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हाईकोर्ट ने वकील की याचिका खारिज की
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 12 जुलाई । हाईकोर्ट ने फैसले में फैमिली कोर्ट के उस आदेश को सही माना है जिसमें एक अधिवक्ता को डीएनए टेस्ट कराने कहा गया है। हाईकोर्ट ने माना है कि फैमिली कोर्ट को इस तरह का आदेश देने का अधिकार है।
कोरबा के अधिवक्ता श्यामलाल मलिक की जूनियर रही 37 साल की महिला वकील ने उन पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाया है। महिला ने कहा है कि उसकी एक बेटी है और वो श्यामलाल की ही संतान है। जब उसे और बेटी को अधिकार नहीं मिला तो वो फैमिली कोर्ट पहुंच गई और डीएनए टेस्ट की मांग रखी।
फैमिली कोर्ट ने महिला की अर्जी 8 अक्टूबर 2024 को स्वीकार कर ली थी। महिला का तर्क था कि बच्ची नाबालिग है, इसलिए उसके जैविक पिता की पहचान होना जरूरी है, ताकि उसे कानूनी हक मिल सके।
श्यामलाल मलिक ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं लगाईं थीं। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि फैमिली कोर्ट को डीएनए टेस्ट कराने का अधिकार है और इस पर फैसला दोनों पक्षों के साक्ष्य दर्ज होने के बाद ही होगा।