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पोप ने बदले चर्च के नियम लेकिन महिलाएं अभी भी नहीं बन सकतीं पादरी
11-Jan-2021 8:48 PM
पोप ने बदले चर्च के नियम लेकिन महिलाएं अभी भी नहीं बन सकतीं पादरी

कैथोलिक चर्च में महिलाओं को पादरी बनाना या पादरी जैसी भूमिकाएं मिलनी चाहिए या नहीं इस पर विवाद चल रहा है. पारंपरिक रूप से ये पद महिलाओं के लिए उपलब्ध नहीं रहे हैं. क्या पोप फ्रांसिस ये सूरत बदल सकते हैं?

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पोप फ्रांसिस ने रोमन कैथोलिक चर्च के नियमों को बदल कर महिलाओं को कई नई जिम्मेदारियां दी हैं लेकिन यह भी कहा है कि वो अभी भी पादरी नहीं बन सकती हैं. पोप ने चर्च के नियम बदल कर महिलाओं को गॉस्पेल पढ़ने की और चर्च के आल्टर पर बतौर मिनिस्टर सेवाएं देने की अनुमति दे दी है.

इससे पहले यह भूमिकाएं पुरुषों तक ही सीमित थीं, हालांकि कभी कभी नियमों से छूट दे दी जाती थी. अब दुनिया के कई हिस्सों में महिलाएं इन भूमिकाओं को निभाती हैं. पोप का कहना है कि वो ये बदलाव चर्च में महिलाओं के "बहुमूल्य योगदान" को और सम्मान देने के लिए कर रहे हैं. उनका कहना था कि बैप्टाइज किए हुए सभी कैथोलिक ईसाईयों की चर्च के मिशन में एक भूमिका है.

लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने में पादरी बनने जैसी चर्च की नियुक्तियों और योग्य जन-साधारण के लिए उपलब्ध भूमिकाओं में अंतर समझना होगा. वैटिकन पादरी बनना सिर्फ पुरुषों के लिए आरक्षित रखता है. ये बदलाव ऐसे समय पर आए हैं जब पोप पर दबाव बढ़ रहा है कि वो महिलाओं को कम से कम डेकन या छोटा पादरी बनने की अनुमति दें.

डेकन भी वैटिकन द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और पादरियों की कई जिम्मेदारियां वो भी निभा सकते हैं. इनमें शादियां, बपतिस्मा और अंतिम संस्कार कराना शामिल है. इस समय पादरी बनना सिर्फ पुरुषों के लिए संभव है. महिलाएं डेकन बन सकती हैं या नहीं इसका अध्ययन करने के लिए पोप ने इससे पहले विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंची थी.

अब इसी उद्देश्य के लिए पोप ने एक और समिति का गठन किया है. महिलाओं को डेकन बनाने के समर्थक कहते हैं कि ऐसा करने से चर्च के प्रशासन में महिलाओं को ज्यादा अवसर मिलेंगे और इसके साथ दुनिया के कई कोनों में पादरियों की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा. इसका विरोध करने वाले कहते हैं कि इसकी अनुमति देने से महिलाओं के पादरी बनने का रास्ता भी खुल जाएगा.
सीके/एए (एपी)


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