सामान्य ज्ञान
संगीत को जेब में पहुंचाने वाले, मोबाइल को टच स्क्रीन बनाने वाले और कंप्यूटर जगत को नई ऊंचाइयां देने वाले स्टीवन पॉल स्टीव जॉब्स ने 5 अक्टूबर, 2011 में दुनिया को अलविदा कहा। पैंक्रियाज कैंसर से जूझते स्टीव जॉब्स को 20वीं सदी के महान आविष्कारकों में गिना जाएगा। वे एप्पल इंक के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। अगस्त 2011 में उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया। जाब्स पिक्सर एनीमेशन स्टूडियोज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी रहे। सन 2006 में वह दी वाल्ट डिज्नी कम्पनी के निदेशक मंडल के सदस्य भी रहे, जिसके बाद डिज्नी ने पिक्सर का अधिग्रहण कर लिया था। 1995 में आई फिल्म टॉय स्टोरी में उन्होंने बतौर कार्यकारी निर्माता काम किया।
स्टीव जॉब्स को आईपॉड, आईफोन, आईपैड और मैकिंटॉश या मैक कंप्यूटर बनाने के लिए याद किया जाता है। 46 साल की जिंदगी में स्टीव जॉब्स ने कई उतार चढ़ाव देखे। किशोरावस्था में ही उन पर कंप्यूटर बनाने की धुन सवार हो गई। पढ़ाई में मन न लगने की वजह से उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया। कॉलेज छोडऩे के बाद वो ज्ञान की तलाश में भी भटके। इस दौरान पैसे न होने की वजह से वो कोक की खाली कैन जमा करते, उन्हें बेचते और उससे खाना खरीदते। हफ्ते में एक बार हरे कृष्णा मंदिर में खाना खाते।
कहते हैं कि तीन सेबों ने पूरी दुनिया बदल दी। जन्नत के वर्जित सेब ने, आइजक न्यूटन के सामने गिरे सेब ने और स्टीव जॉब्स के सेब यानी एप्पल ने। सेब को फल से मशीन बना देने वाले जॉब्स शायद दुनिया के सबसे मशहूर बिजनेसमैन होंगे। जवानी के दौरान ही उन्होंने अपने दोस्त स्टीव वोजनियाक के साथ मैकिंटॉश कंप्यूटर बनाया और एक कंपनी खड़ी कर दी। इसी दौरान उनकी बिल गेट्स से दोस्ती हुई जो बाद में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा में बदल गई। जॉब्स के पास कऱीब 5.1 अरब डॉलर की संपत्ति थी और वे अमेरिका के 43वें सबसे धनी व्यक्ति थे। जॉब्स ने आध्यात्मिक ज्ञान के लिए भारत की यात्रा की और बौद्ध धर्म को अपनाया।


