सामान्य ज्ञान
मीनाक्षी सुन्दरेश्वरर मन्दिर या मीनाक्षी अम्मां मन्दिर या केवल मीनाक्षी मन्दिर भारत के मदुरई नगर, तमिलनाडु राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक मन्दिर है। यह हिन्दू भगवान शिव (‘सुन्दरेश्वरर या सुन्दर ईश्वर के रूप में) एवं भार्या देवी पार्वती (मीनाक्षी या मछली के आकार की आंख वाली देवी के रूप में) — इन दोनों को समर्पित है। मछली पांड्य राजाओं का राजचिह्न है। यह मन्दिर 2500 वर्ष पुरानी मदुरई नगरी, जो तमिल भाषा का गृह्स्थान है; के प्रमुख हिस्सा रहा।
हिन्दु पौराणिक कथानुसार भगवान शिव, सुन्दरेश्वरर रूप में , अपने गणों के साथ, मदुरई शहर में पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री, राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने आए थे। मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता ह। इस मन्दिर को देवी पार्वती के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। अन्य स्थानों में मुख्य हैं कांचीपुरम का कामाक्षी मन्दिर, तिरुवनैकवल का अकिलन्देश्वरी मन्दिर एवं वाराणसी का विशालाक्षी मन्दिर।
इस मन्दिर का स्थापत्य एवं वास्तु आश्चर्यचकित कर देने वाला है। इस इमारत समूह में 12भव्य गोपुरम हैं, जो अतीव विस्तृत रूप से शिल्पित हैं। इन पर बड़ी महीनता एवं कुशलतापूर्वक रंग एवं चित्रकारी की गई है, जो देखते ही बनती है। यह मन्दिर तमिल लोगों का एक अति महत्वपूर्ण द्योतक है, एवं इसका वर्णन तमिल साहित्य में पुरातन काल से ही आता रहा है। हालांकि वर्तमान निर्माण आरम्भिक सत्रहवीं शताब्दी का बताया जाता है।
इस मन्दिर से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है मीनाक्षी तिरुकल्याणम, जिसका आयोजन चैत्र मास (अप्रैल के मध्य) में होता है। इस उत्सव के साथ ही तमिलनाडु के अधिकांश मन्दिरों में वार्षिक उत्सवों का आयोजन भी होता है। इसमें अनेक अंक होते हैं, जैसे कि रथ-यात्रा (तेर तिरुविझाह) एवं नौका उत्सव (तेप्पा तिरुविझाह)। इसके अलावा अन्य हिन्दु उत्सव जैसे नवरात्रि एवं शिवरात्रि भी यहां धूम धाम से मनाये जाते हैं। तमिलनाडु के सभी शक्ति मन्दिरों की भांति ही, तमिल महीने आदि (जुलाई 15-अगस्त 17) और तै (जनवरी 15 से फऱवरी 15) में आने वाले सभी शुक्रवार बड़े हर्षोल्लस के साथ मनाए जाते हैं। मन्दिरों में खूब भीड़ होती है।


