सामान्य ज्ञान

मिसाइल अस्त्र
20-Mar-2021 12:11 PM
मिसाइल अस्त्र

अस्त्र , भारत की स्वदेशी तकनीक के आधार पर विकसित दृष्टि से परे (बीवीआर) हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल  है।  सभी प्रकार की परिस्थितियों में काम करने में सक्षम और आधुनिक तकनीक पर आधारित इस मिसाइल को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया और यह सुपरसोनिक गति से दुश्मन के विमान को नष्ट कर सकती है।   अस्त्र मिसाइल की परिचालन रेंज 60 किमी है।  
 यह भारत की पहली दृष्टि से परे (बीवीआर) हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है।   सभी प्रकार की परिस्थितियों में काम करने में सक्षम और आधुनिक तकनीक पर आधारित इस मिसाइल को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है।  3.8 मीटर लंबी अस्त्र मिसाइल डीआरडीओ की सबसे छोटी मिसाइल है।   इसे विभिन्न उंचाइयों से प्रक्षेपित किया जा सकता है।   यह 15 किलोमीटर की ऊंचाई से प्रक्षेपित  किए जाने पर 110 किलोमीटर और आठ किलोमीटर की ऊंचाई से प्रक्षेपित किए जाने पर 44 किलोमीटर और समुद्र की सतह से प्रक्षेपित किए जाने पर 21 किलोमीटर तक जा सकती है।  
 18 मार्च 2015 को ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से इसका सफल परीक्षण किया गया।  मिसाइल का सुखोई 30 लड़ाकू विमान से सफल प्रक्षेपण किया गया. प्रोप्लशन, नेवीगेशन, गाइडेंस जैसी सभी उप प्रणालियों और विमान से मिसाइल के सुचारू विलगाव को सफलतापूर्वक कसौटी पर परखा गया है।   इससे पहले अस्त्र का सफल परीक्षण 4 मई 2014 को नौसेना के पश्चिमी कमान क्षेत्र में किया गया था। 

पहाड़ी भाषाएं
पहाड़ी भाषाएं, भारतीय आर्य परिवार से जुड़ी भाषाओं का एक समूह है, जो मुख्यत: हिमालय के निचले क्षेत्रों में बोली जाती है। 
पहाड़ी का हिंदी अर्थ पहाड़ का है। इस समूह को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। पूर्वी पहाड़ी में नेपाली समूह मुख्य भाषा है, जो प्राथमिक रूप से नेपाल में बोली जाती है। मध्य पहाड़ी भाषाएं उत्तरांचल राज्य में और पश्चिमी पहाड़ी भाषाएं हिमाचल प्रदेश में शिमला के आसपास बोली जाती हैं। इस समूह की सबसे प्रमुख भाषा नेपाली है, जिसे खास-खुरा और गोरखाली (गुरखाली) भी कहते हैं। चूंकि नेपाल के कई निवासी तिब्बती बर्मी भाषाएं बोलते हैं, इसलिए नेपाली में तिब्बती बर्मी बोली के कई शब्द और मुहावरे शामिल हो गए हैं।
 नेपाली भाषा को 1769 में गोरखा विजेता नेपाल लेकर गए। मध्य पहाड़ी वर्ग की प्रमुख भाषाएं गढ़वाली और कुमाऊंनी हैं। पश्चिमी पहाड़ी वर्ग में कई बोलियां हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण सिरमौरी, क्योंठाली, जौनसारी, चमेयाली, चुराही, मंडियाली, गादी और कुलूई शामिल हैं। पहाड़ी बोलियों की कई भाषा शास्त्रीय विशेषताएं राजस्थानी और कश्मीरी भाषाओं के समान हैं।
 


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