सामान्य ज्ञान

महाभारत महाकाव्य की रचना ईसा पूर्व 400 स्वीकार की गई है। अंतिम रूप से इसका संकलन 400 ई. के लगभग हुआ था। महाभारत की रचना का श्रेय महर्षि वेदव्यास को है। महाभारत के प्रारंभिक रचना काल में मात्र 8 हजार श्लोक थे। उस समय इस महाभारत का नाम जय संहिता था। कालान्तर में श्लोकों की संख्या बढक़र 24 हजार हो गई और यह भारत नाम से चर्चित हुआ।
महाभारत महाकाव्य में प्राचीनतम वैदिक जन भरत के वंशजों का वर्णन है। बाद में इस महाकाव्य में श्लोकों की संख्या बढक़र एक लाख हो गई और इसे शत साहस्री संहिता अथवा महाभारत कहा जाने लगा। महाभारत का मूल कथानक कौरवों और पाण्डवों के युद्ध को वर्णित करता है। यह 18 पर्वो में सृजिक है। महाभारत का प्रारंभिक उल्लेख आश्वलायन गृह सूत्र में हुआ है। महाभारत महाकाव्य से हमें शक, यवन, पारसीक , हूण, आदि जातियों की जानकारी मिलती है। इसके अलावा तत्कालीन भारत की सामाजिक, धार्मिक , राजनीतिक स्थिति के बारे में भी इसमें काफी कुछ लिखा गया है।
महाभारत में उल्लेखित भारतीय इतिहास का पहला और अंतिम सर्पयज्ञ जनमेजय ने करवाया था।