सामान्य ज्ञान
ग्रैंड ट्रंक रोड, दक्षिण एशिया के सबसे पुराने एवं सबसे लम्बे मार्गों में से एक है। दो सदियों से अधिक काल के लिए इस मार्ग ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी एवं पश्चिमी भागों को जोड़ा है। यह हावड़ा के पश्चिम में स्थित बांगलादेश के चटगांव से प्रारंभ होता है और लाहौर (पाकिस्तान) से होते हुए अफग़़ानिस्तान में काबुल तक जाता है । पुराने समय में इसे, उत्तरपथ ,शाह राह-ए-आजम,सडक़-ए-आजम और बादशाही सडक़ के नामों से भी जाना जाता था।
यह मार्ग, मौर्य साम्राज्य के दौरान अस्तित्व में था और इसका फैलाव गंगा के मुंह से होकर साम्राज्य के उत्तर-पश्चिमी सीमा तक हुआ करता था । आधुनिक सडक़ की पूर्ववर्ती का पुन:निर्माण शेर शाह सूरी द्वारा किया गया था। सडक़ का काफी हिस्सा 1833-1860 के बीच ब्रिटिशों द्वारा उन्नत बनाया गया था। सदियों के लिए, ग्रांड ट्रंक रोड का, एक प्रमुख व्यापार मार्ग के रूप में इस्तेमाल किया गया है। इतिहास में विभिन्न अवधियों के दौरान इस मार्ग को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता था। चार मुख्य साम्राज्यों ने इसका विस्तार एवं व्यापार के लिए उपयोग किया- मौर्य साम्राज्य (3 सदी ईपू), शेर शाह सूरी (16 सदी), मुग़ल साम्राज्य (16 सदी)और ब्रिटिश साम्राज्य (1833-1860)


