सामान्य ज्ञान

मकड़ी जाल कैसे बनाती है?
03-Jan-2021 11:56 AM
मकड़ी जाल कैसे बनाती है?

मकड़ी के आमाशय के निचले भाग में स्थित सैंकड़ों विशिष्टï नन्हीं ग्रंथियों से रेशम-जैसा चिपचिपा पदार्थ स्रवित होता है, जो वायु के संपर्क में आकर ठोस सूत्र में परिवर्तित हो जाता है। मकड़ी दौडक़र इसी द्रव से अपना जाल बनाती है। ग्रंथियां स्तन के अग्रभाग जैसे अंगों पर खुलती हैं, जिन्हें स्पिनरेट कहते हैं। जाल बुनने के क्रिया में मकड़ी आवश्यकता के अनुसार सूत्र की स्थूलता और प्रवाह को नियंत्रित कर सकती है।

जाल आरंभ करने के लिए मकड़ी रेशम के सूत्र चिपकाने के लिए किसी पत्ती, शाखा, पत्थर अथवा अन्य किसी वस्तु को जाल का प्रथम आधार बनाती है। इस तरह एक त्रिकोण अथवा वर्ग के आकार का जाल बनता है, जो बढक़र बहुकोणीय रूप धारण कर लेता है। बाद में सूत्र आधारभूत मचान के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लगाए जाते हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि तीलियां जाल में स्वच्छ और समान दूरी पर डाली जाती हैं और गोंद की कीलें लगाई जाती हैं। तीलियों के आर-पार लगाए गए 20-40 सूत्र के चक्कर वृत्त को दृढ़ करते हैं। अंत में जाल से लेकर मकड़ी के निवास स्थान तक एक टेलीग्राफ रेखा डाली जाती है। युवा मकड़ी जाल के केंद्र पर शिकार की प्रतीक्षा करती है। वृद्घ मकड़ी उपयुक्त निर्जन स्थान या दरार में विश्राम करना पसंद करती हैं, जो जाल से एक टेलीग्राफ रेखा से जुड़ा होता है। शिकार जब जाल में फंस जाता है तो उसमें कंपन होता है, जिससे मकड़ी सतर्क हो जाती है। 


अन्य पोस्ट