सामान्य ज्ञान
नामीबिया, दक्षिणी अफ्रीका का एक देश है जिसकी राजधानी विंडहॉक हैं। इसके पड़ोसी देश हैं - अंगोला, बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका। देश का पश्चिमी भाग कालाहारी मरुस्थल के क्षेत्रों में से एक है। यहां के मूल वासियों में बुशमैन, दामाका जातियों का नाम आता है । जर्मनी ने 1884 में इसको अपना उपनिवेश बनाया और प्रथम विश्व युद्ध के बाद यह दक्षिण अफ्रीका का क्षेत्र बन गया। नामिब मरुस्थल भी यहीं है। 20 मार्च, सन् 1990 में नामीबिया ने 75 सालों के दक्षिण अफ्रीकी शासन से आजादी पाई थी।
अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण-पश्चिमी तट पर बसा एक बड़ा और कम जनसंख्या वाला देश है, नामीबिया. लंबे संघर्ष के बाद 1990 में मिली आजादी के बाद से यहां स्थाई शासन चल रहा है। सन् 1800 में जर्मनी ने दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया था। 1908 में जब इस इलाके में हीरों की खोज होने लगी तो बहुत सारे यूरोपीय देशों की इस क्षेत्र में दिलचस्पी बढ़ी और बड़ी संख्या में यूरोपीय लोगों का यहां आना शुरु हो गया। पहले विश्व युद्ध के छिडऩे पर दक्षिण अफ्रीका ने यहां अपना कब्जा जमा लिया और तबसे ही लीग ऑफ नेशंस के अंतर्गत इस इलाके में दक्षिण अफ्रीका का शासन चलने लगा। उनका शासन दूसरे विश्व युद्ध के बाद तक चला।
फिर 1966 में वहां के माक्र्सवादी साउथ-वेस्ट अफ्रीका पीपल्स ऑर्गनाइजेशन स्वापो के छापामारों ने दक्षिण अफ्रीकी शासन के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी। करीब 25 सालों तक नामीबिया के लोगों ने बुश वार या घात लगाकर किए जाने वाले हमलों से प्रशासन को परेशान कर दिया। संयुक्त राष्ट्र शांति उपायों को मानते हुए 1988 में जाकर दक्षिण अफ्रीका पूरे नामीबियाई क्षेत्र को छोडऩे के लिए तैयार हुआ। वर्ष 1990 में उन्हें दक्षिण अफ्रीकी शासन से पूरी आजादी हासिल हुई। आजादी के समय देश में ऐसे समझौते किए गए जिसके कारण वहां रह रहे गोरे लोग वहीं बने रहे। ये लोग आज भी खेती और कई दूसरे आर्थिक क्षेत्रों में देश के लिए सक्रिय योगदान कर रहे हैं।
सौर संप्रदाय
सौर सम्प्रदाय वैष्णव संप्रदाय की ही उपशाखा माना जाता है। यह समुदाय सूर्य की उपासना करता है।
यह संप्रदाय यह अत्यंत प्राचीन है क्योंकि ऋग्वेद में भी सूर्य की पूजा का उल्लेख मिलता है, परंतु संप्रदाय के रूप में यह स्पष्टï रूप से महाभारत काल में सामने आया। इसके अनुसार सूर्य ही सनातन ब्रह्मï, सबका मूल कारण और उद्गम है। पांचवीं से लेकर दसवीं-ग्यारहवीं शताब्दी तक उत्तर भारत में सौर संप्रदाय का प्रचलन अधिक था। सूर्य-मंदिरों का निर्माण भी इसी अवधि में हुआ जिसमें कोणार्क का सूर्य मंदिर प्रमुख है। बाद में आदित्यवर्ग के देवताओं को वैष्णव संप्रदाय द्वारा अपने में मिला लेने की प्रवृत्ति के कारण पृथक रूप से सौर संप्रदाय का हृास होने लगा।


