सामान्य ज्ञान
श्रीलाल शुक्ल इफको साहित्य सम्मान की स्थापना सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने वर्ष 2011 में हिन्दी के कथाकार पद्मभूषण श्रीलाल शुक्ल के नाम पर की थी। हर साल यह पुरस्कार हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने साथ ही भारतीय कृषि एवं किसान और ग्रामीण जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षो को अपने साहित्य के माध्यम से लोगों के सामने लाने का प्रयास करने वाली हस्ती को दिया जाता है। इस पुरस्कार के तहत पर विजेता को 11 लाख रुपये की सम्मान राशि, प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र और शॉल भेंट किया जाता है। हिन्दी उपन्यासकार मिथिलेश्वर को वर्ष 2014 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान दिया गया है।
श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान की शुरुआत इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने अपने कार्यव्यवहार और कार्य प्रकृति के अनुरूप गांव, किसान व कृषि जीवन से संबंधित यथार्थवादी एवं उत्कृष्ट कलात्मक साहित्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की थी।
मौखरि वंश
भारत में मौखरि वंश का शासन गुप्त राजवंश के पतन के बाद स्थापित हुआ था। गया जिले के निवासी मौखरि लोग जो चक्रवर्ती गुप्त राजवंश के समय गुप्तवंश के लोगों के सामंत थे।
मौखरि वंश के लोग उत्तर प्रदेश के कन्नौज में तथा राजस्थान के बड़वा क्षेत्र में तीसरी सदी में फैले हुए थे। मौखरि वंश के शासकों को उत्तर गुप्त वंश के चौथे शासक कुमारगुप्त के साथ युद्ध हुआ था जिसमें ईशान वर्मा ने मौखरि वंश से मगध को छीन लिया था। मौखरि वंश के सामन्त ने अपनी राजधानी कन्नौज बनाई। कन्नौज का प्रथम मौखरि वंश का सामन्त हरिवर्मा था। उसने 510 ई. में शासन किया था। उसका वैवाहिक सम्बन्ध उत्तर वंशीय राजकुमारी हर्षगुप्त के साथ हुआ था। ईश्वर वर्मा का विवाह भी उत्तर गुप्त वंशीय राजकुमारी उपगुप्त के साथ हुआ था। यह कन्नौज तक ही सीमित रहा। यह राजवंश तीन पीढिय़ों तक चलता रहा। इतिहासकारों के अनुसार सूर्यवर्मन, ईशानवर्मन का छोटा भाई था। अवंति वर्मा सबसे शक्तिशाली तथा प्रतापी राजा था। इसके बाद मौखरि वंश का अन्त हो गया।


