सामान्य ज्ञान
खुबानी चीनी मूल का एक फ़लधारी वृक्ष है। यह आड़ू से संबंधित है, और मुख्य जाति प्रूनुस की उपजाति प्रूनुस के अधीन वर्गीकृत है। इसका फ़ल (चित्रित) आड़ू से मिलता जुलता है, और इसका वर्ण पीले से नारंगी तक, कभी कभार लाल आभा सहित होता है। इसका छिलका मुलायम और लगभग रोएंरहित होता है। खुबानी एकल बीजा वाले फ़ल होते हैं और सुखाने पर मेवा का रूप ले लेते हैं।
उत्तर भारत और पाकिस्तान में यह बहुत ही महत्वपूर्ण फल समझा जाता है और कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह भारत में पिछले 5 हजार साल से उगाया जा रहा है। ख़ुबानियों में कई प्रकार के विटामिन और फाइबर होते हैं। खुबानी न केवल फल के रूप में बल्कि खुबानी के बीज भी इम्यून सिस्टम मजबूत करने में सहायक होते हैं। इससे शरीर को ताकत मिलती है। खुबानी फाइबर युक्त फल है। इससे पाचन तंत्र ठीक होता है। खुबानी खाने से कब्ज संबंधी समस्या दूर होती है। इसके अलावा पाचन संबंधी अनेक विकार और बवासीर रोग दूर करने में भी यह फल लाभकारी है। खुबानी पेट के कीड़े भी नष्ट कर देता है। सूखे खुबानी पेट के लिए ज्यादा लाभकारी हैं।
अंग्रेजी में ख़ुबानी को ऐप्रिकॉट कहते हैं। पश्तो में इसे ख़ुबानी ही कहते हैं। फ़ारसी में इसे ज़र्द आलू कहते हैं। फ़ारसी में आलू का मतलब आलू बुख़ारा और ज़र्द का मतलब पीला (रंग) होता है। इस प्रकार ज़र्द आलू का मतलब पीला आलू बुख़ारा होता है। जिसे हिन्दी में आलू बोलते हैं उसे फ़ारसी में आलू ज़मीनी बोलते हैं (ज़मीन के नीचे उगने वाला आलू बुख़ारा)। मराठी में इसके लिए फ़ारसी से मिलता-जुलता जर्दालू शब्द है।
विश्व में सबसे ज़्यादा ख़ुबानी तुर्की में उगाई जाती है जहां 2005 में 3 लाख 90 हजार टन ख़ुबानी पैदा की गई। मध्य-पूर्व तुर्की में स्थित मलत्या क्षेत्र ख़ुबानियों के लिए मशहूर है, और तुर्की की लगभग आधी पैदावार यहीं से आती है। तुर्की के बाद ईरान का स्थान है, जहां 2005 में 2 लाख 85 हजार टन ख़ुबानी उगाई गई। ख़ुबानी एक ठंडे प्रदेश का पौधा है और अधिक गर्मी में या तो मर जाता है या फल पैदा नहीं करता। भारत में ख़ुबानियां उत्तर के पहाड़ी इलाकों में पैदा की जाती है, जैसे के कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, इत्यादि।


