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गिरीश कर्नाड
24-Jul-2022 11:19 AM
गिरीश कर्नाड

गिरीश कर्नाड (जन्म 19 मई, 1938 माथेरान, महाराष्ट्र) भारत के जाने माने समकालीन लेखक, अभिनेता, फिल्म निर्देशक और नाटककार हैं। कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा दोनों में इनकी लेखनी समानाधिकार से चलती है। 1998 में ज्ञानपीठ सहित पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों के विजेता गिरीश कर्नाड द्वारा रचित तुगलक, हयवदन, तलेदंड , नागमंडल और ययाति जैसे नाटक अत्यंत लोकप्रिय हुए और भारत की अनेक भाषाओं में इनका अनुवाद और मंचन हुआ है। प्रमुख भारतीय निदेशकों - इब्राहीम अलकाजी, प्रसन्ना , अरविन्द गौड़ और बी.वी. कारंत ने इनका अलग- अलग तरीके से प्रभावी और यादगार निर्देशन किया है।

एक कोंकणी भाषी परिवार में जन्में गिरीश कर्नाड ने 1958 में धारवाड़ स्थित कर्नाटक विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि ली। इसके पश्चात वे एक रोड्स स्कॉलर के रूप में इंग्लैंड चले गए जहां उन्होंने ऑक्सफोर्ड के लिंकॉन तथा मॅगडेलन महाविद्यालयों से दर्शनशास्त्र, राजनीतिशास्त्र तथा अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। वे शिकागो विश्वविद्यालय के फुलब्राइट महाविद्यालय में विजि़टिंग प्रोफ़ेसर भी रहे।

कर्नाड की प्रसिद्धि एक नाटककार के रूप में ज्यादा है । कन्नड़ भाषा में लिखे उनके नाटकों का अंग्रेजी समेत कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। गिरीश  कर्नाड ने ऐतिहासिक तथा पौराणिक पात्रों से तत्कालीन व्यवस्था को दर्शाने का तरीका अपनाया तथा काफी लोकप्रिय हुए। उनके नाटक ययाति (1961, प्रथम नाटक) तथा तुग़लक़ (1964) ऐसे ही नाटकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। तुगलक से कर्नाड को बहुत प्रसिद्धि मिली और इसका कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ।

वंशवृक्ष नामक कन्नड़ फिल्म से उन्होंने निर्देशन की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद इन्होंने कई कन्नड़ तथा हिन्दी फिल्मों का निर्देशन तथा अभिनय भी किया।

गिरीश कर्नाड ने साहित्य के लिए  1972 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1974 में पद्मश्री, 1992 में पद्मभूषण तथा कन्नड़ साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1998 में ज्ञानपीठ पुरस्कार हासिल किया।

इसके अलावा सिनेमा के क्षेत्र में  1980 फि़ल्मफ़ेयर पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ पटकथा - गोधुली (बी.वी. कारंत के साथ)। इसके अतिरिक्त गिरीश कर्नाड ने कई राज्य स्तरीय तथा राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं।


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