सामान्य ज्ञान

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन
21-Mar-2021 12:08 PM
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन

अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (संगठन)  (आईएलओ) अंतरराष्ट्रीय आधारों पर मजदूरों तथा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए नियम बनाता है। यह संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट संस्था है। 1969 में इसे विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अंतरराष्ट्रीय श्रम कार्यालय सम्मेलन तथा कार्यकारिणी का स्थायी सचिवालय है। संयुक्त राष्ट्र संघ के कर्मचारियों की ही तरह  श्रम कार्यालय के कर्मचारी भी अंतरराष्ट्रीय सिविल सर्विस के कर्मचारी होते हैं जो उस अंतररााष्ट्रीय संस्था के प्रति उत्तरदायी होते हैं। श्रम कार्यालय का काम अंतरराष्ट्रीय  श्रम संघ के विविध अंगों के लिए कार्य विवरण, कागज़़ पत्र आदि प्रस्तुत करना है। सचिवालय के इन कार्यों के साथ ही वह कार्यालय अंतरराष्ट्रीय श्रम अनुसंधान का भी केंद्र है, जो जीवन और श्रम की परिस्थितियों को अंतरराष्ट्र  ढंग से मान्यता प्रदान करने के लिए उनसे संबंधित सभी विषयों पर मूल्यवान सामग्री एकत्र करता तथा उनका विश्लेषण और वितरण करता है। सदस्य देशों की सरकारों और श्रमिकों से वह निरंतर संपर्क रखता है। अपने सामयिक पत्रों और प्रकाशनों द्वारा वह श्रम विषयक सूचनाएं देता रहता है। 
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने 14 मार्च 2016 को घोषणा की कि 90 प्रतिशत घरेलू श्रमिक सामाजिक सुरक्षा से वंचित जीवन व्यतीत कर रहे हैंाष्ट्र  यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के सामाजिक सुरक्षा नीति पत्र 16 में निहित ‘घरेलू श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा : प्रमुख नीतिगत रुझान एवं आंकड़े’ में दी गई।

हख़ामनी वंश
हख़ामनी वंश या अजमीढ़ साम्राज्य(अंग्रेज़ी तथा ग्रीक में एकेमेनिड, अजमीढ़ साम्राज्य (ईसापूर्व 550 - ईसापूर्व 330) प्राचीन ईरान (फ़ारस) का एक शासक वंश था। यह प्राचीन ईरान के ज्ञात इतिहास का पहला शासक वंश था जिसने आज के लगभग सम्पूर्ण ईरान पर अपनी प्रभुसत्ता हासिल की थी और इसके अलावा अपने चरमकाल में तो यह पश्मिम में यूनान से लेकर पूर्व में सिंधु नदी तक और उत्तर में कैस्पियन सागर से लेकर दक्षिण में अरब सागर तक फैल गया था। इतना बड़ा साम्राज्य इसके बाद बस सासानी शासक ही स्थापित कर पाए थे। इस वंश का पतन सिकन्दर के आक्रमण से सन 330 ईसा पूर्व में हुआ था, जिसके बाद इसके प्रदेशों पर यूनानी (मेसीडोन) प्रभुत्व स्थापित हो गया था।
 पश्चिम में इस साम्राज्य को मिस्र और बेबीलोन पर अधिकार, यूनान के साथ युद्ध तथा यहूदियों के मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए याद किया जाता है। कुरोश तथा दारुश को इतिहास में महान की संज्ञा से भी संबोधित किया जाता है। इस वंश को आधुनिक फ़ारसी भाषा बोलने वाले ईरानियों की संस्कृति का आधार कहा जाता है। इस्लाम के पूर्व प्राचीन ईरान के इस साम्राज्य को ईरानी अपने गौरवशाली अतीत की तरह देखते हैं, जो अरबों द्वारा ईरान पर शासन और प्रभाव स्थापित करने से पूर्व था। आज भी ईरानी अपने नाम इस काल के शासकों के नाम पर रखते हैं जो मुस्लिम नाम नहीं माने जाते हैं। जऱदोश्त के प्रभाव से पारसी धर्म के शाही रूप का प्रतीक भी इसी वंश को माना जाता है। तीसरी सदी में स्थापित सासानी वंश के शासकों ने अपना मूल हख़ामनी वंश को ही बताया था।
 


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