सामान्य ज्ञान
पाकिस्तान में अनादिकाल से जो धार्मिक स्थल सबसे अधिक मान्यता प्राप्त है वह है हिंगलाज माता का मंदिर। श्रद्धा से हिंगलाज माता मंदिर को नानी का मंदर या फिर नानी का हज कहा जाता हैं। नानी शब्द संस्कृत के ज्ञानी का अपभ्रंश है जो कि ईरान की एक देवी अनाहिता का भी दूसरा नाम है भारतीय उपमहाद्वीप में क्षत्रियों की कुलदेवी के रूप में विख्यात हिंगलाज भवानी माता का मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि आदि शक्ति का सिर जहां गिरा वहीं पर हिंगलाज माता का मंदिर स्थापित हो गया।
हिंगलाज भवानी माता का मंदिर बलोचिस्तान के ल्यारी जिले के हिंगोल नेशनल पार्क में हिंगोल नदी के किनारे स्थित है। क्वेटा-कराची मार्ग पर मुख्य हाइवे से करीब एक घण्टे की पैदल दूरी पर स्थित हिंगलाज माता का मंदिर पाकिस्तान के प्रमुख शहर कराची से 250 किलोमीटर दूर है।
बंटवारे के बाद से ही यहां आनेवाले दर्शनार्थियों की संख्या भले ही बहुत कम हो गई हो लेकिन यह मंदिर आज भी स्थानीय बलोचवासियों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। इस मंदिर के सालाना जलसे या मेले में केवल हिन्दू ही नहीं आते बल्कि मुसलमान भी आते हैं ।हिंगलाज माता मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां गुरु नानक देव भी दर्शन के लिए आये थे। हिंगलाज माता मंदिर एक विशाल पहाड़ के नीचे पिंडी के रूप में विद्यमान है जहां माता के मंदिर के साथ-साथ शिवजी का त्रिशूल भी रखा गया है।हिंगलाज माता के लिए हर साल मार्च अप्रैल महीने में लगने वाला मेला न केवल हिन्दुओं में, बल्कि स्थानीय मुसलमानों में भी बहुत लोकप्रिय है। ऐसा कहा जाता है कि दुर्गम पहाड़ी और शुष्क नदी के किनारे स्थित माता हिंगलाज का मंदिर दोनों धर्मावलंबियों के लिए अब समान रूप से महत्वपूर्ण हो गया है।


