सामान्य ज्ञान

यूनसीट्राल
13-Nov-2020 2:36 PM
 यूनसीट्राल

अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून आयोग (यूनसीट्राल) को अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कानूनी निकाय के रूप में मान्यता प्राप्त है।   पिछले 40 सालों से यह इकाई विश्वव्यापी वाणिज्यिक कानूनों में सुधार के लिए काम करने में विशेषज्ञता रखती है। इसका काम अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानूनों का आधुनिकीकरण करना है। 
भारत को 9 नवम्बर 2015 एक बार फिर अगले छह वर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र (संरा) महासभा के संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून आयोग (यूनसीट्राल) का सदस्य चुन लिया गया है। भारत वर्ष 2016 से वर्ष 2022 तक यूनसीट्राल का सदस्य रहेगा।
भारत संयुक्त राष्ट्र के कई अन्य महत्वपूर्ण कानूनी निकायों में सदस्य है, जैसे अंतर्राष्ट्रीय विधि आयोग, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस, इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ ऑफ़ सी, कमीशन ओं लिमिट्स ऑफ़ कॉन्टिनेंटल शेल्फ आदि। महासभा ने अगले वर्ष 27 जून से छह वर्षों के लिए यूनसीट्राल के लिए 23 सदस्यों को निर्वाचित किया हैं - इसमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चिली, इजरायल, ईरान, इटली, पाकिस्तान, फिलीपींस, स्पेन, तुर्की, अमेरिका और वेनेजुएला शामिल हैं।
 

शिशुनाग वंश
शिशुनाग 412 ई. पू.गद्दी पर बैठा। महावंश के अनुसार वह लिच्छवि राजा के नगरवधू पत्नी से उत्पन्न पुत्र था । पुराणों के अनुसार वह क्षत्रिय था । इसने सर्वप्रथम मगध के प्रबल प्रतिद्वंद्वी राज्य अवन्ति को मिलाया । मगध की सीमा पश्चिम मालवा तक फैल गई और वत्स को मगध में मिला दिया । वत्स और अवन्ति के मगध में विलय से, पाटलिपुत्र को पश्चिमी देशों से, व्यापारिक मार्ग के लिए रास्ता खुल गया ।
शिशुनाग ने मगध से बंगाल की सीमा से मालवा तक विशाल भू-भाग पर अधिकार कर लिया । शिशुनाग एक शक्तिशाली शासक था जिसने गिरिव्रज के अलावा वैशाली नगर को भी अपनी राजधानी बनाया । 394 ई. पू. में इसकी मृत्यु हो गई । 
कालाशोक, शिशुनाग का पुत्र था जो शिशुनाग के 394 ई. पू. मृत्यु के बाद मगध का शासक बना । महावंश में इसे कालाशोक तथा पुराणों में काकवर्ण कहा गया है । कालाशोक ने अपनी राजधानी को पाटलिपुत्र स्थानान्तरित कर दिया था । इसने 28 वर्षों तक शासन किया । कालाशोक के शासनकाल में ही बौद्ध धर्म की द्वितीय संगीति का आयोजन हुआ ।
बाणभट्ट रचित हर्षचरित के अनुसार काकवर्ण को राजधानी पाटलिपुत्र में घूमते समय महापद्यनन्द नामक व्यक्ति ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी । 366 ई. पू. कालाशोक की मृत्यु हो गई ।  महाबोधिवंश के अनुसार कालाशोक के दस पुत्र थे, जिन्होंने मगध पर 22 वर्षों तक शासन किया ।  344 ई. पू. में शिशुनाग वंश का अन्त हो गया और नन्द वंश का उदय हुआ । 
 


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