सामान्य ज्ञान

भारत में बुजुर्गों की संख्या कितनी है
08-Oct-2020 10:46 AM
भारत में बुजुर्गों की संख्या कितनी है

भारत उप-महाद्वीप की जनसंख्या विश्व का 15 प्रतिशत है और यहां विकास कार्यक्रमों जैसे कई कारणों से इसमें धीरे-धीरे जनसांख्यिकी परिवर्तन हो रहा है। प्रजनन और मृत्यु दर में आई गिरावट के साथ बच्चों के जीवन और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि से जनसांख्यिकी में परिवर्तन आया है। साथ ही एक महत्वपूर्ण कारक वृद्ध लोगों की बढ़ती हुई संख्या भी है। 1951 में 60 से ज्यादा उम्र के लोगों की जनसंख्या 20 मिलियन थी। तीन दशक बाद 1981 में यह संख्या 43 मिलियन तक पहुंच गई और वहीं आगे के दशकों, 1991 में यह 55.30 मिलियन तक पहुंच गई।
वर्ष  2001 में यह संख्या बढक़र 76.5 मिलियन तक और वर्ष 2011 में 103.2 मिलियन तक पहुंच गई। भारत में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए प्रमुख मंत्रालय के बतौर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। वृद्ध व्यक्तियों पर राष्ट्रीय नीति (एनपीओपी), 1999 में वृद्धों के कल्याण के लिए सभी मुद्दे उठाए गए हैं और 60 साल और उससे ऊपर के व्यक्ति की पहचान वरिष्ठ नागरिक के बतौर की गई है। एनपीओपी का अनुसरण करते हुए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अध्यक्षता में, 1999 में ही वृद्ध व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय परिषद (एनसीओपी) बनाई गई जो कि नीतियों के कार्यान्वयन की देख-रेख करेगी। एनपीओपी के कार्यान्वयन के लिए एक अन्य समन्वय उपायों के अंतर्गत सामाजिक न्याय और सषक्तिकरण मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रालयी समिति गठित की गई है जिसमें 22 मंत्रालय/विभाग शामिल हैं।
 भारत में अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक और भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 दिसम्बर 2007 से लागू है जो अभिभावकों और वरिष्ठ नागरिक की जरूरत के मुताबिक उनका भरण-पोषण और कल्याण सुनिश्चित करता है। अधिनियम में - अभिभावकों/वरिष्ठ नागरिकों को उनके बच्चों/संबंधियों द्वारा भरण-पोषण को अनिवार्य और ट्रिब्यूनल द्वारा कानूनी बनाया गया है। वरिष्ठ नागरिकों की उनके संबंधियों द्वारा अनदेखी करने पर उनकी संपत्ति का हस्तांतरण करा लिए जाने, निर्धन वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धा आश्रम बनाने, वरिष्ठ नागरिकों को उचित चिकित्सा सुविधा और सुरक्षा उपलब्ध कराने का भी प्रावधान इस अधिनियम में किया गया है। 
 


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