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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 5 मार्च। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिंह और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की खंडपीठ ने रायगढ़ के गैर फोर बाई सिक्स कॉल ब्लॉक के भूमि अधिग्रहण से प्रभावित 49 किसानों की याचिका पर राज्य सरकार, केंद्र सरकार, कलेक्टर रायगढ़, एसडीओ घरघोड़ा और जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड को नोटिस जारी किया है।
याचिका में किसानों ने आरोप लगाया है कि नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू होने के बावजूद छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता की धारा 247 के तहत भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है, जो गैरकानूनी है।
इसके अलावा, किसानों ने मुआवजे की गणना को भी चुनौती दी है। उनका कहना है कि मुआवजे का निर्धारण 2010 की अधिसूचना के आधार पर किया जा रहा है, जबकि पिछले 15 वर्षों में भूमि के बाजार मूल्य में भारी वृद्धि हुई है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि गाड़ी फोर बाई सिक्स कॉल ब्लॉक का भूमि अधिग्रहण सितंबर 2024 में शुरू किया गया, लेकिन खनन पट्टा पहले ही 2023 में जारी कर दिया गया था। यह संविधान की धारा 300ए का खुला उल्लंघन है, क्योंकि किसी भी निजी भूमि का अधिग्रहण बिना उचित मुआवजा दिए और विधिवत प्रक्रिया अपनाए बिना नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि नया भूमि अधिग्रहण कानून पुनर्वास और पुनर्स्थापना के लिए कानूनी अधिकार प्रदान करता है। लेकिन, राज्य सरकार ने भू राजस्व संहिता की धारा 247 में सिर्फ मुआवजे को लेकर संशोधन किया, पुनर्वास और पुनर्स्थापना पर कोई बदलाव नहीं किया। संविधान की धारा 254 के अनुसार, यदि किसी क्षेत्र में संसद ने कानून बना दिया है, तो राज्य सरकार का कानून उस पर प्रभावी नहीं होता। अत: यह अधिग्रहण प्रक्रिया असंवैधानिक है।
किसानों का आरोप है कि सितंबर-अक्टूबर 2024 में जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने कई किसानों की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। उन्होंने यह भी कहा कि कलेक्टर ने किस आधार पर भूमि अधिग्रहण का आदेश दिया, इसकी जानकारी नहीं दी गई और न ही अधिग्रहण अवार्ड की प्रति सौंपी गई।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने अदालत में दलील दी कि इस विषय पर पहले ही एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कलेक्टर को सभी समस्याओं के समाधान का आदेश दिया गया था, और कलेक्टर ने आवश्यक निर्णय ले लिए हैं। अत: यह नई याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि पूर्व में केवल 8 प्रभावितों ने याचिका लगाई थी, जबकि वर्तमान याचिका 49 किसानों की ओर से दायर की गई है। इसके अलावा, कलेक्टर के आदेश से ही पता चला कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही माइनिंग लीज दी जा चुकी थी।
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार, कोयला मंत्रालय, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, कलेक्टर रायगढ़ और एसडीओ घरघोड़ा को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई इसके बाद होगी।