सामान्य ज्ञान
बेट द्वारका गुजरात के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। कच्छ की खाड़ी में एक छोटे-से टापू पर बेट द्वारका बसी है। द्वारका का तीर्थ करने के बाद यात्री बेट द्वारका जाते हैं। इसके दर्शन के बिना द्वारका का तीर्थ पूरा नही होता। ऐसा माना जाता है कि बेट द्वारका वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण ने अपना राज्य स्थापित किया था। कच्छ की खाड़ी में स्थित यह एक छोटा आइलैंड है। ओखा के बंदरगाह के रूप में विकसित होने से पहले यह आइलैंड इस क्षेत्र का प्रमुख बंदरगाह था। द्वारका से यहां आने के लिए ओखा पोर्ट जेट्टी जाना पड़ता है और वहां से नौका द्वारा बेट द्वारका पहुंचा जा सकता है।
इस आइलैंड में ईसा पूर्व 3 री शताब्दी के ऐतिहासिक अवशेष देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि बेट द्वारका वह स्थान है जहां भगवान विष्णु ने शंखासुर नामक राक्षस का वध किया था इसलिए यह आइलैंड बेट शंखोधरा के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि श्रीकृष्ण इस बेट द्वारका नाम के टापू पर अपने घरवालों के साथ सैर करने आया करते थे। यह टापू कुल सात मील लम्बा है और साथ ही पथरीला है।
बेट द्वारका में कई तालाब हैं, जैसे- रणछोड़ तालाब, रत्न तालाब, कचौरी तालाबऔर शंख तालाब। इनमें रणछोड तालाब सबसे बड़ा है। इसकी सीढिय़ां पत्थर की हैं। जगह-जगह नहाने के लिए घाट बने हैं। इन तालाबों के आस-पास बहुत-से मंदिर हैं। मान्यता है कि बेट द्वारका ही वह जगह है, जहां भगवान कृष्ण ने अपने प्यारे भगत नरसी की हुण्डी भरी थी। बेट द्वारका के टापू का पूरब की तरफ़ का जो कोना है, उस पर राम के भक्त हनुमान का बहुत बड़ा मन्दिर है। इसीलिए इस ऊंचे टीले को हनुमानजी का टीला कहा जाता है।


