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गिधवा–परसदा को इको-पर्यटन केंद्र बनाने की पहल
29-Oct-2025 10:47 AM
गिधवा–परसदा को इको-पर्यटन केंद्र बनाने की पहल

तोखन साहू ने भूपेन्द्र यादव को सौंपी 220 करोड़ रुपये की योजना

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 29 अक्टूबर। केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री और बिलासपुर लोकसभा सांसद तोखन साहू ने गिधवा–परसदा आर्द्रभूमि क्षेत्र को प्रवासी पक्षियों के संरक्षण और इको-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए बड़ी पहल की है। उन्होंने इस संबंध में एक विस्तृत परियोजना प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव को सौंपा है।

इस प्रस्ताव का उद्देश्य गिधवा–परसदा आर्द्रभूमि को मध्य एशियाई प्रवासी पक्षी मार्ग ( सीएएफ ) पर स्थित एक संरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रबंधित क्षेत्र के रूप में विकसित करना है। लगभग 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह स्थल रायपुर से 15 किलोमीटर और नांदघाट से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां अब तक 143 से अधिक पक्षी प्रजातियां दर्ज की जा चुकी हैं। यह प्रवासी जलपक्षियों का प्रमुख विश्राम और प्रजनन स्थल माना जाता है।

तोखन साहू ने अपने पत्र में बताया कि विश्व स्तर पर प्रवासी पक्षियों के नौ प्रमुख मार्गों की पहचान की गई है, जिनमें से तीन भारत से होकर गुजरते हैं। पूर्व एशियाई-ऑस्ट्रेलियाई, पूर्व अफ्रीकी-पश्चिम एशियाई और मध्य एशियाई मार्ग। इनमें मध्य एशियाई मार्ग भारत में प्रवासी पक्षियों की लगभग 90 प्रतिशत प्रजातियों का ठिकाना है। गिधवा–परसदा इसी मार्ग पर स्थित एक महत्वपूर्ण स्थल है, जो छत्तीसगढ़ को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला सकता है।

220 करोड़ रुपये की इस प्रस्तावित परियोजना में संरक्षण अवसंरचना, जल प्रबंधन, अनुसंधान व प्रशिक्षण केंद्र, इको-पर्यटन सुविधाएं, स्थानीय उद्यमिता विकास तथा ‘ सीएएफ सचिवालय’ की स्थापना जैसे घटक शामिल हैं। परियोजना का उद्देश्य न केवल प्रवासी पक्षियों का संरक्षण करना है, बल्कि जलवायु अनुकूलन, ग्रामीण आजीविका, पर्यावरण शिक्षा और सतत विकास को भी बढ़ावा देना है।

साहू ने इस पत्र के साथ प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना (2018–2023) तथा लोकसभा प्रश्न क्रमांक 3340 (16 दिसंबर 2024) का उत्तर भी संलग्न किया है। उन्होंने कहा कि गिधवा–परसदा क्षेत्र छत्तीसगढ़ के लिए केवल प्राकृतिक धरोहर नहीं, बल्कि पर्यावरणीय समृद्धि, जैव विविधता और ग्रामीण विकास का प्रतीक बन सकता है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव से अनुरोध किया कि इस परियोजना प्रस्ताव पर शीघ्र कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं।

 


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