सामान्य ज्ञान
विश्व वृक्क या गुर्दा दिवस World kidney day हर साल मार्च के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है। वर्ष 2016 का विष्य था-वृक्क रोग और बच्चे’। यह दिन वैश्विक स्वास्थ्य के प्रति एक जागरूकता अभियान है जो विश्व भर में वृक्क के महत्व और वृक्क की बीमारी तथा उससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभाव और आवृत्ति को कम करने पर केंद्रित है।
विश्व वृक्क दिवस यह नेफ्रोलॉजी के इंटरनेशनल सोसायटी और किडनी फाउंडेशन इंटरनेशनल फेडरेशन की एक संयुक्त पहल है। विश्व किडनी डे की शुरुआत वर्ष 2006 में हुई थी। वर्ष 2006 से लेकर 2015 तक की थीम इस प्रकार है-
1. वर्ष 2016 ‘गुर्दा रोग और बच्चे।
2. वर्ष 2015 गुर्दे की सेहत सभी के लिए।
3. वर्ष 2014 दीर्घकालीन किडनी रोग (सीकेडी) और बढ़ती उम्र।
4. वर्ष 2013 गुर्दे जीवन के लिए -किडनी हमला बंद करो!
5. वर्ष 2012 दान - जीवन के लिए गुर्दे मिले।
6. वर्ष 2011 आपने गुर्दे की रक्षा- अपने दिल को बचाव
7. वर्ष 2010 गुर्दे को सुरक्षित रखें- मधुमेह नियंत्रण
8. वर्ष 2009 आपने गुर्दे सुरक्षित रखें- अपना दबाव कम करे
9. वर्र्ष 2008 आपके अद्भुत गुर्दे।
10. वर्ष 2007 सीकेडी- आम, हानिकारक और इलाज
11. वर्ष 2006 क्या आपके गुर्दे ठीक हैं?
अपभ्रंश
अपभ्रंश छठी से बारहवीं शताब्दी के बीच उत्तर भारत की बोलचाल और साहित्य रचना की प्रमुख भाषा थी। इसे आर्य भाषा (संस्कृत) के मध्यकाल की अंतिम अवस्था और प्राकृत तथा आधुनिक भाषाओं के बीच की कड़ी माना जाता है। यह नाम उस समय तिरस्कार -सूचक समझा जाता था और संस्कृत के भिन्न प्रयोगों को अपभ्रंश कहा गया। इसी कारण कहीं-कहीं इसे अपभ्रष्टï भी कहा गया। अपभ्रंश में नब्बे प्रतिशत शब्द प्राकृत भाषा के हैं। व्याकरण की दृष्टिï से देखा जाए तो विद्वान इसे आधुनिक भाषाओं के करीब मानते हैं। इस भाषा की प्राप्त अधिकांश रचनाएं जैन काव्य हैं। कुछ रचनाएं बौद्ध सिद्धों की भी मिलती हैं। अब तक लगभग डेढ़ सौ ग्रंथ इस भाषा में लिखे हुए मिल चुके हैं। इस रचनाओं से उस काल की समृद्ध परंपरा की काफी कुछ जानकारी मिली है।


