सामान्य ज्ञान
स्वाइन इन्फ्लुएंज़ा नामक बीमारी इस समय फिर चर्चा में है। स्वाइन फ्लू एक ऐसा संक्रमण है जो विभिन्न प्रकार के स्वाइन इन्फ्लूएंज़ा विषाणु के कारण फैलता है। सूअरों में पाई जाने वाले स्वाइन इंफ्लूएंज़ा विषाणु इंफ्लूएंज़ा विषाणुओं के परिवार की ही एक नस्ल है।
वर्ष 2009 में यह पता चला कि स्वाइन इंफ्लूएंज़ा विषाणु की इस नस्ल में इंफ्लूएंज़ा ए और इंफ्लूएंज़ा सी विषाणु है। यह दोनों विषाणु छह ज्ञात विषाणुओं की सूची में शामिल हैं। मानव इंफ्लूएंज़ा (इंफ्लूएंज़ा परिवार के विषाणुओं का मानवों पर आक्रमण) फैलाने वाले तीन विषाणुओं में से दो विषाणु वही हैं जो सूअरों में भी इस बीमारी के प्रेषण के कारक माने जाते हैं। सामान्यतया सूअरों में इंफ्लूएंज़ा ए विषाणु पाए जाते हैं जबकि उनमें इंफ्लूएंज़ा सी कम देखी जाती है। स्वाइन इन्फ्लूएंज़ा विषाणुओं में इंफ्लूएंज़ा ए के उप-समूह एच1एन1, एच 1 एन 2 और एच 2 एन 3 आदि शामिल हैं।
स्वाइन इन्फ्लूएंज़ा सूअरों में आसानी से लेकिन मानवों के बीच इसका संक्रमण दुर्लभ होता है। वैसे लोग जो सूअरों के सम्पर्क में लगातार बने रहते हैं उनमें इस संक्रमण का ज़ोखिम अधिक रहता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में कुल नवजात सूअरों में से करीब आधे में यह विषाणु पाये गये हैं। पॉलट्री में काम करने वाले लोगों को ज़ूनोटिक संक्रमण (ज़ूनोसिस) का खतरा अत्यधिक होता है। ‘जूनोसिस’ जानवरों की संक्रामक बीमारी है जो मानवों में स्थानांतरित हो जाती है। इबोला और स्वाइन इन्फ्लूएंज़ा ज़ूनोसिस के ही उदाहरण हैं।


