सामान्य ज्ञान

अलकनंदा नदी
13-Nov-2020 2:17 PM
अलकनंदा नदी

अलकनन्दा नदी गंगा की सहयोगी नदी हैं। यह गंगा के चार नामों में से एक है। चार धामों में गंगा के कई रूप और नाम हैं। गंगोत्री में गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है, केदारनाथ में मंदाकिनी और बद्रीनाथ में अलकनन्दा। यह उत्तराखंड में शतपथ और भगीरथ खडक़ नामक हिमनदों से निकलती है। यह स्थान गंगोत्री कहलाता है।
अलकनंदा नदी घाटी में लगभग 229 किमी तक बहती है। देव प्रयाग या विष्णु प्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी का संगम होता है और इसके बाद अलकनंदा नाम समाप्त होकर केवल गंगा नाम रह जाता है। अलकनंदा चमोली टेहरी और पौड़ी जिलों से होकर गुजऱती है। गंगा के पानी में इसका योगदान भागीरथी से अधिक है। हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनाथ अलकनंदा के तट पर ही बसा हुआ है। राफ्टिंग इत्यादि साहसिक नौका खेलों के लिए यह नदी बहुत लोकप्रिय है। तिब्बत की सीमा के पास केशवप्रयाग स्थान पर यह आधुनिक सरस्वती नदी से मिलती है। केशवप्रयाग बद्रीनाथ से कुछ ऊंचाई पर स्थित है।
अलकनंदा की पांच सहायक नदियां हैं जो गढ़वाल क्षेत्र में 5 अलग-अलग स्थानों पर अलकनंदा से मिलकर पंच प्रयाग बनाती हैं, जो हैं- 
1. विष्णु प्रयाग जहां धौली गंगा अलकनंदा से मिलती है।
2. नंद प्रयाग जहां नंदाकिनी अलकनंदा से मिलती है।
3. कर्ण प्रयाग जहां पिंडारी अलकनंदा से मिलती है।
4. रूद्र प्रयाग जहां मंदाकिनी अलकनंदा से मिलती है।
5. देव प्रयाग जहां भागीरथी अलकनंदा से मिलती है।
 

पैन कैंप और ई सहयोग योजना क्या है?
केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 27 अक्टूबर 2015 को पायलट परियोजना के आधार पर  पैन कैंप और ई सहयोग योजना का शुभारम्भ किया है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया में भागीदारी करते हुए आयकर विभाग ने इस सुविधा को शुरू किया है। इसके तहत आयकर के रिटर्न की गड़बडिय़ों को ई मेल के मध्यम से सही किया जाएगा। इसके अतिरिक्त दूर दराज के इलाके के लिए स्पेशल पैन कैंप की भी शुरूआत की गई।
ई- सहयोग केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की कागज रहित पहल है। इसके जरिए आयकरदाताओं को नोटिस ही नहीं बल्कि उसकी गलतियां भी मेल के माध्यम से ही सही की जाएंगी। इसके अलावा लोगों को आयकर विभाग के दफ्तर का चक्कर लगाने से भी मुक्ति मिल जाएगी। ई मेल पर आए जवाब को आयकर अधिकारी जांचेंगे और यदि संतोषजनक हुआ तो उसी समय उसका निदान निकाल दिया जाएगा।
इस दौरान दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों केलिए स्थायी खाता संख्या (पैन) नंबर जारी करने के लिए विशेष शिविर की भी शुरूआत की गई। इस समय देश भर में करीब 23 करोड़ लोगों के पास पैन है। पैन धारकों की संख्या में बढ़ोतरी से सरकार को एक लाख रुपए के लेन-देन के लिए पैन नंबर का अनिवार्य रूप से उल्लेख करने की सरकार की बजट घोषणा को क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी।

 


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