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अहमदाबाद, 12 जुलाई। अहमदाबाद से लंदन जाने वाला एअर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के ठीक एक महीने बाद शनिवार को कई लोगों ने अपने परिजन के उसी उड़ान से रवाना होने से पहले सुरक्षा को लेकर चिंता जताई।
गौरतलब है कि 12 जून को दोपहर 1:39 बजे ड्रीमलाइनर विमान सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद मेघाणीनगर स्थित बी.जे. मेडिकल कॉलेज के छात्रावास में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विमान में सवार 242 में से 241 यात्रियों की मौत हो गई थी। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में मौजूद चार छात्रों समेत 19 लोगों को भी जान गंवानी पड़ी थी।
इस भयानक दुर्घटना के बाद उड़ान कोड एआई-171 को निलंबित कर दिया गया था, लेकिन 16 जून को नए उड़ान कोड एआई-159 के साथ इसे फिर से शुरू किया गया। एअर इंडिया की वेबसाइट के अनुसार, यह उड़ान शनिवार दोपहर 1:08 बजे यहां से रवाना हुई।
अधिकांश लोग अपने संबंधियों के पूर्वाह्न 10 बजे ‘चेक-इन’ करने के बाद हवाई अड्डे से चले गए। वहीं कडी में कुछ समय रहने के बाद भारतीबेन और राजेश की बेटी धरती अपने पति के पास वापस लंदन जाने वाली थी।
भारतीबेन ने कहा, "हम थोड़े घबराए हुए हैं क्योंकि धरती उसी उड़ान से जा रही है जो एक महीने पहले दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। इसलिए हम उसके विमान के उड़ान भरने तक यहीं रुके हुए हैं। हमारे भाग्य में जो लिखा है, उसे हम बदल नहीं सकते। लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी बेटी सुरक्षित पहुंच जाएगी।"
राजेश प्रजापति कहीं ज़्यादा संयमित नजर आए और उन्होंने कहा कि अगर लोग ऐसी त्रासदियों से डरते रहेंगे तो कोई कहीं नहीं जा पाएगा।
उन्होंने कहा, "जो हुआ सो हुआ। हमें आगे बढ़ना होगा। ऐसी घटनाएं अक्सर नहीं होतीं। हमें बीती बातों को भूलना होगा। वरना हम कभी कहीं नहीं जा पाएंगे। मुझे चिंता नहीं है बल्कि पूरा विश्वास है कि सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है।”
भावनगर के निवासी गजानंद पांड्या विगत सात वर्षों से लंदन में बसी अपनी बेटी, दामाद और नातिन को छोड़ने आए थे।
वह लगभग तीन घंटे तक एक बेंच पर बैठे रहे और विमान के उड़ान भरने की पुष्टि होने के बाद ही टैक्सी से घर के लिए रवाना हुए।
पांड्या ने कहा, "वे हमारे साथ कुछ समय बिताने आए थे और आज उसी उड़ान से वापस चले गए। मैं हवाई अड्डे पर ही रुक गया क्योंकि मैं थोड़ा चिंतित था। हालांकि मुझे पता है कि इस तरह के विमान हादसे बहुत कम होते हैं, लेकिन एक पिता का अपने बच्चों के लिए चिंतित होना स्वाभाविक है। इसलिए मैं तुरंत भावनगर के लिए रवाना नहीं हुआ।" (भाषा)