसडीएम की रिपोर्ट के आधार पर नगर निगम आयुक्त ने साहू की संपत्ति का नक्शा निरस्त कर दिया था। इस आदेश को विजय साहू ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पाया कि आयुक्त ने एकतरफा कार्रवाई की है और सुनवाई का अवसर दिए बिना आदेश पारित किया गया। अदालत ने इसे रद्द कर दिया।

इसके बावजूद नगर निगम ने साहू पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भवन अनुज्ञा प्राप्त करने का आरोप लगाते हुए सरकंडा थाने में एफआईआर दर्ज करा दी। गिरफ्तारी की आशंका होने पर साहू ने जमानत आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसे अदालत ने शर्तों के साथ मंजूर कर लिया।

जमानत आवेदन में साहू ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2012 में खसरा नंबर 559/2/थ की 3492 वर्गफुट आवासीय भूमि राजकुमारी यादव से विधिवत खरीदी थी, जो राजस्व रिकार्ड में आज भी उनके नाम दर्ज है। नगर तथा ग्राम निवेश विभाग से भूमि उपयोग प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद नगर निगम ने 20 जून 2025 को भवन अनुज्ञा स्वीकृत की थी।

मामले में कलेक्टर के निर्देश पर हुई जांच में एसडीएम ने यह रिपोर्ट दी कि संबंधित भूमि घास भूमि (चारागाह) के रूप में दर्ज है। इस रिपोर्ट के आधार पर 8 सितंबर 2025 को आयुक्त ने भवन अनुज्ञा निरस्त कर दी। साहू का कहना है कि उन्हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया और आयुक्त ने पुरानी मिसल बंदोबस्त (1929–30) की प्रविष्टियों के आधार पर आदेश पारित किया।

साहू की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिया कि खसरा नंबर 559/2 को बिलासपुर विकास योजना 2031 में आवासीय भूमि घोषित किया जा चुका है। ऐसे में नगर निगम की कार्रवाई एकपक्षीय है। निगम ने जिस खसरा नंबर 417/20 के फर्जी दस्तावेज का आरोप लगाया है, वह उनके नाम से कभी दर्ज ही नहीं था। भवन अनुज्ञा खसरा नंबर 559/2/थ/1 पर दी गई थी।

वहीं, इस मामले में हुई स्वतंत्र जांच में भवन अधिकारी ने भी पाया कि विजय साहू द्वारा किसी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है। कलेक्टर के निर्देश पर नगर निगम के भवन विभाग प्रमुख अनुपम तिवारी ने 11 जुलाई 2025 को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में शिकायत को निराधार बताते हुए नस्तीबद्ध कर दिया था।

अदालत ने नगर निगम आयुक्त की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए। न्यायालय ने कहा कि जिस भूमि को घास भूमि बताया गया है, वह 1955–56 के राजस्व दस्तावेजों में भूमि स्वामी के नाम दर्ज है। इसके बावजूद बिना सुनवाई और जांच के भवन अनुज्ञा निरस्त कर देना विधिसंगत नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि नगर निगम को आगे की कार्रवाई से पहले समुचित जांच और पक्षकार को सुनवाई का अवसर देना आवश्यक है।

इस प्रकार, हाई कोर्ट के हस्तक्षेप और प्राथमिक साक्ष्यों के आधार पर निचली अदालत ने विजय कुमार साहू को सशर्त जमानत दे दी है।

 


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